उत्तर प्रदेश के जिला मथुरा के थाना यमुनापार के गांव ढहरुआ में रहता था भागचंद. उस की गिनती गांव के खुशहाल लोगों में होती थी. उस के 7 बेटे और 3 बेटियां थीं. उस ने सभी बच्चों को खूब पढ़ाना चाहा था, लेकिन उस का कोई भी बेटा ज्यादा नहीं पढ़ सका, तब उस ने सभी को उन की मरजी के मुताबिक काम सिखवा दिए.

उस के 3 बेटे शटर बनाने का काम करने लगे. बच्चे कमाने लगे तो भागचंद की मौज हो गई. बच्चे जो भी कमाते थे, वह उसी को देते थे. जैसे जैसे बच्चे जवान होते गए, वह उन की शादियां करता गया.

भागचंद ने अपने बेटे भूरा की शादी मथुरा से और उस से छोटे खन्ना की शादी जिला आगरा के गांव मितावली इंकारपुर की कुसुमा से की थी.

कुसुमा के पिता की मौत हो चुकी थी. इस के बाद घर में मां मनिया के अलावा 3 बहनें और एक भाई था. खन्ना अपनी कमाई से जो पैसे पिता को देता था, शादी के बाद देने बंद कर दिए थे. उन पैसों से अब वह अपनी गृहस्थी चलाने लगा था.

कुसुमा खन्ना के साथ बहुत खुश थी. उन्हीं दिनों भागचंद ने अपनी बेटी पिंकी की शादी राजस्थान के कस्बा कुम्हेरपुर के रामवीर के साथ कर दी. रामवीर भी खातेपीते परिवार का था. पिंकी को ससुराल में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी.

रामवीर का छोटा भाई श्यामवीर भी शादी लायक था. भागचंद को श्यामवीर छोटी बेटी किन्ना के लिए ठीक लगा तो उस के पिता देवी सिंह से बात की.

देवी सिंह का परिवार पिंकी से काफी खुश था, इसलिए उन्हें इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं था. इस के बाद किन्ना की शादी श्यामवीर के साथ हो गई. इस तरह भागचंद की दोनों बेटियों की शादी एक ही घर में हो गई.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. समय के साथ कुसुमा 2 बच्चों की मां बन गई. खन्ना का शटर बनाने का काम बढिय़ा चल रहा था. पिंकी अपने पति रामवीर के साथ जल्दीजल्दी मायके आती रहती थी. रामवीर मजाकिया स्वभाव का था, इसलिए अपनी सलहज कुसुमा से वह खूब मजाक करता था.

यह बात उस के साले खन्ना को अच्छी नहीं लगती थी. कभीकभी खन्ना अपने बहनोई रामवीर के मजाक करने पर ऐतराज कर दिया करता था. तब रामवीर कहता, “साले साहब, सलहज से हमारा मजाक करने का हक है, इस में आप को क्यों बुरा लगता है. भाभी को तो कोई ऐतराज नहीं है.”

खन्ना कहता, “मजाक का भी कोई समय होता है. हर समय हंसीमजाक अच्छा नहीं लगता. उस की भी एक सीमा होती है, लेकिन आप हैं कि मानते ही नहीं.”

मगर खन्ना की बातों का रामवीर पर कोई असर नहीं पड़ा. वह जब तक ससुराल में रहता, खन्ना परेशान रहता. खन्ना ने कई बार अपने पिता से भी कहा, “आप जीजाजी को समझाते क्यों नहीं, वह इतने फूहड़ मजाक करते हैं.”

भागचंद दामाद के बजाय उसे ही समझाता, “बेटा, दामाद से इस तरह की बात करना ठीक नहीं है. फिर वह मजाक ही तो करता है. वह यहां महीनों तो रहता नहीं, एकदो दिन रह कर चला जाता है. इस बात को ले कर उसे नाराज नहीं करना चाहिए, हम ने उसे बेटी दी है, बेटी की वजह से हमें चुप रहना चाहिए.”

रामवीर को किसी की कोई परवाह नहीं थी. वह जब भी ससुराल आता, कुसुमा के आगेपीछे मंडराता रहता और हंसीमजाक करता रहता. जब वह चला जाता तो खन्ना इस बात को ले कर कुसुमा से खूब झगड़ता.

एक दिन भागचंद को खबर मिली कि उस की बेटी बीमार है. यह खबर सुन कर वह परेशान हो उठा. उसे देखने के लिए वह बेटे खन्ना के साथ उस की ससुराल कुम्हेरपुर पहुंचा. वहां जा कर पता चला कि पिंकी की हालत बहुत नाजुक है.

