नए साल के मौके पर एक पिता ने बेटी और उस के प्रेमी को मौत का ‘तोहफा’ दिया और खुद सलाखों के पीछे पहुंच गया. बदायूं जिले के बिल्सी में 2 जनवरी की सुबह करीब 4:30 बजे औनर किलिंग की वारदात हुई. पिता ने 19 वर्षीया बेटी नीतू और उस के 20 वर्षीय प्रेमी सचिन की फावड़े से काट कर हत्या कर दी और खुद फावड़ा ले कर थाने में सरैंडर करने पहुंच गया.

काफी समय से नीतू का प्रेम उसी गांव के सचिन के साथ चल रहा था. दोनों पड़ोसी थे और फिलहाल सचिन हिमाचल प्रदेश में काम करता था. वह 2 दिनों पहले ही घर आया था. बंदिशों के बावजूद नए साल की रात दोनों ने मिलने की प्लानिंग की, जिस के बाद करीब 4 बजे सचिन रात के अंधेरे में नीतू के घर पहुंच गया. नीतू के परिजनों ने दोनों को साथ देख लिया. फिर क्या था, नीतू के पिता महेश ने मौके पर ही दोनों की जम कर पिटाई की. फिर पिता ने फावड़े से बेटी नीतू पर जानलेवा हमला कर दिया.

सचिन ने उसे बचाने की कोशिश की तो पिता ने उस पर भी हमला किया और दोनों को फावड़े से काट कर बहुत निर्ममता से हत्या कर दी. इस के बाद पिता फावड़ा ले कर बिल्सी थाने में सरैंडर करने चला गया. थाने पहुंचे पिता के हाथ में खून से सना फावड़ा देख पुलिसकर्मी दंग रह गए. उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. उस ने पुलिस को घटनाक्रम बताया, तो वहां हड़कंप मच गया.

कुछ ऐसा ही वाकेआ 22 नवंबर, 2023 का है जब एक भाई ने अपनी बहन के प्रेमी को कुल्हाड़ी से मौत के घाट उतारा था. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में औनर किलिंग के नाम पर भाई ने बहन और उस के प्रेमी की हत्या कर दी थी. हालांकि वारदात के बाद आरोपी ने जुर्म को स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण किया. आरोपी जावेद ने आत्मसमर्पण के बाद कहा कि बहन के कार्य से परिवार के सम्मान पर ठेस पहुंची, इसलिए उस की हत्या कर दी.

इसी तरह 24 नवंबर, 2022 को एक मां ने अपनी 20 साल की दुलारी बेटी की हत्या कर दी. बेटी ने दूसरी जाति के युवक से प्यार किया था और इसी की सजा मां ने दी. मृतका नर्सिंग की छात्रा थी, कोयंबटूर में पढ़ रही थी. उस की हत्या के बाद मां ने भी खुदकुशी की कोशिश की. यहां भी वजह यही थी कि मां व उस का परिवार अपनी बेटी की शादी अपने ही समुदाय में करना चाहते थे लेकिन बेटी इस के लिए तैयार न हुई. वह किसी और से प्यार करती थी.

मथुरा में भी ऐसा ही कुछ हुआ था जब आयुषी के पिता ने उस की हत्या कर दी थी. वजह यह थी कि आयुषी ने अपनी मरजी से शादी कर ली थी जो घर वालों को मंजूर न थी. बाद में झाड़ियों में खून से लथपथ ट्रौली बैग में बीसीए की छात्रा आयुषी (22) का शव मिला था. पुलिस ने 48 घंटे में आयुषी की पहचान कर 21 नवंबर को हत्याकांड का खुलासा कर हत्या के आरोपी पिता नितेश और मां ब्रजबाला को गिरफ्तार कर लिया और 22 नवंबर को दंपती को जेल भेज दिया था.

