आज जब हम 21 वी शताब्दी में है और अगर ऐसे समय में आज हमारे आसपास लोग बलि प्रथा पर विश्वास कर रहे हैं तो यह समाज और हमारे देश की सरकार के लिए शर्म की बात है. सिर्फ एक ही सवाल पर्याप्त है कि हर तरह की शिक्षा, दीक्षा और जागरूकता प्रयास के बाद भी अगर किसी मासूम बच्चे की बलि, अंधविश्वास से प्रेरित होकर कोई मूर्ख चढ़ाता है तो यह पूरी समाज और देश के लिए एक अपराध बोध से कम नहीं होना चाहिए.

देश की राजधानी दिल्ली के
लोधी कालोनी थाना क्षेत्र स्थित, सीबीआइ इमारत के पास नवरात्र के पवित्र पर्व के समय सीजीओ काम्पलेक्स में एक छह साल के एक बच्चे की चाकू से गला रेत कर हत्या कर दी जाती है. दिल्ली पुलिस ने जिन दो आरोपियों को पकड़ा है वे ‘ मानव बलि’ के नाम पर हत्या की बात कबूल कर चुके हैं.
मृतक धर्मेंद्र यादव ( उम्र 6) के एक अबोध बालक ही था. बच्चे के माता- पिता मजदूरी करने वाले हैं और वहीं बनी झुग्गियों में जी का पूजन कर रहे थे.
लोधी कालोनी थाना पुलिस ने दो लोगों को हत्या के आरोप गिरफ्तार करके पूछताछ की तब सनसनीखेज जानकारी सामने आई.

पुलिस को घटना की जानकारी एक अक्टूबर शनिवार की रात को ही मिल गई थी. सूचना मिलने पर पुलिस मृत बच्चे को एम्स ट्रामा सेंटर लेकर पहुंची, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इसके पश्चात पुलिस हरकत में आई और आरोपियों को धर दबोचा आरोपियों की
पहचान बिहार निवासी विजय कुमार और अमर कुमार के रूप में हुई है.पुलिस को जांच में जो तथ्य प्राप्त हुए हैं उनके मुताबिक आरोपी नशे में थे और उन्होंने कथित तौर पर भगवान शिव को खुश करने के लिए इस वारदात की. यहां यह समझने वाली बात है कि भला कोई भी ईश्वरीय शक्ति
आपको नकारात्मक संदेश क्यों देगी और अगर ऐसा है तो घटना कार्य करने वालों को यह समझना चाहिए कि इसका परिणाम जीवन भर जेल भुगतना होगा.
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अदृश्य शक्ति के नाम पर बलि
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यह घटना इसलिए ज्यादा सचेत करने वाली है कि देश की राजधानी दिल्ली के एक इलाके में घटित हुई है. जहां इस घटना के बाद सरकार और समाज दोनों को ही इस संदर्भ में संज्ञान लेना चाहिए वहीं यह भी चिंतन के सवाल हैं कि अगर देहात क्षेत्र में ऐसी घटना होती है तो यह माना जाता है कि यह अशिक्षा और अंधविश्वास के माहौल का परिणाम है. और अगर गांव कस्बों से बड़े महानगरों में आने के बाद भी लोगों की सोच इस तरह दबी कुचली कुंठित है तो ऊंचे ऊंचे मकानों में रहने वाले पढ़े लिखे लोगों को बाहर आकर के अपना दायित्व निभाना होगा.

अक्सर लोग अंधविश्वास में फंस कर रूपए पैसे और अदृश्य शक्तियों को प्राप्त करने के लिए बलि का अपराध कर बैठते हैं जो निसंदेह रूप से आज विज्ञान के युग में निरी मूर्खता के अलावा कुछ भी नहीं है .

इधर, पुलिस को पता चला है कि दोनों आरोपी निर्माणाधीन स्थल पर ही काम कर रहे थे .
आरोपियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया – ‘उनके सपने में भोले बाबा आए थे. वे बोले- बच्चे का गला काट दो तो बच्चे का गला काट दिया.’ आरोपियों के अनुसार कि उनकी मृत बच्चे के परिवार से कोई जाति दुश्मनी नहीं थी . पुलिस के मुताबिक रात करीब साढ़े 10 बजे जब बच्चा अपनी झुग्गी में जा रहा था तो उन्होंने उसे खाना बनाने की जगह पर बुला लिया, चूंकि नन्हा धर्मेंद्र उन्हें जानता था तो वह सहज उनके पास आ गया. बलि का शिकार धर्मेंद्र का परिवार मूलरूप से गिरधरपुर, फैसलापुर,
बरेली, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. परिवार में पिता अशोक, मां भगवती, भाई मंगल और बहन बाबी हैं. उसके पिता अशोक और मां भगवती, सीआरपीएफ हेड क्वार्टर में मजदूरी का काम करते है और सीबीआइ इमारत के पास

पूरा परिवार एक महीने पहले ही दिल्ली आया हुआ था. मुख्तसर अपने बच्चे को खोकर परिवार ने एक ऐसा दंश पाया है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता. वहीं समाज के लिए भी यह एक सोचनीय विषय है.

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