प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष के गठबंधन के ‘इंडिया’ नाम रखने पर आलोचना के लिए शब्द…. जुमले में वक्तव्य की ड्राफ्टिंग बनातेबनाते लंबा समय लग गया. जैसा कि देश के सामने है, अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 26 राजनीतिक दलों ने ‘इंडिया’ नामक गठबंधन बनाया है. इस नाम से अगर किसी को सब से ज्यादा पीड़ा हो रही है तो वह है भारतीय जनता पार्टी, क्योंकि वह बातबात में देश और देशभक्ति की बातें करने से पीछे नहीं रहती.

संभवतः देशभक्ति के लिए अपना ट्रेडमार्क करवा रखा है, ऐसे में विपक्ष का अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख लेना भाजपा के लिए मानो किसी बड़े आघात से कम नहीं है. अब ‘इंडिया’ बनाम ‘एनडीए’ जब देश के सामने है और यह सुर्खियों में है तो प्रथमदृष्टया ही ‘इंडिया’ ‘एनडीए’ पर भारी पड़ने लगा है.

भारतीय जनता पार्टी, जो वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ है और आगामी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल करना चाहती है, की छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है. ‘इंडिया’ नाम से भाजपा का पसीना निकलने लगा है. शायद यही कारण है कि बहुत सोचविचार कर के स्वयं प्रधानमंत्री 25 जुलाई, 2023 को पार्टी के संसदीय दल की बैठक में विपक्ष पर हमला करने के लिए परदे के पीछे से आ गए और राजनीतिक विपक्ष दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की आलोचना उन्होंने अपनी नकारात्मक शैली में की. सिर्फ विरोध करने के लिए देश के विपक्षी पार्टियों की तुलना ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ से कर दी और विपक्षी दलों पर अपनी गरिमा से हट कर हमला करते हुए ‘इंडियन मुजाहिदीन’, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का हवाला दिया और कहा कि देश की जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता है ‘इंडिया’ नाम से.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन इंडियन नैशनल डवलपमैंटल इन्क्लूसिव अलायंस यानी ‘इंडिया’ को देश का अब तक का सब से ‘दिशाहीन’ गठबंधन करार दिया.

साथ ही, नरेंद्र मोदी ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ और ‘इंडियन मुजाहिदीन’ जैसे नामों का हवाला देते हुए कहा, “केवल देश के नाम के इस्तेमाल से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वक्तव्य उन की तरफ से जारी नहीं हुआ है. इसे मीडिया में ले कर आए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी. इस का तात्पर्य है कि नरेंद्र मोदी पहली दफा देश के 26 विपक्षी दलों पर प्रत्यक्ष रूप से खुल कर हमला करने की स्थिति में नहीं हैं. यह हमला उन्होंने एक तरह से परदे के पीछे से किया है, जिस के कई अर्थ आज हमारे सामने हैं. सब से पहला तो यह कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी विपक्ष के ‘इंडिया’ नाम रखने से एक तरह से अपनेआप को कमजोर और मजबूर पा रही है कि कहीं ‘इंडिया’ की आलोचना करने से देश की सत्ता हाथ से न चली जाए.

जिस तरह नरेंद्र मोदी ने ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ से आज के 26 विपक्षी दलों की एकता और गठबंधन के नाम की तुलना कर के आलोचना की है, वह बताता है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी पहली बार कुछ कदम पीछे हट रहे हैं.

‘इंडिया’ से डरी भाजपा

आज भाजपा से सवाल यह है कि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का विरोध जिस तरह छुपछुप कर किया जा रहा है, क्या उन के पास जवाब है कि स्वयं उन की पार्टी भारतीय जनता पार्टी में ‘भारतीय’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है? जब भाजपा का निर्माण हुआ, तो यह कहा जा सकता था कि आप भी ‘भारतीय’ शब्द के माध्यम से यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत के लोग आप के साथ हैं. कांग्रेस या किसी ने भी यह मुद्दा नहीं उठाया, आलोचना नहीं की. संसदीय दल में अपने मुंह मियां मिट्ठू बन मोदी कह रहे थे कि राजग को लगातार तीसरा कार्यकाल मिलना तय है.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के ‘हताश और निराश’ व्यवहार का उल्लेख किया और कहा कि उस के इस रुख से यह दिखाई पड़ता है कि उस ने आने वाले कई सालों तक विपक्ष में रहने का निर्णय लिया है.

विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ (गठबंधन) नाम के बैनर तले लामबंद होने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रतिबंधित चरमपंथी और आतंकवादी संगठनों सहित कुछ अन्य संगठनों के इतिहास का हवाला दिया और समूह को भ्रष्ट नेताओं और पार्टियों का गठबंधन बताया.

प्रधानमंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप देश को तोड़ना चाहते हैं, इसे विभाजित करना चाहते हैं, लोगों को गुमराह करने के लिए ‘इंडिया’ और ‘इंडियन’ जैसे नामों का इस्तेमाल किया है. भारत की जनता अब और परिपक्व हो गई है और इस तरह के नामकरण से गुमराह नहीं होगी. भाजपा की ओर से विपक्षी दलों पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे अधिक गैरजिम्मेदार हो गए हैं और इस से सत्तारूढ़ दल के लिए अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करना अनिवार्य हो गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया भी सोचती है, भारत के लोग भी सोचते हैं कि यह शुरुआत है. इसलिए दुनिया भी इस सरकार के साथ, इस नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना चाहती है, इसलिए बहुत महत्त्वपूर्ण समझौते हुए हैं. विश्व में भारत की मान्यता बहुत बढ़ रही है. यह सारे तथ्य बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की टीम आज किस तरह प्रैशर में है.

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