आखिरकार दो दशकों के बाद अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के “राष्ट्रीय अध्यक्ष” का चुनाव होने जा रहा है. राष्ट्रीय स्तर की महानतम राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष बनने के लिए बमुश्किल दो नाम सामने आए हैं पहला – राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दूसरा- बौद्धिक… इंटेलिजेंट के रूप में स्थापित कांग्रेस के सांसद शशि थरूर का. आज जो परिस्थितियां सामने हैं उसके अनुसार अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी परिवार से निकलकर अब बहुत जल्द एक “जादूगर” के हाथों में होगी.

आगे 2024 के लोकसभा समर में, जीवन की शुरुआत एक मैजिशियन के रूप शुरू करने वाले अशोक गहलोत पार्टी को क्या सत्ता दिला पाएंगे, यह एक ऐसा प्रश्न है जो भविष्य के गर्भ में है .

दरअसल,आज जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है कांग्रेस पार्टी को ऐसी रणनीति की आवश्यकता है आने वाले समय में संपूर्ण देश में कांग्रेस को मजबूत बनाने का काम करें और 10 वर्षों से केंद्र के शासन से बाहर रहने के बाद सत्ता में लौटा सके और देश को नई दिशा दे सके, जिसकी आज बहुत आवश्यकता महसूस हो रही है.

लाखों सवालों में एक सवाल यह है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिसके इतिहास से दुनिया वाकिफ है जिसने लंबे समय तक देश में शासन किया के पास क्या कोई ऐसा रणनीतिकार ऊर्जा वान शख्सियत है भी कि नहीं जो भारतीय जनता पार्टी जैसे विचारधारा वाली पार्टी से जमीनी स्तर पर लड़ सके और जवाब दे सके.

आज जब चुनाव सामने हैं तो यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी आज जिन हाथों में है वह एक “मास्टर प्लान” बना करके देश में शासन कर रहे हैं, और लक्ष्य है 50 वर्षों का सत्ता नहीं छोड़ने का. विपक्ष को नेस्तनाबूद कर देने का .

इसी रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी आज विपक्ष को कमजोर करती चली जा रही है गोवा में कांग्रेस को तोड़ दिया गया, पंजाब में अमरिंदर सिंह को उनके सुपुत्र सहित भाजपा में जगह दे दी गई, बिहार हो या झारखंड, दिल्ली हो या पंजाब राज्य में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष पर मानो बिजली की तरह टूट पड़ी है. इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ अपनाया जा रहा है. ऐसी जटिल परिस्थितियों में राष्ट्रीय पार्टी के रूप में कांग्रेस ही एकमात्र राजनीतिक दल है जो जमीनी स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं के और अपनी विचारधारा के बल पर भाजपा को हाशिए पर ला सकती है. मगर उसके लिए एक ही मंत्र है- राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा हो जो पार्टी को सत्ता में लाने की क्षमता रखता हो, असीम ऊर्जावान हो.

जादूगर अशोक गहलोत

राजनीति में आने से पहले अशोक गहलोत एक जादूगर थे, यह बात आप गर्व के साथ  बताया करते हैं.

अब स्थितियां ऐसी बनती चली जा रही हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस अशोक गहलोत के कांधे पर सत्ता की सवारी करने के लिए तैयार है. मगर माना यह जा रहा है कि लगभग 75 साल के अशोक गहलोत इस उम्र में भला कांग्रेस पार्टी को कैसे दिशा दे सकते हैं ऊपर से राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी छोड़ने का मोह बना हुआ है .

चुनाव मैदान में आने से पहले अशोक गहलोत के मुताबिक – मै कोच्चि जाकर राहुल गांधी को इस बात के लिए मनाने का प्रयास करूंगा कि वह पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें . उनका कहना है राहुल गांधी से बातचीत करने के बाद ही वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है. गहलोत के मुताबिक कि मुझे कांग्रेस की सेवा करनी है मैं 50 साल से पार्टी की सेवा कर रहा हूं। जहां भी मेरा उपयोग है, मैं वहां तैयार हूं अगर पार्टी के लोगों लगता है कि मेरी मुख्यमंत्री के रूप में जरूरत है, या अध्यक्ष के रूप में जरूरत है तो मैं मना नहीं करूंगा. अशोक गहलोत कहते हैं अगर मेरा बस चले तो मैं किसी भी पद पर नहीं रहूं. मैं राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरूं और फासीवादी लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दूं .

राहुल गांधी की भूमिका

सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार की छाया से बाहर आज भी अपने आप को असहाय पाती है. ऐसे में जब राहुल गांधी ने साफ-साफ कह दिया है कि अध्यक्ष पद किसी भी हालात में नहीं संभाल सकते तो कांग्रेस के सामने संकट और भी गहरा गया है. यही हालात रहे तो 2024 में भी कांग्रेस के हाथ में शून्य ही होगा .

राहुल गांधी अभी ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा में निकले हुए हैं और इससे सत्ता में बैठे हुई भाजपा पार्टी को असहज देखा जा रहा है . 23 सितंबर को राहुल गांधी दिल्ली पहुंचेंगे तो अपनी मां सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे.  भारत जोड़ो यात्रा 24 तारीख की सुबह पुनः शुरू होगी और नामांकन पत्र नहीं दाखिल करने का ऐलान राहुल द्वारा किया जा चुका है. इन सब परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आज अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और देश ऐसे चौराहे पर खड़ा है यहां से एक नई ऐतिहासिक के बाद इबारत लिखी जानी है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...