टैलीविजन सीरियल ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ में चाणक्य का किरदार निभा कर शोहरत बटोरने वाले अभिनेता मनीष वाधवा वर्ष 1999 से अभिनय जगत में सक्रिय हैं. मूलतः अंबाला, हरियाणा के बाशिंदे मनीष वाधवा को कला का माहौल घर में ही मिला. उन की मां गायिका थीं.

मनीष वाधवा ने दर्जनभर से अधिक टैलीविजन सीरियलों के अलावा ‘शबरी’, ‘राहुल’, पठान’ सहित कई फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाया है.

इन दिनों मनीष वाधवा 11 अगस्त को रिलीज हो रही फिल्म ‘गदर 2’ को ले कर काफी चर्चा में हैं. वे।इस फिल्म में मुख्य खलनायक हैं. फिल्म ‘गदर 2’ में मनीष वाधवा को लोग पाकिस्तानी आर्मी जनरल हामिद इकबाल के किरदार में देखेंगे.

कुछ लोग उन्हें इस फिल्म में अमरीष पुरी का रिप्लेसमैंट भी बता रहे हैं, पर मनीष वाधवा खुद ऐसा नहीं मानते हैं.

पेश हैं, मनीष वाधवा से हुई बातचीत के खास अंश :

  • आज आप अभिनेता बन कर कैसा महसूस करते हैं?

मैं अभिनय में विशेषज्ञ होने का दावा नहीं करता. लेकिन हां, मुझे इस बात पर गर्व जरूर है कि मैं इस खूबसूरत कला की मदद से अपना जीवनयापन करता हूं.

मेरा मानना है कि यदि आप अपने जीवन की सभी समस्याओं और दुखों को भूलना चाहते हैं, तो हर दिन सुबह उठें और कोई और बन जाएं. मैं कालेज के समय से ही थिएटर कर रहा हूं. हालांकि थिएटर मेरे दिल के करीब है, पर मैं यह कहूंगा कि अभिनय मेरा पहला प्यार है. मैं ने अब तक थिएटर, टैलीविजन सीरियल और फिल्में की हैं. मैं ने टीवी सीरियलों में कई तरह के किरदार निभाए हैं. किरदारों के भीतर की विविधता ही मुझे सब से ज्यादा आकर्षित करती है. मुझे गजल के साथसाथ रोमांटिक गानों को भी गाने का शौक है.

  • अपनी अब तक की यात्रा पर रोशनी डालेंगे?

वर्ष 1999 में मेरी अभिनय यात्रा शुरू हुई. यह यात्रा काफी दिलचस्प है. मेरा जन्म 1972 में हरियाणा के अंबाला जिले में हुआ था. फिर मेरा परिवार 1983 में मुंबई चला आया. अभिनय का जुनून तो बचपन से ही था. मुंबई में मैं ने सब से पहले अपने पिता की ही फिल्म में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया था. पर यह फिल्म बीच में ही बंद हो गई थी. उस के बाद मैं थिएटर करता रहा. थिएटर से ही टीवी सीरियल व फिल्में मिलती गईं और आज यहां तक पहुंच गया.

पहले फिल्मों में प्रवेश पाने के इच्छुक लोग थिएटर को एक सीढ़ी के तौर पर मान कर थिएटर से शुरुआत किया करते थे. क्या आप भी इसी वजह से थिएटर कर रहे थे?

जी नहीं. मेरी थिएटर से जुड़ने की वजह यह कदापि नहीं थी. मैं अपनेआप को ‘पौलिश’ करने के लिए थिएटर से जुड़ा हुआ था. मैं एक नाटक कर घर की तरफ जा रहा था, तो मेरे कालेज के प्रोफैसर रास्ते में मिल गए. उन्होंने पूछ लिया कि बेटे क्या कर रहे हो? तो मैं ने कह दिया कि एक नाटक कर के आ रहा हूं. तो उन्होंने कहा कि हमारे कालेज में 3 दिन बाद एक समारोह होने वाला है, उस में एक नाटक कर के हमें भी दिखाना.

मैं ने कालेज में नाटक किया, तो प्रोफैसर साहब को अहसास हुआ कि इस बच्चे में कुछ तो प्रतिभा है. तब उन्होंने बाहर से एक निर्देशक की नियुक्ति की, जो हमें नाटक के लिए ट्रेनिंग देते थे. हर साल मुझे उस में काम करने व नाटक करने का अवसर मिलता गया.

मुझे कालेज के दिनों में ही कई सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के अवार्ड मिल गए. बलराज साहनी ट्राफी मिली. इस तरह धीरेधीरे अभिनय की गाड़ी आगे बढ़ती रही.

  • वर्ष 1999 से अब 2023 तक के अपने कैरियर को आप किस तरह से देखते हैं?

