पश्चिमी दिल्ली के मादीपुर इलाके में रहने वाला 28 वर्षीय मेहताब प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. वह रात 9-10 बजे तक अकसर घर आ जाता था. 3 अगस्त, 2014 को नियत समय पर न तो वह घर आया और न ही उस का फोन मिल रहा था. इस से घर वाले बहुत परेशान हो गए. बड़े भाई मेहराज खान ने मेहताब के जानने वाले कई लोगों को फोन किया लेकिन किसी से भी उस के बारे में जानकारी नहीं मिली.

उस समय आधी रात बीत चुकी थी. इतनी रात में उसे कहां ढूंढा जाए, यह बात वह समझ नहीं पा रहे थे. मेहताब की चिंता में घर वालों को रात भर नींद नहीं आई. अगले दिन 4 अगस्त को मेहराज खान पुलिस चौकी मादीपुर पहुंच गया. चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया को छोटे भाई के गायब होने की बात बता कर उस की गुमशुदगी लिखा दी.

मेहताब की गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया ने इस की जांच हेडकांस्टेबल सतीश कुमार को करने के निर्देश दिए. सतीश कुमार ने सब से पहले मेहताब का हुलिया बताते हुए गुमशुदगी की सूचना दिल्ली के समस्त थानों में वायरलैस द्वारा प्रसारित करा दी. इस के बाद उन्होंने आसपास के अस्पतालों में भी संपर्क कर यह जानने की कोशिश की कि करीब 28 साल का कोई दुर्घटना का शिकार व्यक्ति दाखिल तो नहीं हुआ है.

उन्होंने मेहताब के घर वालों से भी बात की और पूछा कि मेहताब का किसी से कोई लड़ाईझगड़ा तो नहीं चल रहा. घर वालों ने पुलिस को बता दिया कि उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.

पुलिस अपने तरीके से मेहताब को तलाशती रही. उसे गायब हुए महीना से ज्यादा बीत चुका था, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. मेहताब के घर वाले पुलिस पर अंगुली उठाने लगे.

उन्होंने पंजाबी बाग इलाके के एसीपी हरचरण वर्मा से मुलाकात कर मेहताब खान के गायब होने और जांच अधिकारी की निष्क्रियता की बात बताई. मादीपुर पुलिस चौकी थाना पंजाबी बाग के अंतर्गत आती है. इसलिए एसीपी हरचरण वर्मा ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश पंजाबी बाग के थानाप्रभारी ईश्वर सिंह को दिए.

मेहराज की शिकायत पर 12 सितंबर, 2014 को पंजाबी बाग थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 365 (अपहरण) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया गया और जांच एसआई अनूप कुमार को सौंप दी गई.

मेहताब के महीने भर से गायब होने की जानकारी पश्चिमी दिल्ली के अतिरिक्त आयुक्त रणवीर सिंह को मिली तो उन्होंने एसीपी हरचरण वर्मा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई जिस में इंसपेक्टर राजीव विमल, एसआई पवन कुमार दहिया, अनूप कुमार, हेडकांस्टेबल सतीश कुमार, सुजीत, कुलदीप, महिला कांस्टेबल अंजूबाला आदि को शामिल किया गया.

रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस सक्रिय हो गई. पुलिस ने मेहताब के फोन की कालडिटेल्स निकलवाई. कालडिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि जिस दिन मेहताब गायब हुआ था, उसी दिन उस के मोबाइल पर आइडिया कंपनी के एक नंबर से सुबह साढ़े 10 बजे काल आई थी.

इस के अलावा इसी नंबर पर मेहताब की 10-15 बार रोजाना बात होती थी. इस से यह लगा कि मेहताब के उस व्यक्ति से नजदीकी संबंध रहे होंगे तभी तो उस से इतनी बात होती थी.

पुलिस अब उस शख्स से मिलना चाहती थी. पुलिस ने उस फोन नंबर को मिलाया तो वह भी स्विच्ड औफ मिला. संबंधित फोन कंपनी से फोनधारक का पता निकलवाया तो पता चला कि वह नंबर बिहार के तौहीर नाम के व्यक्ति की आईडी पर लिया गया था और यह नंबर 28 जून को एक्टिवेट हुआ था. पुलिस ने जब जांच की तो बिहार का यह पता फरजी पाया गया.

