असहमति स्वाभाविक व मौलिक मानवीय गुण है और इसी से मानव का विकास संभव हुआ है. अब लोकतंत्रों के विकास के इस दौर में असहमत लोगों की आवाज बंद करने की सत्ताधारियों की कोशिश बताती है कि राजनीति और धर्म के पैरोकार तरक्की नहीं, कुछ और चाहते हैं.

एक चर्चित मगर विवादित लेखक सलमान रुश्दी का गुनाह बहुत संगीन है कि एक तो वे नास्तिक और दूसरे, मुसलमानों के पैगंबर हजरत मोहम्मद की शान में गुस्ताखी करते रहते हैं. लेकिन यह सब हवाहवाई नहीं है बल्कि इस के पीछे उन के अपने तर्क हैं. कट्टर से कट्टरवादी भी सलमान के तर्कों से असहमत नहीं हो सकता बशर्ते वह उन के उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेस’ यानी शैतानी आयतों को बिना किसी पूर्वाग्रह के दिलोदिमाग की खिड़कियां खोल कर पढ़ ले. इस उपन्यास का सार और एक बहुत बड़ा सच उसी में लिखे एक वाक्य से स्पष्ट हो जाता है कि शुरुआत से ही आदमी ने गलत को सही ठहराने के लिए ईश्वर का इस्तेमाल किया.

खुद को सही और इसलाम व पैगंबर से असहमति जताने के जुर्म की सजा देने की कोशिश में अमेरिका के पश्चिमी न्यूयौर्क के चौटाउक्का इंस्टिट्यूशन में

2 अगस्त को एक नौजवान ने सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला कर दिया. हमला इतना खतरनाक और नफरत व प्रतिशोध से भरा हुआ था कि महज 20 सैकंड में उन के गले और पेट पर दर्जन से भी ज्यादा प्रहार किए गए. हमलावर का नाम है हादी मतार जो न्यूजर्सी में रहता है. सलमान को पुलिस सुरक्षा में तुरंत हवाई जहाज से अस्पताल ले जाया गया और उन की जान बच गई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...