अपनी आंखों की बड़ीबड़ी पुतलियों को और बड़ा करते हुए सलोनी अपनी मम्मी नूपुर से बोली, “मम्मी, मैं क्या 5 हजार रुपए की यह साड़ी खरीदूंगी? मम्मी, शादी जीवन में एक बार होती है.”

नूपुर शांत स्वर में बोली, “सलोनी, तुम ने कल ही तो बेटा 20-20 हजार रुपए की साड़ियां खरीदी हैं. जरूरी नहीं न हर कपड़ा इतना महंगा ही लो.”

सलोनी गुस्से में बोली, “हां, मेरे कपड़ों और ज्वैलरी की बात आते ही आप को पैसे याद आते हैं. अब मुझे गुस्सा न दिलाइए, मेरा दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है.”

नूपुर को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी लाड़ली को कैसे समझाए. सलोनी नूपुर के दिल की धड़कन थी, वह कैसे उस पर गुस्सा कर सकती थी.

22 वर्ष की सलोनी अभी पूरी तरह से विवाह के लिए तैयार नहीं हुई थी. मगर हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि नूपुर और सचिन को सलोनी का विवाह इतनी कम उम्र में करना पड़ रहा था.

सलोनी नूपुर और सचिन की इकलौती लाड़ली थी. सचिन और नूपुर के विवाह के 10 वर्षों के बाद सलोनी उन की जिंदगी में आई थी. अपनी परी जैसी बेटी को देख कर नूपुर और सचिन बेहद खुश थे. मगर नूपुर और सचिन की खुशियों को तब ग्रहण लग गया जब डाक्टर ने उन्हें बताया कि उन की बेटी की हार्ट बीट बेहद स्लो है. सलोनी को कंजेनिटल हार्ट डिफैक्ट है. अगर सलोनी के ह्रदय के अंदर पेसमेकर इंप्लांट नहीं किया तो उस की दिल की धड़कन कभी भी रुक सकती है.

बेहद मुश्किलभरे दिन थे सचिन और नूपुर के लिए. आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरे परिवार के सामने ढेर सारे चैलेंजेज थे. मगर फिर भी सचिन और नूपुर ने सलोनी के लिए हर चैलेंज का सामना किया. सलोनी के हार्ट में पेसमेकर इंप्लांट हो गया था. मगर सलोनी की ग्रोथ बाकी बच्चों से थोड़ी स्लो थी. ज्यादा भागदौड़ वाले कार्य शुरू में डाक्टर ने उसे करने से मना कर रखा था.

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