इस जांच में पुलिस टीम को यह भी जानकारी मिली कि उक्त फोन नंबर 867505014919160 आईएमईआई नंबर के फोन में चल रहा था. पुलिस टीम ने अब यह जानने की कोशिश की कि इस आईएमईआई नंबर के फोन में 28 जून, 2014 से पहले किस नंबर का सिम एक्टिव था.

पुलिस टीम इस काम में दिनरात एक करते हुए जुटी हुई थी. टीम को जांच में यह पता लग गया कि 28 जून से पहले उस फोन में किस नंबर का सिम काम कर रहा था. जांच में पता चला कि वह नंबर दिल्ली के वजीराबाद गांव के रहने वाले आसिफ खान पुत्र ईनाम खान के नाम से लिया गया था.

आसिफ खान से पूछताछ करने के बाद पुलिस उस शख्स तक पहुंच सकती थी जिस की मेहताब खान से रोजाना 10-15 बार बातें होती थीं. आसिफ के पास जाने से पहले इंसपेक्टर राजीव विमल ने मेहताब के भाई मेहराज से पूछा कि क्या वह वजीराबाद गांव में रहने वाले किसी आसिफ खान नाम के व्यक्ति को जानता है?

आसिफ का नाम सुनते ही मेहराज चौंक गया. आसिफ को भला वह कैसे भूल सकता था. उस ने आसिफ की पूरी कहानी इंसपेक्टर राजीव विमल को सुना दी. उस से पता चला कि मेहताब आसिफ खान का दूर के रिश्ते का चचेरा भाई है. आसिफ पहले मादीपुर में ही रहता था.

करीब 3 साल पहले की बात है. मेहताब के चचेरे भाई शाने आलम की बहन मुमताज का आसिफ के भतीजे रवीश खान से चक्कर चल गया था. कुछ दिनों बाद वह मुमताज को ले कर भाग गया. यह बात मेहताब और उस के भाइयों को पता चली तो वे सब शिकायत करने आसिफ खान के घर पहुंचे. शाने आलम और मेहताब गुस्से में थे. शिकायत के दौरान ही दोनों ओर से गरमागरमी हो गई. तब उन लोगों ने आसिफ खान की जम कर पिटाई की.

जिस तरह मोहल्ले में आसिफ की बेइज्जती हुई उसे देखते हुए उस ने वहां रहने का विचार ही छोड़ दिया. उस ने अपना मादीपुर का मकान बेच दिया और दिल्ली के ही वजीराबाद गांव में मकान खरीद कर रहने लगा. वहीं पर वह प्रौपर्टी डीलिंग का धंधा करने लगा. तब से वह वजीराबाद में ही रह रहा है. उधर मुमताज और रवीश खान ने भी निकाह कर लिया.

मेहराज से बात करने के बाद इंसपेक्टर राजीव विमल को लगा कि कहीं अपमान का बदला लेने के लिए आसिफ ने मेहताब के साथ कोई साजिश तो नहीं रची.

मादीपुर के चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया के नेतृत्व में 13 सितंबर को एक पुलिस टीम आसिफ खान के वजीराबाद गांव स्थित घर रवाना कर दी. आसिफ खान घर पर ही मिल गया. उसे हिरासत में ले लिया. थाने पहुंच कर पुलिस ने मेहताब खान की गुमशुदगी के बारे में उस से पूछताछ की.

आसिफ खान पहले तो मेहताब के बारे में अनभिज्ञता जताते हुए पुलिस को गुमराह करता रहा लेकिन पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उसे सच्चाई बताने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस ने बताया कि उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर उस की हत्या कर के लाश गंगनहर में फेंक दी थी.

उस ने अपने चचेरे भाई की हतया क्यों की? पूछने पर आसिफ ने पुलिस को मेहताब की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली.

सन 2011 में आसिफ का भतीजा रवीश खान जब मेहताब की चचेरी बहन मुमताज को भगा कर ले गया तो मेहताब और उस के भाइयों ने आसिफ खान की जम कर पिटाई की थी. उस समय मोहल्ले के ही तमाम तमाशबीन उस के घर के सामने खड़े थे.

