हाल ही में यूपी शिक्षा बोर्ड की 10वीं परीक्षा 2024 के रिजल्ट घोषित किए गए. सीतापुर की प्राची निगम ने प्रदेश में टौप किया. वह शहर के सीता बाल विद्या मंदिर इंटर कालेज की स्टूडैंट हैं. प्राची ने 98.50 फीसदी के शानदार स्कोर के साथ 600 में से 591 अंक प्राप्त किए हैं. वह बला की तेज दिमाग और इंटैलिजैंट है. गणित में उस की पकड़ इतनी मजबूत है कि उसे 100 में से 100 नंबर मिले हैं. हिंदी, इंग्लिश जैसी भाषाओं में प्राची ने 100 में से 97 नंबर हासिल किए हैं.

यूपी बोर्ड का रिजल्ट आते ही सोशल मीडिया पर तेजी से टौपर्स की तसवीरें और इंटरव्यूज के वीडियो वायरल होने लगे. इस बीच प्राची के चेहरे पर नजर आ रहे अनचाहे बालों को देख कर ट्रौलर गैंग ने उसे अपने निशाने पर लिया. विकृत मानसिकता वालों ने प्राची के चेहरे पर दिख रहे प्राकृतिक सौंदर्य पर सवाल खड़े कर दिए.

‘अरे, इस की तो इतनी बड़ीबड़ी मूंछें हैं,’ ‘यह लड़की कैसे हो सकती है, दिखने में तो बिलकुल लड़कों जैसी है.’ ‘टौपर है तो क्या हुआ, शक्ल तो लड़कों जैसी है.’ ‘यह प्राची कम लग रही प्राचा ज्यादा लग रहा है.’ ‘यह मर्द है या औरत.’ ऐसे न जाने कितने ही बेहूदे कमैंट्स की बरसात हो गई. इस तरह उस की उपलब्धि और कड़ी मेहनत की सराहना की जगह उस के चेहरे के बालों पर बातें होने लगीं. सोशल मीडिया पर उस के मीम्स बनाए गए, उस को ट्रौल किया गया. जाहिर है, हमारे समाज में ज्यादातर लोगों को सिर्फ दिखावा और खूबसूरती से मतलब है. किसी के टैलेंट और अचीवमैंट की सराहना करने के बजाय हम मजाक बनाने में ज्यादा मजे लेते हैं.

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी लड़की को उस के रूप, रंग, आकार के कारण शर्मिंदा होना पड़ा है. जरनल औफ फैमिनिज्म एंड जैंडर स्टडीज की एक स्टडी कहती है कि मिडिल स्कूल और हाईस्कूल की टीनएज लड़कियां सब से ज्यादा बौडी शेमिंग का शिकार होती हैं, जिस का गहरा असर उन के मानिसक स्वास्थ्य पर पड़ता है. मैंटल हैल्थ फाउंडेशन, यूके का एक सर्वे कहता है कि बौडी इमेज, अपीयरेंस और बौडी वेट को ले कर शर्मिंदगी का भाव लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा होता है. सर्वे में शामिल लड़कियों का यह भी मानना था कि लड़कियों को खूबसूरत होने का फायदा मिलता है. अगर कोई लड़का हैंडसम हो तो उसे बाकियों के मुकाबले ज्यादा महत्त्व और फायदा मिलता है.

सैकड़ों सालों से लोगों की मानसिकता ऐसे ही गढ़ी गई है कि एक लड़की के लिए उस का सब से कीमती गहना उस का रूपरंग है. तभी तो कौस्मैटिक्स का बाजार इतना फलफूल रहा है. 30 पार करते ही महिलाओं के लिए एंटी एजिंग क्रीम की बाढ़ आ जाती है. 35 पार के लिए रिंकल्स क्रीम, 40 पार के लिए कुछ और क्रीम और 50 पार औरतों के लिए कुछ और बुढ़ापे का डर, कुरूपता का डर, मोटापे का डर, सुंदर और आकर्षक न दिखने का डर सब से ज्यादा औरतों को ही दिखाया जाता है. उन्हीं की बौडी शेमिंग की जाती है. उन्हें ही शर्मिंदा किया जाता है.

महिलाओं के चेहरे पर बालों की वजह

चेहरे पर बाल की 2 वजहें हो सकती हैं. चेहरे पर बाल आनुवंशिक (जेनेटिक) कारणों से हो सकते हैं या फिर हार्मोन्स में आई गड़बड़ी के चलते. चेहरे पर बहुत अधिक बाल होने की स्थिति को हाइपरट्राइकोसिस कहते हैं. अगर आनुवंशिक वजहों के चलते चेहरे पर बाल हैं तो इसे जेनेटिक हाइपरट्राइकोसिस कहते हैं और अगर ये परेशानी हार्मोन्स के असंतुलन के चलते है तो इसे हर्सुटिज्म कहते हैं.

हार्मोनल विकार

कुशिंग्स सिंड्रोम : यह एक तरह की मैडिकल कंडीशन है. कुशिंग्स सिंड्रोम होने की वजह से महिलाओं के एड्रिनल ग्लैंड में प्रौब्लम होने लगती है, जिस वजह से शरीर में कोर्टिसोल नाम का हार्मोन सामान्य से अधिक बनने लगता है. जब कोर्टिसोल ग्लैंड में समस्या होने लगती है, तो महिलाओं के चेहरे पर बाल उगने लगते हैं.

