24 कैरेट के गद्दार कांग्रेस के मीडिया प्रमुख बुजुर्ग जयराम रमेश राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान यों तो संयमित से रहे लेकिन मध्य प्रदेश आ कर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर यह कहते फट पड़े कि वे 24 कैरेट के गद्दार हैं. वे शायद सोच रहे होंगे कि काश इस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार होती तो अपने युवराज का और भव्य स्वागत होता.

भड़ास निकालना जयराम का भी हक है पर वे हड़बड़ाहट में यह भूल गए कि कैरेट कीमती धातुएं नापने की इकाई है. सिंधिया तो लोहा और एल्युमिनियम सरीखे सस्ते निकले, इन्हें नापने की इकाई अभी बनी ही नहीं है. जयराम जैसे तजरबेकारों को कहना तो अब यह चाहिए कि हम बचेखुचे कांग्रेसियों की वफादारी हमेशा 28 कैरेट की रहेगी. धार्मिक पूंजीवादी अरुण कमल, कुमार विश्वास जितने रईस और लोकप्रिय कवि नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पैसों के लिए रामकथा बांचने जैसा पाखंड स्वीकार नहीं किया, उलटे, उन की राय में सच यह है कि आजकल जो जितना धार्मिक है वह उतना ही पूंजीवादी है.

पटना के एक आयोजन में कई छोटेबड़े बुद्धिजीवी साहित्यकार इकट्ठे हुए थे जिन की चिंता साहित्य कम खस्ताहाल होता देश ज्यादा दिखी. अरुण कमल कुछ गलत नहीं कह रहे लेकिन दिक्कत की बात उन जैसों को सुनने और पढ़ने वालों का टोटा है. साहित्य का भी सच यही रह गया है कि आप जितनी ज्यादा चाटुकारिता सत्ताधीशों की करेंगे उतनी ही लक्ष्मी आप पर मेहरबान होती जाएगी. इस के लिए आप में भक्ति नाम के तत्त्व का होना जरूरी है.

अगर यह नहीं है तो आप पटना, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, अहमदाबाद कहीं भी इकट्ठा हो लें, कहलाएंगे तो वामपंथी ही. रही बात धर्म और पूंजी के रिश्ते की तो यह तो बहुत पुराना धंधा है जिस की बुनियाद में काल्पनिक डर और उन से बचने की कीमत ही है. कर्मचारियों की गैरत वैसे, देश में कहीं नहीं है लेकिन मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की इज्जत दौ कौड़ी की भी नहीं रह गई है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह हर कभी मंच से उन्हें सस्पैंड कर देते हैं. इस का हक उन्हें है या नहीं, अभी तक इस पर कोई कुछ नहीं बोला है. राजनीति की विकसित होती इस नई शैली से शिवराज जनता को मैसेज दे देते हैं कि असल लापरवाह और बेईमान यही हैं. इस टोटके का जनता पर असर अगले साल इन्हीं दिनों में दिखेगा जब विधानसभा चुनाव शबाब पर होंगे. कुछकुछ कर्मचारियों का कहना यह है कि जनता की नजर में अपनी इमेज चमकाने को हमें बेईमान ठहरा कर सस्पैंड कर देने का यह तरीका गलत है. इस से हमारी मानहानि भी होती है और दहशत भी फैलती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...