आसिफ खान भी प्रौपर्टी डीलर था. उस की भी क्षेत्र में अच्छी जानपहचान और इज्जत थी. मोहल्ले वालों के सामने पिटाई होने पर वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था.

इस बेइज्जती के तीर ने आसिफ के दिल को इतना जख्मी कर दिया कि उस ने उसी समय तय कर लिया कि वह मेहताब से इस का बदला जरूर लेगा. इस घटना के 15-20 दिनों बाद आसिफ ने मादीपुर वाला मकान बेच कर दिल्ली के वजीराबाद गांव में एक मकान खरीद लिया और वहीं पर प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगा.

वजीराबाद गांव में आसिफ के घर के पास ही जाहिद उर्फ सलमान रहता था. पड़ोस में रहने की वजह से आसिफ की जाहिद से दोस्ती हो गई. बाद में वह आसिफ के साथ ही प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगा. मादीपुर छोड़ने के बाद भी आसिफ मेहराज से मिले अपमान को नहीं भूला था. उसी दौरान जाहिद की मार्फत आसिफ की शाहरुख से मुलाकात हुई.

शाहरुख दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके का रहने वाला था. उस की ताले बेचने की दुकान थी. शाहरुख जाहिद का दोस्त था. तीनों साथसाथ खातेपीते थे. खातेपीते समय आसिफ अपने मन की टीस दोस्तों से जाहिर कर देता था.

एक बार की बात है. आसिफ खजूरी खास से कार द्वारा अपने घर लौट रहा था. उस ने वजीराबाद पुल के पास यमुना घाट पर एक महिला बैठी देखी. 28-30 साल की वह महिला बहुत खूबसूरत थी. वह महिला एकदम अकेली थी. उसे देख कर आसिफ अचानक रुक गया और कार को सड़क किनारे खड़ी कर के उसे निहारने लगा. वहां खड़ेखड़े यह सोचने लगा कि आखिर यह महिला नदी के घाट पर अकेली क्यों बैठी है?

कुछ देर बाद आसिफ खुद ही उस के पास पहुंच गया. उसे देख कर वह महिला घबराई नहीं बल्कि वह पानी की ओर टकटकी लगाए बैठी रही. आसिफ ने उस से पूछा, ‘‘मैडम, मैं काफी देर से देख रहा हूं कि आप इस सुनसान जगह पर अकेली बैठी हैं. वैसे तो मुझे पूछने का कोई हक नहीं, फिर भी मैं जानना चाहता हूं कि आप यहां किसलिए बैठी हैं?’’

‘‘मैं बहुत दुखी और परेशान हूं. इस दुनियादारी से ऊब चुकी हूं इसलिए अपनी जीवनलीला खत्म करने के लिए यहां आई हूं.’’ वह महिला बोली.

आसिफ खान समझ गया कि यह महिला खुदकुशी करने आई है. वह उसे समझाते हुए बोला, ‘‘मैडम, खुदकुशी किसी समस्या का समाधान नहीं है. जिंदगी में तमाम तरह की समस्याएं आती हैं तो ऐसा नहीं कि हम समस्याओं का हल ढूंढने के बजाय आत्महत्या का रास्ता अपनाएं. यदि आप मुझे अपनी समस्या बताएंगी तो हो सकता है कि मैं आप की कोई हेल्प कर सकूं.’’

आसिफ के पूछने पर उस महिला ने अपना नाम परवीन जहां बताया. उस ने बताया कि करीब 3 साल पहले उस के पति की मौत हो गई. उस के पास एक बेटा और एक बेटी है जिन्हें वह भजनपुरा में अपनी एक जानकार के पास छोड़ आई है. पति के मरने के बाद जैसेतैसे कर के वह अपना और बच्चों का पेट भर रही थी. लेकिन अब उस के सामने भूखों मरने की हालत हो गई है.

आसिफ ने परवीन को समझाबुझा करकार में बिठाया और अपने घर ले गया. पति के साथ एक अनजान महिला को देख कर आसिफ की पत्नी चौंक गई. उस ने पति से पूछा तो आसिफ ने उसे परवीन की सच्चाई बता दी.

