पश्चिमी दिल्ली के मादीपुर इलाके में रहने वाला 28 वर्षीय मेहताब प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. वह रात 9-10 बजे तक अकसर घर आ जाता था. 3 अगस्त, 2014 को नियत समय पर न तो वह घर आया और न ही उस का फोन मिल रहा था. इस से घर वाले बहुत परेशान हो गए. बड़े भाई मेहराज खान ने मेहताब के जानने वाले कई लोगों को फोन किया लेकिन किसी से भी उस के बारे में जानकारी नहीं मिली.

उस समय आधी रात बीत चुकी थी. इतनी रात में उसे कहां ढूंढा जाए, यह बात वह समझ नहीं पा रहे थे. मेहताब की चिंता में घर वालों को रात भर नींद नहीं आई. अगले दिन 4 अगस्त को मेहराज खान पुलिस चौकी मादीपुर पहुंच गया. चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया को छोटे भाई के गायब होने की बात बता कर उस की गुमशुदगी लिखा दी.

मेहताब की गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया ने इस की जांच हेडकांस्टेबल सतीश कुमार को करने के निर्देश दिए. सतीश कुमार ने सब से पहले मेहताब का हुलिया बताते हुए गुमशुदगी की सूचना दिल्ली के समस्त थानों में वायरलैस द्वारा प्रसारित करा दी. इस के बाद उन्होंने आसपास के अस्पतालों में भी संपर्क कर यह जानने की कोशिश की कि करीब 28 साल का कोई दुर्घटना का शिकार व्यक्ति दाखिल तो नहीं हुआ है.

उन्होंने मेहताब के घर वालों से भी बात की और पूछा कि मेहताब का किसी से कोई लड़ाईझगड़ा तो नहीं चल रहा. घर वालों ने पुलिस को बता दिया कि उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.

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