धीरेधीरे ही सही, पर मेरा कैरियर निरंतर ग्रो हुआ है.
हर बार नए पड़ाव आते गए. मसलन, वर्ष 2005 में जब मैं ने मैगा सीरियल ‘कोहिनूर’ किया. इस सीरियल के ही चलते मुझे राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘शबरी’ मिली. अफसोस की बात यह रही कि इस फिल्म की शूटिंग वर्ष 2005 में हुई थी, मगर यह फिल्म 2012 में सिनेमाघरों में पहुंची थी. इस से पहले वर्ष 2001 में मैं प्रकाश झा के साथ फिल्म ‘राहुल’ कर चुका था.

मुझे यह फिल्म डाक्टर मुक्ता देखने के बाद मिली थी. ‘शबरी’ के प्रदर्शन में देरी के चलते ही मुझे पुनः टीवी सीरियलों की तरफ मुड़ना पड़ा. आप भी जानते हैं कि बौलीवुड में सबकुछ फिल्म की सफलता के इर्दगिर्द ही
घूमता है. इसी कारण हर शुक्रवार कलाकार, निर्देशक सभी की जिंदगी बदल जाती है. यह अजीब सी विडंबना है. आप ने फिल्म में खराब अभिनय किया है अथवा उत्कृष्ट अभिनय किया है, इस पर ध्यान फिल्म की सफलता के बाद ही दिया जाता है.

फिल्म की सफलता का मतलब कलाकार का अभिनय सही नहीं है. जब फिल्म चलती है, तभी कलाकार चलता है. फिर टीवी सीरियल ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ में मुझे चाणक्य का किरदार निभाने का अवसर मिला, जिस से मेरे कैरियर को अचानक बहुत बड़ा बूस्टअप मिल गया. यहीं से मेरा कैरियर एकदम से बदल गया. इस किरदार को निभाने के लिए मैं ने अपने सिर के बाल मुंडा कर टकला हुआ था. आज 12 वर्ष हो गए, मुझे खुद को गंजा ही रखना पड़ रहा है, क्योंकि तब से मुझे लगातार ऐसे ही किरदार मिल रहे हैं.

मुझे कई सीरियलों में उत्कृष्ट कलाकार के पुरस्कार भी मिले. मैं ने सीरियल ‘परमावतार श्रीकृष्ण’ में नैगेटिव किरदार यानी कृष्ण के मामा कंस का किरदार निभाया. बीच में ‘देवों के देव महादेव’ में रावण का किरदार निभाया. इसे बीच में बीमारी की वजह से छोड़ना पड़ा था, तो इस तरह बीचबीच में मैं ने काफी अच्छे किरदार निभाए.

  • सीरियल हो या फिल्म, आप ने पीरियोडिक या हिस्टोरिकल किरदार ही ज्यादा निभाए. इस की कोई खास वजह?

ऐसा सभी को लगता है. अगर आप मेरे सीरियलों पर नजर दौड़ाएंगे, तो मैं ने अब तक बमुश्किल 10 या 11 सीरियल ही किए हैं. लेकिन वह सीरियल और उन के किरदार इतने सराहे गए कि क्या कहें. देखिए, मैं ने ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ या ‘पेशवा’ जैसे सीरियल किए. मैं ने वहीं पर ‘इसे क्या नाम दूं’ जैसा सामाजिक सीरियल भी किया. इस में भी मुझे बहुत प्यार मिला. लोग इस सीरियल के मेरे किरदार निरंजन को अभी भी याद करते हैं. टीवी श्रृंखला ‘मानो या ना मानो’ में विक्रम भार्गव और विनीत भार्गव के रूप में भी अभिनय किया है. ‘टाइम मशीन’ में मैं ने मुख्य हीरो का किरदार निभाया, जो कि वैज्ञानिक है. फिर ‘महाकुंभ’ में भी
शोहरत मिली. तो मैं ने हर तरह के किरदार निभाए.

अब मैं ने फिल्म ‘गदर 2’ में मुख्य खलनायक हामिद इकबाल का किरदार निभाया है. मेरा मानना है कि मैं एक शिक्षार्थी हूं और सीखने की प्रक्रिया अभी भी जारी है.

  • फिल्म ‘गदर 2’ से जुड़ना कैसे हुआ?

मैं ने दक्षिण भारत में फिल्म ‘शाम सिंह रौय’ की है, जिस में मेरा विलेन का किरदार था. इस फिल्म के फाइट मास्टर ने ही फिल्म ‘गदर 2’ के निर्देशक अनिल शर्मा को मेरे बारे में बताया. उस वक्त अनिल शर्मा को एक प्रतिभाशाली कलाकार की तलाश थी. वे 10-12 कलाकारों से मिले थे, पर बात नहीं बनी थी.