सब से पहले आसिफ ने परवीन को खाना खिलाया और बाद में उसे भजनपुरा छोड़ आया. उस समय उस ने परवीन को खर्चे आदि के लिए एक हजार रुपए भी दे दिए थे.

परवीन तो अपनी जीवनलीला समाप्त करने जा रही थी. एक अनजान आदमी ने उसे बचा कर एक नई जिंदगी दी. आसिफ की इस दरियादिली की वह तहेदिल से शुक्रगुजार थी. आसिफ की परवीन जहां से हमदर्दी तो थी ही, इस के अलावा वह उस की खूबसूरती पर फिदा भी हो गया था. इसलिए वह उस से नजदीकी बनाना चाहता था.

आसिफ को परवीन के ठिकाने का पता लग चुका था, इसलिए वह समय निकाल कर उस से मुलाकात करने लगा. उधर परवीन भी बेसहारा थी. उस का झुकाव भी आसिफ की तरफ बढ़ता गया. नतीजतन दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए. वह परवीन को आर्थिक सहयोग करता रहा. भजनपुरा वाले कमरे पर आसिफ परवीन से चोरीछिपे ही मिल पाता था. वह अब ऐसा ठिकाना ढूंढने लगा जहां उसे उस से मिलने में असुविधा न हो.

यही सोच कर आसिफ ने परवीन को शास्त्री पार्क की गली नंबर-2 में एक कमरा किराए पर दिलवा दिया, जहां पर वह अपने दोनों बच्चों के साथ रहने लगी. कमरे का किराया और परवीन के घर का खर्चा आसिफ ही उठाता था. शास्त्री पार्क के कमरे में आसिफ और परवीन की रासलीला बिना किसी डर के चलती रही.

आसिफ खान को मादीपुर से वजीराबाद आए हुए 3 साल बीत चुके थे लेकिन मेहताब और उस के भाइयों द्वारा की गई पिटाई को वह भुला नहीं सका था. जब भी वह उस घटना को याद करता, अपमान का जख्म फिर से ताजा हो जाता था.

मादीपुर उस के यहां से काफी दूर था. वह अब कोई ऐसा जरिया ढूंढने लगा जिस से मेहताब उस की मनमुताबिक जगह पर आ जाए, जहां वह उसे अच्छी तरह से सबक सिखा सके.

इस काम के लिए उसे परवीन जहां ही सही लगी. उसे विश्वास था कि परवीन उस के बताए किसी काम को करने से मना नहीं करेगी. इस साल जुलाई के महीने में उस ने मेहताब से बदला लेने की बात परवीन जहां को बताई. तब परवीन ने उसे भरोसा दिया कि वह हर तरह से उस की सहायता करने को तैयार है. परवीन की बात सुन कर आसिफ ने एक योजना बनाई.

योजना के अनुसार उस ने बिहार के तौहीर नाम के व्यक्ति के नाम से बने फरजी वोटर आईडी से आइडिया कंपनी का सिमकार्ड ले लिया. वह कार्ड अपने मोबाइल फोन में डाल कर परवीन को दे दिया. इस के अलावा उस ने अपने दुश्मन मेहताब का फोन नंबर उसे देते हुए कहा कि वह किसी भी तरह से मेहताब को अपने रूपजाल में फांस ले. इस के लिए उस ने परवीन को 5 हजार रुपए भी दिए.

परवीन के लिए यह काम बहुत आसान था. उस ने अगले दिन दोपहर के समय मेहताब को मिस काल की. मेहताब उस समय खाली था. बात शुरू हुई तो मेहताब को भी परवीन की बातों में दिलच्सपी आने लगी. उसे उस की बातें अच्छी लगने लगीं.

अगले दिन रात के समय परवीन जहां ने मेहताब को फिर फोन किया. चूंकि दोनों का परिचय हो चुका था इसलिए इधरउधर की बातें करते हुए परवीन बातों का दायरा बढ़ाने लगी. मेहताब भी अविवाहित था. वह उस की बातों के आधार पर ही उस के रूपसौंदर्य की कल्पना करने लगा. इस तरह दोनों के बीच अब रोजाना बातें होने लगीं.