औनर किलिंग के नाम पर हत्याएं

देश में लगातार लड़केलड़कियां औनर किलिंग का शिकार हो रहे हैं. औनर किलिंग का मतलब है कि अपने ही परिवार में किसी व्यक्ति की हत्या इसलिए कर दी जाती है क्योंकि वह किसी और जाति या धर्म के व्यक्ति से प्यार कर परिवार की तथाकथित इज्जत को ठेस पहुंचाता है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया में 5 हजार लड़कियां औनर किलिंग की भेंट चढ़ जाती हैं. इस तथाकथित ‘इज्जत’ के नाम पर बेटे या बेटियों को परिवार के ही लोग मौत के घाट उतार देते हैं. औनर किलिंग के केवल 3 प्रतिशत मामले ही गोत्र से संबंधित होते हैं जबकि 97 प्रतिशत मामले धर्म तथा अन्य कारणों से संबंधित होते हैं.

प्यार का हक क्यों नहीं

लड़की हो या लड़का, हर किसी को हक है कि वह बालिग होने के बाद अपनी मरजी से अपना जीवनसाथी चुन सके. वह यह फैसला ले सके कि उसे अपनी जिंदगी किस के साथ बितानी है, किसे प्यार करना है. मगर आज भी पेरैंट्स यही सोचते हैं कि उन की संतान को उन के हिसाब से ही अपना जीवनसाथी चुनना होगा और अगर वे किसी को पसंद करने लगते हैं तो पेरैंट्स को लगता है कि वे अपनी मरजी चला कर परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहे हैं.

पेरैंट्स पहले उसे प्यार से समझाते हैं, फिर डांटतेफटकारते हैं और अंत में उन्हें धमकी देते हैं. लेकिन अगर बच्चे अपने पेरैंट्स के इस रवैए का विरोध करते हुए बगावत करते हैं या मना करने के बावजूद मिलते हैं तब पेरैंट्स कई बार अपना आपा खो बैठते हैं. अपने बच्चों को वे किसी दूसरे धर्म के या दूसरी जाति के लड़के/लड़की से शादी नहीं करने देना चाहते. इस के पीछे उन की मानसिकता बहुत पिछड़ी हुई होती है. वे रूढ़िवादी और परंपरावादी सोच के शिकार होते हैं. नतीजा यह होता है कि पूरा परिवार ही बरबाद हो जाता है क्योंकि हत्या करने के बाद पेरैंट्स खुद भी जेल के अंदर ही पहुंचते हैं.

धर्म और पुरातनपंथी सोच है औनर किलिंग की मुख्य वजह

धर्म ने लोगों के दिलों में इस कदर अपनी पैठ बना रखी है कि शादीब्याह के मामले में भी इंसान धर्म को सब से ऊपर रखता है. बच्चों की ख़ुशी के बजाय वह यह देखता है कि बेटे/बेटी का होने वाला जीवनसाथी उस के धर्म या जाति का है या नहीं. वह बच्चों की मरजी के बजाय अपनी मरजी देखता है. बच्चों पर जोरजबरदस्ती करता है. रूढ़ियों की बेड़ियों में जकड़े ऐसे अभिभावक लीक से हट कर कुछ नहीं सोच सकते.

इस चक्कर में वे अपने बच्चों को ही मार डालते हैं. इस से बड़ी मूर्खता और क्या होगी? तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने लोगों के दिमाग को इस तरह कुंद कर रखा है कि लोगों को धर्म/जाति/पैसों के सिवा कुछ नजर नहीं आता. प्यार, रिश्ते, संवेदनशीलता और मानवीयता की कोई कीमत नहीं रह जाती.

धर्म और पुरातनपंथी सोच की बेड़ियों में जकड़े हुए हम भले ही आधुनिकता और विकास का दंभ भरें मगर आज भी हम वैचारिक नजरिए से बहुत पिछड़े हैं. हमारा दिमाग आज भी धर्म की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है, जिस का नतीजा हमारे बच्चों को भुगतना पड़ता है.

औनर किलिंग जैसी घटनाएं सामाजिक अभिशाप की तरह हैं जिन का कभी भी किसी भी तरह समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि अपनी जिंदगी अपने तरीके से और मनपसंद इंसान के साथ जीने का हक़ हर किसी को है.

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