शादी के रिश्ते में सबसे जरूरी बात क्या है, यह पूछने पर कई तरह के जवाब मिलते हैं, जैसे एकदूसरे को समझना चाहिए, एकदूसरे का खयाल रखना चाहिए और बाकी अलगअलग तरह की और भी कई बातें. लेकिन जिंदगी की सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है नींद, इसके बारे में कोई बात नहीं करता.

हाल ही के नए जेनरेशन के शादीशुदा कपल के बीच एक नया ट्रैंड शुरू हुआ है, जो ट्विटर पर ‘स्लीप डाइवोर्स’के नाम से काफी ट्रैंड हो रहा है.

दरअसल,स्‍लीप डाइवोर्स तब होता हैजब अच्छी और बेहतर नींद के लिए कपल अलगअलग कमरे, अलग बिस्तर या फिर या अलगअलग समय पर सोते हैं. इसे हम स्लीप डाइवोर्स कहते हैं. इसके ट्रैंड में आने का कारण है कपल्स की नींद का पूरा न हो पाना.

स्‍लीप डाइवोर्स ठीक से नींद न ले पाने वाले लोगों के लिए बड़ा समाधान है. स्‍लीप डाइवोर्सवह है जिसमें पार्टनर्स रात को साथ में न सोकर अपनी सुविधानुसार अलगअलग सोते हैं. इसके चलते कपल्स की नींद भी पूरी हो जाती है और वे अगली सुबह पूरी एनर्जी के साथ उठते हैं. हालांकि,इसका चलन बेहद पुराना है.

साल 1850 में यह ट्विन-शेयरिंग बैड के नाम से फेमस हुआ. तब के समय में पतिपत्नी एक कमरे में तो होते थेलेकिन होटलों की तर्ज पर ट्विन-शेयरिंग बैड की तरह एक रूम में ही 2 अलगअलग बिस्तर पर सोया करते थे. यह इसलिए शुरू हुआ ताकि पतिपत्नी एक रूम में साथ होकर भी बिना एकदूसरे को डिस्टर्ब किए आराम से नींद पूरी कर सकें. लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफैसर हिलेरी हिंड्स ने इस पर कल्चरल हिस्ट्री औफ ट्विन बैड्स के नाम से एक किताब भी लिखी है. बुक के अनुसार, उस समय में डाक्टर नींद न पूरी होने पर मानसिक नुकसान मानते थे.जैसे,दिनभर की भागदौड़ व सोने के समय में देरी होना. इस के अलावा पार्टनर के सोने की खराब आदतें या खर्राटे, पार्टनर का देर तक काम में लगे रहना आदि.

ग्रेट इंडियन स्लीप2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 55 प्रतिशत लोग रात में 11 बजे के बाद सोते हैं जिसके कारण 8 घंटे से कम नींद ले पाते हैं. साथ ही,हैल्थ टैक्नोलौजी कंपनी फिलिप्स इंडिया की2019 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 93 प्रतिशत भारतीय पूरी नींद नहीं ले पाते और इनमें से करीब 58 प्रतिशत लोग 7 घंटे से कम नींद ले पाते हैं.

नींद पूरी न होने के कारण रिश्तों पर सीधासीधा असर होता है. नींद की कमी से जूझते जोड़े छोटीमोटी बातों पर भी उलझ पड़ते हैं. इस के कारण चिड़चिड़ापन होता है और यह कारण  भी झगड़े का मुख्य कारण बन जाता है.

लोग मानते हैं कि स्लीप डाइवोर्ससे नींद पूरी होती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसके अलावा एकसाथ होने के बाद हर किसी का अपना एक पर्सनल स्पेस होता है, जो हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है. कई लोग सोने से पहले किताबें पढ़ना चाहते हैं, कई लोगों को मैडिटेशन के बाद सोने की आदत होती है. तो इस समय में आप अपनी चीजों के लिए समय निकाल सकते हैं.

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