बेहतर इलाज के लिए वह बेटी को एक बड़े अस्पताल ले गया, लेकिन वहां भी उस की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. लाख कोशिशों के बाद भी डाक्टर पिंकी को नहीं बचा पाए.

पिंकी की मौत उस के मायके वालों के लिए एक बड़ा सदमा थी. उस के बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पिंकी की छोटी बहन किन्ना ने ले ली. पत्नी की मौत के बाद भी रामवीर जबतब अपनी ससुराल आता रहता था. ससुराल में अब भी उस की पहले की ही तरह इज्जत होती थी. कुसुमा उस की पहले की ही तरह खातिरदारी करती थी.

खन्ना को अब रामवीर का आना बिलकुल भी नहीं अच्छा लगता था. उसी की वजह से अब उस के और कुसुमा के बीच तनाव रहने लगा था. खन्ना की बात पर घर में कोई ध्यान नहीं देता था और न ही कोई उस के मानसिक तनाव को समझने की कोशिश करता था.

जबकि सच्चाई यह थी कि कुसुमा रामवीर की तरफ आकॢषत होती जा रही थी, जिस की वजह से उस के दांपत्य में दरार पडऩे लगी थी. रामवीर और कुसुमा के बीच वे बातें भी होने लगीं, जो दोनों को एकदूसरे के करीब लाने वाली थीं.

एक दिन रामवीर ने कुसुमा को मथुरा में मिलने को कहा, लेकिन कुसुमा ने कहा कि घर के सभी लोग शादी में जा रहे हैं, इसलिए घर में अकेली होने की वजह से वह वहां नहीं आ सकती. उस ने रामवीर को अपने यहां आने को कहा. तब रामवीर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि ऐसे में वह उस के घर आ सकता था.

मौके का फायदा उठाने के लिए रामवीर अपनी ससुराल पहुंच गया और एकांत का फायदा उठा कर दोनों ने उस दिन मर्यादाएं लांघ कर इच्छा पूरी कर ली. रामवीर ने साले के दांपत्य में सेंध लगा दी. खन्ना को बीवी की बेवफाई का पता नहीं चला. कुसुमा को भी अपनी बेवफाई पर कोई ग्लानि नहीं हुई.

उस दिन के बाद से कुसुमा का पति के प्रति व्यवहार बदलने लगा. खन्ना जब कभी उस से झगड़ता, वह मायके जाने की धमकी देने लगती. खन्ना समझ नहीं पा रहा था कि कुसुमा अब इस तरह की बातें क्यों करती है. वह अंदर ही अंदर तनाव में घुटने लगा. दूसरी ओर कुसुमा को किसी बात की परवाह नहीं थी.

उसी बीच मथुरा में रामवीर और कुसुमा की मुलाकात हुई तो कुसुमा ने उस से कहा कि खन्ना को अब उस पर शक हो गया है. वह छोटीछोटी बात पर उस की पिटाई करने लगा है. तब रामवीर ने कहा, “मैं खन्ना से बात करूंगा.”

“नहीं, तुम उस से कुछ मत कहना. अब मेरे घर भी मत आना. जब कभी मिलना होगा, हम बाहर ही मिल लिया करेंगे. लेकिन इस समस्या का कोई हल तो ढूंढऩा ही होगा. आखिर मैं कब तक उस से पिटती रहूंगी.” कुसुमा ने कहा.

कुसुमा की बात पर रामवीर गंभीर हो गया. उसे लगा कि कुछ तो करना ही होगा. कुसुमा ने कहा, “चलो, हम कहीं भाग चलते हैं.”

“नहीं, इस से बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. तुम्हें यह तो पता ही है कि मेरा छोटा भाई श्यामवीर भी उस घर का दामाद है. जब मैं घर में नहीं रहूंगा तो खन्ना को पूरा विश्वास हो जाएगा कि मैं ही तुम्हें भगा कर ले गया हूं. तब ससुराल वालों से श्यामवीर के संबंध खराब हो जाएंगे. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से श्यामवीर की गृहस्थी बिगड़े.”

रामवीर ने कुसुमा को भरोसा दिया कि वह इस बारे में कुछ न कुछ जरूर करेगा. अगर जरूरत पड़ी तो खन्ना को रास्ते से हटा कर हमेशा की टेंशन खत्म कर देगा.

होली पर रामवीर बिना बुलाए मेहमान की तरह भागचंद के घर पहुंच गया. खन्ना को उस का आना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. लेकिन वह खामोश रहा. होली के बहाने रामवीर ने कुसुमा को अपनी बाहों में भर लिया. रामवीर की इस हरकत से नाराज हो कर खन्ना ने रामवीर की पिटाई कर दी.

