मुंबई के ठाकुर कालेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते करते संगीत से जुड़ने का निर्णय करने वाले गायक अमन त्रिखा को लंबा संघर्ष करना पड़ा. लगभग छह वर्ष तक संघर्ष करने के बाद अमन त्रिखा को संगीत रियालिटी शो ‘‘सुरक्षेत्र‘‘ से जुडऩे का अवसर मिला और इसी से उन्हे काफी शोहरत भी मिली. फिर 2012 में अमन ने फिल्म ‘‘ओह माई गॉड‘‘ में ‘‘गो गो गोविंदा‘‘ नमक गीत गाकर हंगामा बरपा दिया था. जिसके बाद‘‘ सन ऑफ सरदार‘‘, ‘‘स्पेशल 26‘‘ सहित तमाम फिल्मों में पाश्र्व गायन करते आए.  

इतना ही नहीं फिल्म खिलाड़ी 786‘ के गीत हुक्का बार‘ को गाकर जबरदस्त शोहरत बटोरी थी. अमन त्रिखा ने फिल्म ‘‘भूतनाथ‘‘ में अमिताभ बच्चन के लिए भी एक गाना गाया था. आमन त्रिखा के कई सिंगल गाने लोकप्रिय हो चुके हैं.  हाल ही में अमन त्रिखा ने संगानी ब्रदर्स मोशन पिक्चर्स’ के लिए एक गणपति का गाना अपनी आवाज में रिकॉर्ड कराया. उसी अवसर पर अमन त्रिखा से हमारी लंबी बातचीत हुई. . . . .

अमन त्रिखा से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत इस प्रकार रही. . .

आपने इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. . पर बन गए गायक?

 -जी हां! जब मैं इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा थातो फस्ट ईअर में मुझे अहसास हुआ कि मुझे तो संगीत जगत में कुछ करना है. हालांकि मैं बचपन से ही संगीत से जुड़ा हुआ यानी कि की बोर्ड’ बजाया करता था. इसे ईष्वर की देन ही कहा जाएगा कि बिना किसी ट्रेनिंग के ही मैं की बोर्ड’ बजाया करता था. मुझे सुर का भी थोड़ा ज्ञान था. क्रिकेट खेलने का भी शौक था. उस वक्त मैं उन्नीस वर्ष का था. तो संगीतक्रिकेट वगैरह बहुत कुछ चल रहा था. पर जब इंजीनियरिंग कालेज पहुंचातो एक दिन कक्षा में मैं यूं ही कुछ गुनगुना रहा थाक्योंकि उस दिन लेक्चर बहुत बोरिंग था. कुछ देर बाद मेरे बगल में बैठे हुए लड़के ने मुझसे कहा कि तू अच्छा गाता है,तू रोज गाया कर. दो तीन दिन बाद हम मेकेनिकल वर्कशॉप के लिए गए. वहां पर बड़े बड़े हाल होते हैं.  हां बात करने पर या गाने पर आवाज गूंजती है. ऐसी जगह पर गाने और अपनी आवाज को सुनने में बड़ा मजा आता है. वहां पर मैं गुनगुनाता थातो बाहर से आकर लोग मुझे अपनी पसंद का गाना गुनगुनाने के लिए फरमाइश किया करते थे. फिर मैने कालेज में गायन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. वहां मुझे सुनने के बाद मेरे दोस्तो ने मुझे टीवी के रियालिटी शो में हिस्सा लेने के लिए मुझ पर दबाव बनाया. उन दिनों इंडियन आयडल’ व सारेगामापा’ का बुखार पूरे देश में छाया हुआ था. मैं यह 2005 की बात कर रहा हॅू.