परवीन उस से जल्द मुलाकात कर अपने हुस्न का दीदार करा देना चाहती थी. इसलिए एक दिन उन्होंने पंजाबी बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 पर मुलाकात करने की योजना बना ली.

मेहताब मादीपुर से पंजाबी बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक पर पहुंच चुका था. वहां पहुंचने पर उसे कोई महिला दिखाई नहीं दी. वह इधरउधर देखने लगा कि कहीं परवीन आड़ में तो नहीं खड़ी है. इधरउधर नजर दौड़ाने के बाद वह नहीं दिखी तो उस ने परवीन को फोन किया. परवीन ने बताया कि वह अभी रास्ते में है. 5 मिनट में पंजाबी बाग पहुंच जाएगी. मेहताब वहीं पर खड़ा परवीन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगा.

वह मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं परवीन कैसी शक्लोसूरत की होगी. कुछ देर बाद उसे मेट्रो स्टेशन से उतर कर एक महिला आती दिखाई दी जो गेट नंबर-1 की सीढि़यों के पास आ कर रुक गई. कढ़ाईदार जामुनी रंग का सूट पहने वह महिला बहुत सुंदर थी. अब मेहताब सोचने लगा कि पता नहीं यह परवीन है या कोई और.

पुष्टि करने के लिए उस ने उसी समय अपने फोन से परवीन का नंबर मिलाया. घंटी बजने के बाद उस महिला ने अपने हाथ में थामे छोटे पर्स से मोबाइल निकाला और बात करने लगी.

यह देख कर मेहताब खुश हो गया क्योंकि परवीन की जैसी कल्पना उस ने अपने दिमाग में की थी, वह उस से कहीं ज्यादा खूबसूरत निकली. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा पड़े.

वहां कुछ देर बात करने के बाद मेहताब उसे पंजाबी बाग के एक रेस्टोरेंट में ले गया. वहां उस ने उस की खूब खातिरदारी की. पहली मुलाकात से दोनों ही खुश थे. दोनों ने वहां खूब बातें कीं. इस के बाद परवीन वहां से मेट्रो द्वारा घर लौट गई.

मेहताब से मिलने के बाद परवीन को विश्वास हो गया कि वह अपने मकसद में सफल हो जाएगी. घर लौटने के बाद उस ने आसिफ को सारी बातें बता दीं.

परवीन जहां से मिलने के बाद मेहताब के दिल की धड़कनें और तेज हो गईं. अब तो जब भी उसे फुरसत होती वह परवीन जहां का नंबर मिला देता. फिर उन की काफी देर तक बातें होती रहतीं. इस तरह दिन में कईकई बार वह फोन पर बतियाते.

उन के बीच बातों का दायरा बढ़ता गया. वे एकांत में भी मिलने लगे जिस से उन के बीच की दूरियां भी मिट गईं. यानी उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. इस के बाद उन के बीच यह सिलसिला चलता रहा.

परवीन ने अपने हुस्न के जाल में मेहताब को पूरी तरह काबू कर लिया था. मेहताब को यह बात पता नहीं थी कि परवीन का असली मकसद क्या है. वह उसे अपनी प्रेमिका समझता था.

जुलाई, 2014 के अंतिम सप्ताह में परवीन ने आसिफ से कहा, ‘‘मछली जाल में फंस गई है. अब यह बताओ उस का शिकार कब और कहां करना है?’’

‘‘परवीन, अभी 29 जुलाई को ईद है. ऐसा करते हैं ईद के बाद तुम उसे शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन ले आना. वहां से हम उसे कहीं और ले जाएंगे.’’ आसिफ ने उसे बताया.

आसिफ खान ने मेहताब से बदला लेने की पूरी योजना बना ली. योजना में उस ने अपने दोस्त जाहिद उर्फ सलमान और शाहरुख को भी शामिल कर लिया.

3 अगस्त, 2014 को योजना के अनुसार परवीन जहां ने मेहताब को सुबह 10 बजे फोन कर के शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन पर मिलने के लिए बुलाया. मेहताब उस से मिलने के लिए तैयार हो गया. उस ने कहा कि वह एकडेढ़ बजे तक शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन पहुंच जाएगा. परवीन ने यह बात आसिफ खान को बता दी.