बहरहाल, अनिल शर्मा ने मुझे बुलाया. मेरे कदकाठी व भाषा पसंद आई. तब वह मुझे सनी देओल से मिलाने ले गए. उन से जिम्मेदारी की बात हुई. उन्होंने मुझ से कहा कि आप ने अमरीश पुरी को पूरी तरह से देखा नहीं है. फिल्म ‘गदर’ के अलावा उन की दूसरी फिल्में भी देखे लें. हम चाहते हैं कि अमरीश पुरी की ही तरह का सशक्त विलेन नजर आए. सनी देओल मुझ से बातें कर संतुष्ट हुए और मैं ‘गदर 2’ का हिस्सा बन गया.

  • आप ने इस के लिए किस तरह की तैयारी की?

-लेखक शक्तिमान ने पटकथा लिखी थी. उसी के अनुरूप पहले कुछ लुक टैस्ट वगैरह किए गए. उस के बाद मेरी मुलाकात लेखक से हुई. उन से मुझे पूरी कहानी समझ आई और अपना किरदार समझ आया और फिर इतनी अच्छी टीम थी कि सबकुछ अपनेआप होता चला गया.

फिल्म ‘पठान’ में भी आप ने पाकिस्तानी चरित्र निभाया. अब ‘गदर 2’ में भी. यह महज इत्तिफक है या…?

मैं ने दोनों फिल्मों की शूटिंग लगभग एकसाथ ही की. वैसे, मैं ने ‘पठान’ के बाद ‘गदर 2’ साइन की थी. दोनों फिल्में कोरोना के समय की हैं. दोनों में पाकिस्तानी आर्मी जनरल का किरदार निभाना मेरे लिए एक्साइटिंग और चुनौतीपूर्ण रहा. फर्क यह है कि ‘पठान’ का आर्मी जनरल 2023
का है और ‘गदर 2’ का आर्मी जनरल 1971 का है. 1971 का जनरल देसी है.

  • क्या आप को नहीं लगता कि साल 1971 में पाकिस्तान में धर्म बहुत ज्यादा हावी नहीं था, लेकिन अब।2023 आतेआते वहां धर्म बहुत ज्यादा हावी हो गया है?

नहीं, 1947 की ‘गदर’ में भी आप देख चुके हैं कि वहां भी धर्म हावी था. मुझे ऐसा लगता है कि मजहब की दीवार होनी नहीं चाहिए. लेकिन अगर है तो या आज से नहीं शुरू से चलती आ रही है. यह बंटवारा भी अपनेआप में मजहब की दूरियां हैं.

  • आप को अमरीश पुरी का रिप्लेसमैंट कहा जा रहा है?

नहीं… नहीं, ऐसा नहीं है. पहली बात तो फिल्म में मेरा किरदार सकीना के पिता का नहीं है, जो कि अमरीश पुरी का किरदार था. यदि ऐसा होता, तब तो आप यह बात कह सकते थे अथवा तब आप अमरीश पुरी से तुलना कर सकते थे. दूसरी बात अमरीश पुरी की ऐक्टिंग का कोई सानी नहीं था. उन्हें कोई रिप्लेस नहीं कर सकता.

अभिनय में जितनी बड़ी ऊंचाई अमरीश पुरी ने छुई थी, उसे तो कोई नहीं छू सकता. मुझे तो इस फिल्म में सिर्फ एक विलेन की भूमिका करनी थी. फिल्म में हामिद इकबाल का मेरा किरदार एकदम अलग है. एक अलग विलेन से मतलब है कि अलग किरदार है.

  • आप ‘गदर 2’ के अपने किरदार पाकिस्तानी आर्मी जनरल हामिद इकबाल को ले कर क्या कहेंगे?

बहुत ही क्रूर है. निर्दयी है. वह किसी के बारे में नहीं सोचता है. उस का अपना एक गोल है. वह भारत, तारा सिंह व जीते को खत्म करना चाहता है. इन में से भी तारा सिंह तो उस का सब से बड़ा दुश्मन है.

  • एक कलाकार किसी भी किरदार को निभाने के लिए 2 चीजों का इस्तेमाल करता है. अपनी कल्पनाशक्ति और जीवन के अनुभव. आप किस का कितना उपयोग करते हैं?

दोनों का मिश्रण जरूरी है. हर कलाकार हर किरदार को निभाते समय अपने निजी अनुभव के आधार पर ही नींव रखता है. उस ने जो देखा है,एनजो सीखा है, उसी के साथसाथ वह अपनी सोच व कल्पना का उपयोग करते हुए निर्देश के वीजन को साकार करने की कोशिश करता है. यही मेरा भी तरीका है.

  • आप इतना फिट कैसे रहते हैं?

मैं सुबह व्यायाम और योग करने के लिए समय निकालता हूं और बस यह सुनिश्चित करता हूं कि रात में भारी आहार न लूं. बाकी सबकुछ अपनेआप होता है.

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