सब की बात मानकर मैने भी आॅडीशन दिया. मेरा टाॅप छह में चयन भी हो गया. इस खबर से मेरे घर वाले हैरान हो गए. क्यांेकि उन्हें पता था कि मैं की बोर्ड’ बजाता हॅूं,पर यह गायन की बात उनकी समझ से परे थी. मैने देखा कि टाॅप छह में जितने गायक थे,उनमें से कोई षास्त्रीय संगीत सीख रहा थाकोई कुछ सीख रहा था. खैरमैने कोशिश की और मैं दूसरे नंबर पर आया था. मैं तो ठाकुर कालेजकांदीवालीमंुबई का छात्र हॅूं. हमारे कालेज का ऑडीटेरियम भी काफी बड़ा है. वहां पर सात आठ सौ लोग मौजूद थेउन सभी ने खुब तालियां बजायी. इससे मेरा हौसला बढ़ गया.  उसके बाद मैं ज्यादा समय संगीत में देने लगा. जिसके चलते मैं तीसरे सेमिस्टर में छह विशय में फेल हो गया. जबकि पहले मैं हमेषा 95 प्रतिशत नंबर लाया करता था. बारहवीं में मैने पीसीएम में 95 प्रतिशत नंबर पाए थे. ऐसे में तीसरे सेमिस्टर में छह विशयांे में फेल होना अचंभित करने वाली बात थी. मैने सोचा कि इंजीनियरिंग छोड़कर संगीत में ही रम जाता हॅूं. उसके बाद मैने पढ़ाई पर भी ध्यान देना शुरू किया. तो पढ़ाई पूरी की. उसके बाद फिल्म इंडस्ट्ी की भागदौड़ शुरू हुईइससे तो आप भी वाकिफ हैं. मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का फिल्म इंडस्ट्ी से कोई संबंध नहीं था.

इंडियन आयडल में ऑडिशन देने से कोई फायदा मिला?

 -सच कहूं तो संगीत के रियालिटी शो में भी मुझे अहमियत नही दी गयी. वहां पर मैने देखा कि वहां भी सारे निर्णय सिफारिश पर हो रहे हैं. 2006 से 2011 तक मैने कई आॅडीशन दिए. पर हर बार एक मुकाम पर जाकर रोक दिया जाता था. हर शो में किसी न किसी प्रतियोगी की कोई न कोई सिफारिश जरुर होती थी. जिसके चलते हर बार मुझ पर गाज गिरती थी. मेरे साथ कोई नहीं था. मैं तो सिर्फ अपनी प्रतिभा का झंडा लेकर चल रहा थाजिसकी कद्र नहीं हो रही थी. पर मेरा मन कह रहा था कि एक न एक दिन अवसर मिलेगा. इसलिए मैने हार नही मानी. मैने अपना संघर्ष जारी रखा. मुझे भी समझ में आ गया था कि जिनके बाप दादा कई वर्षांे से इस इंडस्ट्ी में हैंउन्हे ही प्राथमिकता मिलेगी. मुझे अपने आप पर व ईष्वर पर भरोसा था.

जब ऑडिशन में आपको रिजेक्षन मिल रहे थेतब क्या अहसास हो रहे थे?

-बहुत दुख होता था. तकलीफ भी होती थी. गुस्सा बहुत आता था. कई बार मैं बहुत हताश हो जाता था. दिल टूटता था. लेकिन मैने सोच लिया था कि अब जिस राह पर चला हूंउस राह पर जितने भी कंकड़पत्थरकीलें हैं,उन्हें तो झेलना ही पड़ेगा.

पहला ब्रेक कैसे मिला था?

-मुझे सबसे पहले संगीतकार हिमेश रेशमिया ने फिल्म ‘‘ओह माय गाॅड’’ का गाना ‘‘गो गो गोविंदा’ गाने का अवसर दिया था. इस फिल्म में अक्षय कुमार,परेश रावल व सोनाक्षी सिन्हा थे. वास्तव में संगीत के रियालिटी शो ‘‘सुरक्षेत्र’’ में मैने हिस्सा लिया था. इसमें भारत व पाकिस्तान के गायको के बीच द्वंद था. उसमें भारतीय टीम के कैप्टन हिमेश रेशमिया जी थे.  इस शो में करीबन तीस एपीसोड में मुझे अलग अलग तरह के गाने गाते हुए हिमेश रेशमिया जी ने सुना था.  मैने गजल व रॉक सहित सब कुछ गाया था. मेरे गायन में इतनी विविधता से हिमेश जी ख्ुाश थे. इस शो में हिमेश जी ने वादा किया था कि वह मुझे एक मौका जरुर देंगेंजिसे उन्होेने ओह माय गाॅड’ में पूरा किया था. गो गो गोविंदा’ काफी लोकप्रिय हुआ. इसके बाद मुझे सन आफ सरदार’ में गाने का अवसर मिला. इसका शीर्ष गीत मैने गाया था. फिर फिल्म खिलाड़ी 786’ का गाना हुक्काबाज’,तो आज भी लोग गुनगुनाते मिल जाएंगे. उसके बाद