आसिफ ने योजना के अनुसार, अपनी सैंट्रो कार नंबर डीएल3सीएबी-7021 में एक रस्सी का टुकड़ा और जूट की बोरी रख ली. इस के बाद उस ने शाहरुख को अपने घर बुलाया. शाहरुख उस के पास पहुंच गया तो उसे कार में बिठा कर वह जाहिद के घर की तरफ चल दिया. जाहिद को उस के घर से बुला कर उसे भी कार में बिठा लिया. दोनों दोस्तों को ले कर वह दोपहर साढ़े 12 बजे शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन पहुंच गया.

परवीन जहां शास्त्री पार्क में रहती ही थी. वह भी उधर से मेट्रो स्टेशन पहुंच गई. वह मेहताब से फोन द्वारा संपर्क बनाए हुए थी. करीब डेढ़ बजे मेहताब शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन पहुंचा. परवीन भी मेट्रो स्टेशन पहुंच गई. वह मेहताब से बातें करते हुए उसे स्टेशन से नीचे उतार कर आसिफ की कार के पास ले आई. जैसे ही मेहताब कार के नजदीक पहुंचा जाहिद और शाहरुख ने उसे कार में खींच कर उस का मुंह दबोच लिया. फिर तमंचा दिखा कर उसे चुप रहने को कहा.

आसिफ ने तुरंत कार चला दी. इस से पहले उस ने परवीन का मोबाइल अपने पास रख लिया था. वह तेज गति से कार चलाता हुआ मेरठ की तरफ निकल गया. रास्ते में शाहरुख और जाहिद ने मेहताब की बहुत पिटाई की. मेरठ से निकलते ही आसिफ पिछली सीट पर आ गया और जाहिद कार चलाने लगा.

आसिफ के दिल में बदले की चिंगारी सुलग रही थी. उस ने अपने हाथों से मेहताब की पिटाई करनी शुरू कर दी. मेहताब के शरीर पर तमाम गंभीर चोटें आई थीं जिस से उसे बहुत दर्द हो रहा था. दर्द उस की सहनशक्ति से बाहर हो गया तो उस ने चिल्लाना शुरू कर दिया. उसी दौरान आसिफ ने कार में रखे रस्सी के टुकड़े से उस का गला घोंट दिया.

मेहताब की हत्या करने के बाद उन्होंने उस की लाश कार में पहले से रखी जूट की बोरी में डाल दी और जिस रस्सी से गला घोंटा था, उस से बोरी का मुंह बांध दिया. उन्होंने खतौली के पास से गुजर रही गंगनहर में वह बोरी डाल दी. वहीं पर उन्होंने मेहताब और परवीन के मोबाइल फोन भी फेंक दिए. लाश ठिकाने लगा कर वे सभी अपने घर लौट आए.

मेहताब से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 13 सितंबर को ही उस के साथियों जाहिद उर्फ सलमान, शाहरुख और परवीन जहां को भी गिरफ्तार कर लिया. सभी अभियुक्तों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 14 सितंबर को उन्हें तीसहजारी न्यायालय में पेश कर उन का 3 दिनों का पुलिस रिमांड लिया.

रिमांड अवधि में पुलिस उन्हें खतौली ले गई और गोताखोरों के माध्यम से मेहताब की लाश ढूंढनी शुरू कर दी. कई किलोमीटर तक गोताखोर उस की लाश ढूंढते रहे लेकिन लाश नहीं मिली.

16 सितंबर को सभी आरोपियों को फिर से न्यायालय में पेश किया जहां से आसिफ को एक दिन के पुलिस रिमांड पर दे कर अन्य अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस ने आसिफ की निशानदेही पर उस की सैंट्रो कार भी बरामद कर ली.

आसिफ से विस्तार से पूछताछ करने के बाद न्यायालय में पेश कर उसे भी जेल भेज दिया. कथा लिखने तक सभी अभियुक्त जेल में बंद थे. मामले की विवेचना इंसपेक्टर राजीव विमल कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. (मुमताज परिवर्तित नाम है)

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