आजकल देश में एक तरह से राजनीतिक गृह युद्ध की स्थिति है. इसे विस्तृत रूप से रेखांकित करें तो यह एक तरफ है केंद्र की सरकार जिसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी कर रही है दूसरी तरफ है देश के अनेक प्रदेशों के मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय राजनीतिक दल साथ में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाने के बाद यह लक्ष्य तय कर लिया है कि देश भर में भाजपा की सरकार ही होनी चाहिए और यह कोई लुकी छुपी बात भी नहीं है. इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने कई दफा कर चुके हैं. अब जो परिदृश्य दिखाई दे रहा है उसमें प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा लगातार विपक्ष की सरकारों, मुख्यमंत्री और उनके गुड लिस्ट के लोगों को निशाने पर लेने की घटना है आम है.

यह देश देख चुका है कि किस तरह श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित प्रियंका गांधी और अनेक महत्वपूर्ण नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसा गया और माहौल यह की यह लोग सबसे बड़े अपराधी है.हां यह हो सकता है कि गलतियां हुई हो अपराध भी घटित हुआ हो मगर इन सब परिस्थितियों से जो वातावरण देश का बन रहा है वह एक राजनीतिक गृह युद्ध की ओर संकेत दे रहा है जिसके लिए देश की संवैधानिक संस्थाओं को एक बार पुनः चिंतन करना होगा.

आज देश भर में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री झारखंड का बयान चर्चा में है कि अगर मैं अपराधी हूं तो मुझे गिरफ्तार कर लिया जाए. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय की नोटिस को एक तरह से नजरअंदाज किया है. यह घटना देश के इतिहास में एक ऐसा पॉइंट टर्निंग बन सकती है जहां से देश का एक नया राजनीतिक राजमार्ग अथवा संघर्ष की स्थिति निर्मित हो सकती है. परिणाम क्या होगा यह समय के गर्भ में है.

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