स्पेशल 26’ के लिए गाया. उसके बाद मुझे 2014 में फिल्म ‘‘भूतनाथ रिटर्न’ में अमिताभ बच्चन के लिए गाने को मिला. फिर सिलसिला रूका नही.

दस वर्ष के आपके कैरियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?

-देखिए,मेरा सफर आसान नही रहा. बहुत उतार चढ़ाव रहे. पहले मुझे लगा कि शुरूआत में ही तीन माह के अंदर पांच सुपरहिट गाने आ गए हैंतो अब संघर्ष खत्म हो जाएगा. पर वैसा कुछ भी नहीं हुआ. मैं इंडस्ट्ी के चलन से वाकिफ नही था. मुझे लगता था कि मैने गाना गा दिया. गाना बाजार में आ गया. बस मेरा काम खत्म. लोग ख्ुाद सुनेंगें और सवाल करेंगे कि गायक कौन हैउस वक्त मुझे प्रचार और मीडिया की कोई समझ ही नहीं थी. बाद मंे समझ मंे आया कि बाजार में गाने के आने के बाद एक अलग जंग शुरू होती है. गाने के बाजार में आने के बाद उसे हिट बनाने और लोगों तक पहुॅचाने का एक संघर्ष होता है. मीडिया से बात करनी होती हैवगैरह वगैरह समझ मंे आया. पर पहले में नासमझ थाइसलिए लोग गो गो गोविंदा ’ गुनगुना रहे थेपर उन्हे पता नहीं था कि इसका गायक कौन है.  हुक्का बार’ इतना बड़ा गाना हैपर लोगों को लगता है कि हिमेश भाई ने गाया है. अब मैं लोगो को बताने लगा कि हुक्का बार’ को मैने गाया है और हिमेश भाई ने संगीत दिया है. तो पूरे दस वर्ष संघर्ष में ही बीते हैं.  उस वक्त तो सोशल मीडिया भी नहीं था. पर अब सोशल मीडिया के माध्यम से लोगांे तक पहुंचना आसान हो गया है.  पहले जिनके इंटरव्यू टीवी पर आते थे या अखबारों मंे छपते थेलोग उन्हे ही जानते थे.

तो क्या यह माना जाए कि लोगों को अपने नाम व चेहरे से परिचित कराने के लिए 2014 में आपने अपना संगीत अलबम निकाला था?

 -जी हाॅ! मैने पहला सिंगल गाना गाया था. इसकी वजह यह थी कि मैं फिल्मों में उसी तरह के गीत गा रहा थाजिन्हे संगीतकार मुझसे गवा रहे थे. मैं वहां अपनी पसंद या नापंसद नही चला सकता था.  तो मैने अपनी पसंद का गाना गाने के लिए यह तरीका अपनाया था.

किसी भी फिल्म को गाने से पहले क्या स्क्रिप्ट पढ़ना पसंद करते हैं?

-हमें स्क्रिप्ट नही मिलती. केवल निर्देशक की तरफ से पूरी सिच्युएशन बतायी जाती है. वह बताते हैं कि गाना कहना क्या चाहता है. गाने के पात्र क्या सोच रहे हैंक्या महसूस कर रहे हैं. जिससे मैं वह सारे भाव गाते हुए गाने में ला सकॅूं.

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