रमेशबाबू प्रज्ञानानंद शतरंज के भविष्य के रूप में आज हमारे सामने हैं . रमेशबाबू प्रज्ञानानंद ने दुनिया में एक नया इतिहास लिखा, 18 साल की छोटी सी उम्र में प्रज्ञानानंद शतरंज विश्व कप टूनामेंट के फाइनल में पहुंच गए यह अपने आप में रमेश बाबू की काबिलियत को जग जाहिर करता है . वे भले पराजित हो गए , लेकिन उन्होंने दुनिया में अपनी चमक बिखेर दी है. और देश भर में उनके चाहने वालों की एक बड़ी तादाद पैदा हो गई. सबसे बड़ी बात यह है कि शतरंज विश्व कप के फाइनल में प्रज्ञानानंद का सामना विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मैगनस कार्लसन से हुआ़ . दुनिया ने देखा कि किस तरह बड़ी शिद्दत के साथ प्रज्ञानानंद ने कार्लसन को लगातार कड़ी टक्कर देते रहे जिसे देखकर के देश में उनके चाहने वाले मुरीदो की संख्या बढ़ने लगी. अब देश में यह भावना पैदा हो गई है कि आने वाले समय में शतरंज के मैदान में रमेश बाबू प्रज्ञानानंद देश को ऊंचा मुकाम दिलाने में आवश्यक रूप से कामयाब होंगे. आज आपको इस आलेख में हम रमेश बाबू प्रज्ञानानंद के संदर्भ में कुछ ऐसी जानकारियां दे रहे हैं जिन्हें पर जानकर आप आवश्यक रूप से चौंक जाएंगे.
10 अगस्त, 2005 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मे रमेशबाबू प्रज्ञानानंद एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी बन कर सामने आए हैं हैं.उन्हें देश के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक माना जा रहा है. प्रज्ञानानंद के पिता बैंक में काम करते हैं, और उनकी मां नागालक्ष्मी एक गृहिणी हैं. बड़ी बहन वैशाली आर हैं, जो शतरंज खेलती हैं. पांच साल की उम्र से शतरंज प्रतिभा शतरंज खेल रही है. आप एक महिला ग्रैंडमास्टर है. बड़ी बहन वैशाली ने एक बातचीत में बताया शतरंज में उनकी रुचि एक टूनामेंट जीतने के बाद बढ़ी और इसके बाद उनका छोटा भाई भी इस खेल को पसंद करने लगा. और धीरे-धीरे अपने खेल के माध्यम से उसने सिद्ध कर दिया कि वह एक अच्छा खिलाड़ी बनकर देश का नाम रोशन कर सकता है.आज वैशाली भारत में शतरंज की मशहूर खिलाड़ी है.
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