चंद्रयान अभियान के साथ एक बार फिर यह सच्चाई हमारे सामने आईने की तरह है की हमारे देश में चाहे जितनी भी तरक्की हो जाए हम पोंगा पंथ और अंधविश्वास से आज भी जकड़े हुए हैं. हमारे वैज्ञानिक और पढ़े लिखे लोग भी इससे बच नहीं पा रहे हैं .

पहली बात तो यह कि चंद्रयान अभियान कि देश को आवश्यकता ही नहीं थी. क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे मानवता को या किसी राष्ट्र को किंचित भी लाभ मिल सके. ऐसे में भारत का यह अभियान और करोड़ों रुपए का खेल सिवाय होलिका दहन के सिवा कुछ भी नहीं है. हमारे वैज्ञानिकों को कुछ ऐसा करना चाहिए जो दुनिया में अभूतपूर्व हो मगर चंद्रयान अभियान को लकीर का फकीर या फिर कहा जाए जा चुके सांप की लकीर पर लाठी पीटने के अलावा कुछ भी नहीं है. यही नहीं चंद्रयान 3 के पूर्व जिस तरह पूजा पाठ का संव्यवहार दुनिया ने देखा है वह यह जग जाहिर करता है कि हमारे देश ने तरक्की चाहे जितनी भी कर ली हो मगर हमारी मानसिकता अभी भी बहुत ही पिछड़ी हुई है.

मजे की बात तो यह है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में होते और चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण से पूर्व कुछ ऐसा आह्वान कर देते जो हास्यास्पद है जैसा कि करोना काल में थाली कटोरा बजाना . तो हर भारतवासी आंख बंद करके चंद्रयान की सफलता के लिए यह सब बिना सोचे समझे करने लगता कि यह उचित भी है की नहीं.

भारत ने 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एलवीएम 3 – एम 4 राकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन- चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया. इस अभियान के तहत पिछली बार की असफलताओं के मद्देनजर चांद की सतह पर एक बार फिर ‘साफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा. इसमें सफलता मिलते ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन जैसे देशों के कतार में खड़ा हो जाएगा और यह इस तरह का कीर्तिमान स्थापित करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा.

सिर्फ इस एक लाइन के भरोसे जिस तरह भारत को आज हमारा राजनीतिक नेतृत्व खड़ा करना चाह रहा है उसका मकसद हर एक भारतवासी को समझना चाहिए कि इससे हमें कुछ मिलने वाला नहीं है यह सिर्फ एक राजनीतिक मुंह जोरी बन कर रह जाएगा.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक चंद्रयान-3 की ‘साफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है. पंद्रह साल में इसरो का यह तीसरा चंद्र मिशन है. ‘साफ्ट लैंडिंग’ इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगी. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के कारण ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. और दुनिया में हमारी किरकिरी हुई थी मुंह की खानी पड़ी थी.

आखिरकार 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में एलवीएम 3 – एम 4 राकेट अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे ‘लांच पैड’ से शुक्रवार दोपहर बाद 2:35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुबार छोड़ते हुए आकाश की ओर रवाना हुआ. इसकी वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हैं जिसमें लोग किलकारियां मारते कैसे खुश हो रहे हैं जैसे मानो कोई कीला फतह हो गया हो.
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन माड्यूल राकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया.

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