कलंकित पवित्रता राजनीति में तो है ही लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में भी वर्ण व्यवस्था की जड़ें कम गहरी नहीं हैं. यह बात एक बार फिर साबित हुई जब पवित्र नगरी मथुरा से भाजपा सांसद व अभिनेत्री हेमा मालिनी ने तिलमिलाते और नाकभौं सिकोड़ते कहा कि ऐसे तो कल को राखी सावंत भी टिकट मांगेगी. हुआ इतना भर था कि मथुरा सीट से एक और बड़बोली हिंदूवादी ऐक्ट्रैस कंगना रानौत के चुनाव लड़ने की चर्चा यों ही चल निकली थी.

हेमा ने राखी सावंत का जिक्र कुछकुछ उसी ताने मारने के अंदाज में किया था जैसा आरक्षण के चलते कलैक्टर, डाक्टर या इंजीनियर बनने पर दलित आदिवासी समुदाय के युवाओं पर सवर्ण करते रहते हैं पर यहां बात बोल्डनैस की भी थी जिस का मकसद यह था कि राखी बदन उघाड़ू है, इसलिए निचले दर्जे की भी है. अब खुद बूढ़ी हो चुकीं हेमा अपनी पहली फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ से होते ‘गोरा काला’ और ‘कुदरत’ देख लें कि इस मामले में जरूर राखी उन के सामने कहीं नहीं लगती. वफादारी राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा से जो भाजपाई ज्यादा बौखलाए हुए हैं,

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा उन में से एक हैं. इस साल उन्होंने दूसरी बार राहुल के कुत्ताप्रेम पर अपनी भड़ास निकालते कहा कि जब वे राहुल गांधी से मिलने उन के घर जाते थे तो वे बातचीत बीच में छोड़ कर अपने डौगी को बिस्कुट खिलाने लगते थे. और तो और, उसी कुत्ते की प्लेट से ही कांग्रेसी बिस्कुट खाते हैं. गौरतलब है कि हिमंत की गिनती 2016 तक वफादार कांग्रेसियों में होती थी. इस के बाद वे भाजपा में चले गए और उस के एजेंडे को आगे बढ़ाते मदरसों पर बुलडोजर तक चलवाने लगे. हिमंत राहुल के जिस पालतू को ले कर सालों बाद भी दुखी और व्यथित हैं उस का नाम पिडी है और वह वेल्स कार्गी है.

इस नस्ल के कुत्ते अपने मास्टर को बहुत चाहते हैं और उस के प्रति वफादार भी बहुत रहते हैं. पेशे से वकील और अच्छे खिलाड़ी रहे हिमंत मुमकिन है राहुल का ताना या इशारा न सम झ पाए हों. मनुआ को चिंता तो है फटे में टांग फंसा कर सुर्खियों में बने रहने वाले दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय सिंह अध्यक्ष पद के चुनाव में दिल्ली में इतने गहरे तक धंस गए कि एक दफा तो मान लिया गया था कि अब उन्हीं के सिर पर कांटों से सजा यह ताज रखा जाना है लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर को उल झाने का हुक्म पूरा कर वे भोपाल लौट आए.

अपने अध्यक्ष न बनने का मलाल उन्होंने रहीम के इस दोहे से व्यक्त किया कि- ‘चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह’ (यानी जान बची सो लाखों पाए). 75 की पकी उम्र में भी राजनीति उन से नहीं छूट पा रही है तो इस की बड़ी वजह बेटे जयवर्धन सिंह को सैटल कराना है. बेटों को अपनी आंखों के सामने बेहतर मुकाम पर देखने का सपना और कोशिशें गुनाह तो कतई नहीं, यही मोह लालू, मुलायम यादव के अलावा शिवराज सिंह चौहान सहित सभी छोटेबड़े नेताओं में रहा है. लेकिन इस के लिए बेटे भी नवीन पटनायक के लैवल के हों तो चिंता ही क्यों रहे. बिहार के बह्मा आरजेडी प्रमुख लालू यादव नीतीश कुमार संग सोनिया गांधी से क्या मिले, भगवा खेमे में खलबली मच गई.

इस पर आरोपप्रत्यारोप चल ही रहे थे कि दशहरे पर पटना में आरजेडी के दफ्तर के बाहर लगा एक दिलचस्प पोस्टर सुर्खियों में आ गया जिस में लालू को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के रूप में और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अर्जुन के रूप में दिखाया गया है जिन का रथ कृष्ण बने तेजस्वी यादव हाथ में लालटेन लिए हांक रहे हैं. दशहरा, दीवाली और छठ की शुभकामनाओं वाले इस पोस्टर में नरेंद्र मोदी को अहंकारी व अमित शाह को अधर्मी लिखा गया है. वर्ष 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर भाजपा में अभी से चिंता है क्योंकि अब तो जेडीयू का भी साथ नहीं है.

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