रामवीर अपनी सफाई में यही कहता  रहा कि वह तो सलहज के साथ होली खेल रहा था. लेकिन खन्ना का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था. आखिर में घर वालों ने बीचबचाव कर के रामवीर को छुड़ाया.

इस घटना से रंग में भंग पड़ चुका था. खन्ना ने तय किर लिया था कि अब वह रामवीर को किसी भी कीमत पर अपने घर नहीं आने देगा.

रामवीर की पिटाई से कुसुमा भी डर गई थी. उस ने पहली बार पति का ऐसा गुस्सा देखा था. खन्ना ने उसे भी चेतावनी दी थी कि वह संभल जाए वरना बहुत पछताएगी. उस दिन कुसुमा को लगा कि अब वह रामवीर से कभी नहीं मिल पाएगी.

लेकिन रामवीर ने तो कुछ और ही सोच लिया था. वह खन्ना से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था. वह सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए, जिस से वह खन्ना से बदला भी ले ले और कुसुमा भी हासिल हो जाए.

खन्ना को लगा कि रामवीर इतने अपमान के बाद अब उस के घर नहीं आएगा. वह अपने काम में मन लगाने लगा. कुसुमा का व्यवहार भी उसे सामान्य लगने लगा था. इस तरह वह बेफिक्र हो गया.

लेकिन उस की यही लापरवाही आगे चल कर उस की मुसीबत बनने वाली थी. उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पत्नी की आशिकी उसे कभी मौत की सौगात दे जाएगी.

रामवीर और खन्ना के बीच हुए झगड़े के बाद कुसुमा भी सतर्क हो गई थी. उस का रामवीर से भले ही मिलना नहीं हो रहा था, पर वह उस से फोन पर बातें करती रहती थी. जब कभी उसे मौका मिलता, वह फोन पर बात कर के निश्चित जगह पर उस से मिल भी लेती थी.

27 अगस्त, 2015 को सवेरे शटङ्क्षरग ठेकेदार अजीत चौधरी ने खन्ना के घर का दरवाजा खटखटाया. खन्ना ने दरवाजा खोला तो अजीत ने कहा कि उसे अभी उस के साथ चलना होगा, क्योंकि पार्टी को अभी काम पूरा कर के देना है. अगर समय पर उस के शटर बना कर नहीं दिए तो परेशानी हो जाएगी.

खन्ना ने कहा, “ठीक है, तुम 2 मिनट ठहरो, मैं अभी तैयार हो कर आता हूं.”

इस के बाद खन्ना ठेकेदार अजीत चौधरी के साथ चला गया. उस दिन अजीत चौधरी के साथ गया खन्ना फिर कभी वापस नहीं लौटा.

खन्ना देर रात तक वापस नहीं लौटा तो घर वालों ने अजीत को फोन किया, क्योंकि वह उसी के साथ गया था. अजीत ने बताया कि खन्ना तो शाम को ही काम खत्म कर के घर चला गया था.

जब काम खत्म कर के घर के लिए चला था तो रास्ते से कहां गायब हो गया? घर वालों ने रात में ही खन्ना की खोजबीन शुरू कर दी. लेकिन वह नहीं मिला. घर वाले रात भर उस की ङ्क्षचता में परेशान रहे. जैसेतैसे उन की रात बीती. सवेरा होते ही वे सब फिर खन्ना को तलाशने लगे.

किसी ने चैतन्य अस्पताल के सामने खाली पड़े प्लौट में खन्ना की लाश देखी तो उस के घर वालों को बता दिया. वे वहां पहुंच गए. भागचंद ने जब बेटे की लाश देखी तो फूटफूट कर रोने लगा.

खबर मिलने पर थाना यमुनापार के थानाप्रभारी संतोष कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने लाश का मुआयना किया तो उस के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला. गले में बनियान बंधा था. इस से अंदाजा लगाया गया कि इसी बनियान से उस का गला घोंटा गया था.

भागचंद का शक शटङ्क्षरग ठेकेदार अजीत चौधरी पर था, क्योंकि वही उसे अपने साथ घर से लिवा कर ले गया था. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने खन्ना के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने भागचंद की तरफ से रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्होंने अपना शक अजीत चौधरी पर जताया था. अजीत चौधरी थाना मांट के कुढ़वारा गांव का रहने वाला था. दबिश दे कर पुलिस ने उसे उस के घर से हिरासत में ले लिया.

पुलिस ने अजीत से पूछताछ की तो उस ने खुद को बेकसूर बताया. उस ने कहा कि खन्ना लंबे समय से उस के साथ काम कर रहा था. उस के साथ उस के काफी अच्छे संबंध थे. कोई ऐसी वजह नहीं थी, जिस से वह उस की हत्या करता.

