वैज्ञानिकों की खासीयत तो इसी में है कि वे कुछ अद्भुत सोचें जिस का आम आदमी को पता न हो और सीधे मतलब भी न हो. ???…जैसे, पृथ्वी की सूर्य से दूरी या सूर्य तारे की दूसरे अन्य उसी तरह के तारे से दूरी (अल्फा सेंटौरी एववी पाउड लाइट ईयर दूर जबकि लाइट ईयर दूरी नापने का पैमाना है जिस का मतलब है कि दूरी जितने में एक साल में लाइट एक जगह से दूसरी जगह जाएगी जब लाइट की गति 1,85,000 मील प्रति सैकंड हो) 39,90,00,00,00,00,000 किलोमीटर है…??? धार्मिक गुरु इस संख्या को अनंत कह कर टाल देते हैं पर वैज्ञानिक तर्क, टैलीस्कोप, गणित से खोजते हैं.

अब इन्हीं वैज्ञानिकों ने कहा है कि अमेरिका का प्रमुख शहर न्यूयॉर्क, जो एक द्वीप पर बसा है, धंस रहा है क्योंकि उस पर हर रोज बड़ीबड़ी बिल्डिगों, लोगों और समय का बोझ बढ़ रहा है. उन का अनुभव है कि न्यूयॉर्क पर 17 खरब टन लोहा, सीमेंट, कंक्रीट, रोड़ी, पत्थर आदि यानी 4,700 एंपायर एस्टेट जैसी बिल्डिंगों का भार हो गया है जो न्यूयॉर्क को धंसा रहा है.

वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का पानी ऊपर हो रहा है और एक दिन न्यूयॉर्क की सडक़ें पानी से भर सकती हैं.

पर साथ ही, वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि न्यूयॉर्क वालों को अभी नावें खरीदने की जरूरत नहीं है. धंसने से पानी के ऊपर आने की गति इतनी धीमी है कि न्यूयॉर्क के मैनहट्टन इलाके, जो ठोस रौक पर बसा है, में पानी पहुंचने में कई सौ साल लगेंगे.

वैज्ञानिकों की तरह प्रलय की भविष्यवाणी सभी धर्मगुरु करते रहे हैं पर उन का उद्देश्य सिर्फ एक होता है कि आप के पास आज जो है वह चर्च, मठ आश्रम, मसजिद को दे दो. प्रलय के बाद भगवान आप दानियों को स्वर्ग में सुरक्षित स्थान देगा. जबकि, वैज्ञानिक छिपी हुई चेतावनी देता है कुछ ज्ञान बढ़ाने के लिए तो कुछ नीतियों को बनाने वालों को नई सोच देने के अवसर देने के लिए.
न्यूयॉर्क फिलहाल बस 1 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की गति से धंस रहा है.

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