राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पश्चात जहां कांग्रेस को एक नई ऊर्जा से भर दिया है वहीं अब भारतीय जनता पार्टी और उसके नामचीन चेहरे बैकफुट पर है. यही नहीं जिन लोगों ने राहुल गांधी को डूबती नैया समझ कर के छलांग लगा दी थी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर प्रश्न खड़ा किया था. मगर आज वह स्वयं प्रश्नचिन्ह से घिरे हुए हैं और उनके पास कोई जवाब नहीं है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस के एक बड़े चेहरे के रूप में गुलाम नबी आजाद हैं जिनकी छवि कांग्रेस को छोड़ने के बाद भी अभी भी एक “कांग्रेस मैन” की है उन्होंने भविष्य में कश्मीर में अपने पांव जमाने के लिए कांग्रेस को ठोकर मार कर के कश्मीर की और बढ़ गए थे मगर नई परिस्थितियों में एक तरह से उनकी बोलती बंद हो गई है.

जिस तरह गुलाम नबी आजाद को उनके समर्थक छोड़ कर के कांग्रेस की ओर भाग रहे हैं वह एक कांग्रेस के लिए सुखद संकेत है वहीं भारतीय राजनीति के उस चरित्र को भी उजागर कर रहा है जिसमें स्वार्थी नेता पद और प्रतिष्ठा पाने के लिए इस तरह पार्टियों को बदलते हैं अपने नेताओं और आकाओं को बदलते हैं. ___._ गुलाम का “सबक” ________ ‌ कांग्रेस छोड़ कर के जाने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद एक ऐसा चेहरा है जो लंबे समय से निष्ठावान कांग्रेसी के रूप में जाना जाता था मगर जैसे ही कांग्रेस की हालात उन्हें खराब महसूस होने लगी उन्हें अपना भविष्य अंधकार में दिखाई देने लगा.

संभवत यही कारण था कि उन्होंने कांग्रेस को छोड़ कर के एक नई पार्टी बना ली मगर आज जिस तरह लोकसभा चुनाव से पूर्व देश की राजनीतिक परिस्थितियां बदल रही हैं और राहुल गांधी एक सर्वमान्य नेता के रूप में देश में अपने साथ बनाते चले जा रहे हैं तो गुलाम नबी आजाद के हाथों के तोते मानो उड़ गए हैं और उनके साथी नेता कार्यकर्ता उन्हें छोड़ कर के कांग्रेस की ओर दौड़ पड़े. यह सच, भारतीय राजनीति का एक ऐसा चरित्र है जो इसकी सबसे बड़ी कमी है तो ताकत भी. जैसा कि आज देश को जानकारी है कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) से 17 नेता इस्तीफा देकर कांग्रेस में वापस आ गए हैं. इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष पीराजादा मोहम्मद सईद जैसे बड़े चेहरे शामिल हैं.

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली में इन नेताओं का स्वागत करते हुए कहा -” पार्टी का मानना है कि ये सभी नेता कांग्रेस छोड़कर नहीं गए थे, बल्कि ये दो महीने के अवकाश पर थे और अब लौटे हैं.” वेणुगोपाल ने आगे कहा -” भारत जोड़ो यात्रा के जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने से पहले हमारे कई नेता घर वापस आ रहे हैं. यह बहुत खुशी की बात है.” आज लाख टके का सवाल राजनीति की फिजा में यह तैर रहा है कि क्या गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में वापसी को लेकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संपर्क किया है .

इसका भी जवाब देते हुए
वेणुगोपाल ने कहा -” आजाद ने इससे खुद इनकार किया है.” तारा चंद और सईद के अलावा डीएपी में पदाधिकारी रहे ठाकुर बलवान सिंह, मोहम्मद मुजफ्फर परे, सहित अन्य ने कांग्रेस में वापसी की है.
कांग्रेस में वापसी करने वाले कुछ नेताओं को डीएपी से हाल ही में निष्कासित किया गया था तो कई नेताओं ने आजाद की पार्टी खुद छोड़ी है. पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद ने गांधी परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का आभार जताते हुए कहा-” हमारी पूरी उम्र कांग्रेस में बीती है. हमने जज्बाती होकर और ( आजाद से) दोस्ती के चलते गलत कदम उठा लिया था.”

रजादा मोहम्मद सईद के मुताबिक -” मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई थी. मैं कांग्रेस छोड़ने के लिए अपनी इस पार्टी और कश्मीर एवं देश के लोगों से माफी मांगता हूं.”इन सभी संवादों को अगर हम ध्यान से पढ़ें तो स्पष्ट हो जाता है कि राहुल गांधी के निर्णय अब फलीभूत होते दिखाई दे रहे हैं. जिस तरह उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद को छोड़ा और मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया उससे यह संदेश भी गया कि राहुल गांधी पद लिप्सा से दूर है सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने राजनीति के रास्ते पर पदयात्रा की जो एक बड़ी लकीर खींची है उससे भाजपा तो हतप्रभ है ही नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव सभी चिंतित हो चले हैं. शायद यही कारण है कि नीतीश कुमार ने भी ऐलान कर दिया है कि वे स्वयं 2024 के आम चुनाव के पहले भारत की पदयात्रा बड़े स्तर पर करने वाले हैं.

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