पाकिस्तान में भी विपक्षी नेताओं को अदालतों के जरिए उसी तरह नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है, जैसे भारत में हो रहा है. तहरीके ए इंसाफ पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर 145 केस दायर किए गए हैं और अदालतों से उन की गिरफ्तारी के आदेश लिए जा रहे हैं. एक मामले में 2 दिन गिरफ्तार रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया पर बाकी मामलों की सुनवाई होती रहेगी.

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति वैसे ही डांवांडोल है और ऊपर से सेना व सरकार इमरान खान का विवाद खड़ा कर रहीसही हालत को गृहयुद्ध में बदलने में लगी हैं. पाकिस्तान में असल में तब से लगातार दरारें पैदा हो रही हैं जब 1924 में जालंधर, पंजाब प्रोविंस में पैदा हुए जिआ उल हक ने सैनिक सत्तापलट में राज शुरू किया था और इसलामी देवबंदी स्टाइल में देश को कट्टरपंथ की ओर धकेलना शुरू किया था. जो उन्होंने जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ किया था वही आज सेना व सरकारें मिल कर इमरान खान के साथ करना चाह रही हैं.

1980 के बाद अमेरिका और चीन दोनों ने अफगानिस्तान को ले कर पाकिस्तान को मोटा पैसा दिया जिस से वहां एक ऊंचे संभ्रातवादी वर्ग को भरपूर पैसा मिला पर आम पाकिस्तानी और ज्यादा भूखा व ज्यादा कट्टर व गुमराह हो गया. भारत के लिए यह स्थिति सुखद नहीं है क्योंकि चाहे पाकिस्तानी सेना के हमले के आसार अब शून्य रह गए हों, पाकिस्तान में अलकायदा जैसे कट्टरपंथी गुट अब पनप सकते हैं जिन्हें सेना, सरकार और इमरान खान जैसों के भी वश का संभालना न होगा. वे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कश्मीर और भारत में मुसलमानों के प्रति बरताव को ले कर अपने भक्तों को उकसा सकते हैं जो भारत के लिए सिरदर्द हो सकता है.

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