पुलिस ने उस से कई तरह से पूछताछ की. लेकिन कोई हल नहीं निकला. इस पूछताछ में अनुभवी थानाप्रभारी को वह वास्तव में बेकसूर लगा. उन्होंने उसे छोड़ दिया.

मृतक खन्ना के परिवार वालों को जब इस बात का पता चला तो वे हंगामा करते हुए थाने पहुंच गए और अजीत को जेल भेजने की मांग करने लगे.

इस हंगामे में रामवीर बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा था. थानाप्रभारी ने मृतक के परिजनों को समझाया कि वह खन्ना के हत्यारे को पकड़ कर जेल जरूर भेजेंगे.

इस के बाद पुलिस ने खन्ना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि उस के मोबाइल पर आने वाली आखिरी काल खन्ना के बहनोई रामवीर की थी.

पुलिस ने रामवीर के बारे में छानबीन शुरू की तो गांव वालों से पता चला कि होली वाले दिन रामवीर ने खन्ना की बीवी को छेड़ा था, तब खन्ना ने उस की पिटाई कर दी थी.

इस बात की पुष्टि के लिए पुलिस ने खन्ना के घर वालों से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि रामवीर के साथ खन्ना का झगड़ा तो हुआ था, लेकिन वह झगड़ा ऐसा नहीं था कि रामवीर खन्ना की हत्या कर देता. फिर होली के बाद रामवीर उन के यहां आया भी नहीं था.

पुलिस को अब तक पता चल चुका था कि खन्ना की बीवी कुसुमा से रामवीर का कोई चक्कर था. इस के बाद पुलिस के सामने तसवीर साफ हो गई.

दूसरी ओर रामवीर को किसी तरह पता चल गया कि पुलिस को उस पर शक हो गया है तो वह फरार हो गया. उस के फरार होने की जानकारी पुलिस को मिल गई. लिहाजा 2 सिपाहियों को उस के घर पर लगा दिया गया. जैसे ही वह घर लौटा, पुलिस ने उसे दबोच लिया.

पुलिस रामवीर को पकड़ कर थाने ले आई और पूछताछ शुरू कर दी. रामवीर ने पहले तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपने साले खन्ना की हत्या की थी और उस की लाश को चैतन्य अस्पताल के सामने खाली पड़े प्लौट में फेंक दिया था.

रामवीर ने यह भी स्वीकार किया कि उस की सलहज कुसुमा से उस के नाजायज संबंध थे. कुछ समय तक तो सब कुछ ठीकठाक चला, लेकिन कुछ दिनों बाद खन्ना को उस पर शक होने लगा और उसे उस का आनाजाना अखरने लगा.

वह किसी भी कीमत पर कुसुमा से संबंध तोडऩा नहीं चाहता था. कुसुमा भी अपने पति की पिटाई से तंग आ गई थी. वह हमेशा के लिए पति से छुटकारा चाहती थी. इस के बाद दोनों ने खन्ना को ठिकाने लगाने की योजना बना ली.

उस के बाद रामवीर खन्ना का विश्वास जीतने की कोशिश करने लगा. जब उसे उस पर विश्वास हो गया तो रामवीर ने घटना वाले दिन खन्ना को फोन कर के शाम का खाना किसी होटल में खाने की बात कही.

खन्ना रामवीर को अपना दुश्मन नहीं बनाना चाहता था. उस ने सोचा कि अगर रामवीर सुधर रहा है तो उसे एक मौका अवश्य देना चाहिए. उस ने सोचा कि खाना खाते समय वह रामवीर को समझाएगा.

उस दिन सुबह ही वह ठेकेदार अजीत चौधरी के साथ काम पर निकला था. काम खत्म करने के बाद वह शाम को रामवीर की बताई जगह पर पहुंच गया. रामवीर उसे एक ढाबे पर ले गया, जहां दोनों ने खाना खाया और शराब पी.

रामवीर ने खन्ना को खूब शराब पिलाई. जब खन्ना नशे में धुत हो गया तो वह उसे एक टैंपो में डाल कर सुनसान जगह पर ले गया और अपनी बनियान से उस का गला घोंट दिया.

चूंकि उस दिन अजीत चौधरी खन्ना को घर से बुला कर ले गया था, इसलिए घर वालों का शक अजीत पर ही गया. पर पुलिस ने असली अपराधी को खोज निकाला.

रामवीर से पूछताछ के बाद पुलिस ने कुसुमा को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. कुसुमा के घर वालों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुसुमा ने ही अपने पति को मरवाया है. कुसुमा यही कहती रही कि न उस के रामवीर से संबंध हैं और न ही उस ने पति को मरवाया है.

बहरहाल, पुलिस ने रामवीर और कुसुमा को गिरफ्तार कर के कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक दोनों जेल में थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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