कई मामलों में यह भी देखा गया है कि महिलाओं के चेहरे, गरदन और जांघों पर बहुत ज्यादा बाल उग आते हैं. कुशिंग्स सिंड्रोम होने पर महिलाओं के चेहरे पर बाल उगने के अलावा वेट गेन करना, बीपी बढ़ना, पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं.

पीसीओएस : पीसीओएस यानी पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम. आमतौर पर महिलाओं के चेहरे पर इसी बीमारी के कारण बाल उगते हैं. पीसीओएस के लिए सब से ज्यादा हमारी लाइफस्टाइल जिम्मेदार होती है. हमारा खानपान, बौडी बिल्डिंग के लिए स्टेरौएड का इस्तेमाल, घंटों एक ही मुद्रा में बैठे रहना, तनाव लेना आदि वे मुख्य वजहें हैं जो पीसीओएस को बढ़ावा देने का काम करती हैं.

पीसीओएस होने पर महिलाओं की ओवरी में सूजन हो जाती है. ओवरी में सूजन के कारण महिलाओं के अंदर वूमेंस हार्मोन का संतुलन गड़बड़ाने लगता है और पुरुष हार्मोन जैसे एंड्रोजेन और टेस्टोस्टेरौन बढ़ने लगते हैं. जो महिलाएं पीसीओएस से ग्रसित होती हैं उन्हें कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जैसे एकाएक वजन का बढ़ना, बाल झड़ना और अनियमित महावारी का होना.

मेल हार्मोन का बढ़ना

कई महिलाओं के शरीर में मेल सैक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरौन का ज्यादा स्राव होने की वजह से भी महिलाओं के चेहरे और शरीर के अन्य अंगों पर बाल ज्यादा उगने लगते हैं. मेल हौर्मोन की वजह से महिलाओं की आवाज भी भारी हो जाती है.

दवाइयों के साइड इफैक्ट्स

जो महिलाएं हार्मोनल थेरैपी लेती हैं उन में भी फेशियल हेयर की प्रौब्लम होने लगती है. थेरैपी के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के साइड इफैक्ट की वजह से ऐसा हो सकता है.

जेनेटिक कारण

चेहरे पर अनचाहे बालों के पीछे एक वजह आनुवंशिकता भी हो सकती है. अगर परिवार में दादी, नानी और मां आदि में से किसी के अनचाहे बाल हैं तो यह समस्या अगली पीढ़ी की लड़कियों को भी हो सकती है.

चेहरे के बालों को कैसे करें कम

• वैक्सिंग, थ्रेडिंग और शेविंग जैसी तकनीक बालों को अस्थायी रूप से हटाने में सहायक हो सकती है. इसे सैलून में करवाया जा सकता है.
• इलैक्ट्रोलिसिस एक और तरीका है जिस से बालों को हटाने में मदद मिल सकती है. इस के बारबार प्रयोग करने से 15 से 50 प्रतिशत तक बाल स्थायी रूप से कम हो सकते हैं.
• बालों को हटाने का एक और इफैक्टिव तरीका है लेजर तकनीक. लेजर विधि बालों के रोम को नष्ट करने और बालों के विकास को कम करने में मदद करती है.
• जेल या लोशन से भी बालों को रिमूव किया जा सकता है. ये बालों को हटाने का सुरक्षित और आसान तरीका है.

दाढ़ी वाली महिला जिस का नाम वर्ल्ड रिकौर्ड में दर्ज है

ब्रिटेन में रहने वाली हरनाम कौर का नाम पूरी दाढ़ी वाली सब से कम उम्र की महिला के तौर पर गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड में दर्ज है. जब हरनाम 16 साल की थीं तब पता चला की उन्हें पौलीसिस्टिक सिंड्रोम है जिस की वजह से उन के चेहरे और शरीर पर बाल बढ़ने लगे. शरीर और चेहरे पर अतिरिक्त बालों की वजह से उन्हें अपने स्कूल में दुर्व्यवहार उठाना पड़ा और कई बार तो स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्होंने सुसाइड करने को भी सोचा. लेकिन अब उन्होंने ख़ुद को इसी रूप में स्वीकार कर लिया है.

पिछले कई सालों से उन्होंने अपने चेहरे के बाद नहीं हटवाए. वे कहती हैं कि वैक्सिंग से त्वचा कटती है, खिंचती है. त्वचा कई बार जल जाती है. घाव भी हो सकते हैं. ऐसे में दाढ़ी बढ़ाना बहुत राहतभरा फैसला था. हरनाम को अपनी दाढ़ी से बहुत प्यार है क्योंकि वह किसी पुरुष की नहीं, एक महिला की दाढ़ी है.

यह बात अलग है, कुछ लड़कियां अपनी खूबसूरती को महत्त्व देते हुए पार्लर का चक्कर लगाती हैं या समयसमय पर चेहरे के लिए ब्यूटी टिप्स फौलो करती हैं. कुछ लड़कियां अपनी पढ़ाई और अचीवमैंट को ही अपनी खूबसूरती मानती हैं. इसी तरह टौपर प्राची भी हैं जो अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपनी पढ़ाई को देती हैं. पर इस का मतलब यह नहीं कि समाज उन्हें इस हद तक परेशान करे. इस बोर्ड एग्जाम्स में लड़कियों ने बाजी मारी है. आगे भी हर परीक्षा में वे बाजी मारेंगी चाहे बाजी बोर्ड की हो या फिर जिंदगी की.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...