‘‘मुझे पूरा विश्वास था कि हमारा बच्चा जरूर मिलेगा. आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो 10 साल बाद ही सही, लेकिन मिलेगा जरूर. उसे कुछ नहीं हो सकता. वह जिंदा रहेगा और एक न एक दिन हम उसे जरूर पा जाएंगे," यह किसी पागल का प्रलाप नहीं, एक ऐसे पिता का कहना था, जिस का साढ़े 5 माह का नन्हा अबोध पुत्र लापता हो गया.

नन्हा शिशु जिसे अभी हंसना भी नहीं आया था, उसे कोई क्यों और कहां ले गया, इस की किसी को जानकारी न थी. पुलिस को सूचना दी गई. सीसीटीवी खंगाले गए. यह तो पता चल गया कि उसे कोई गोदी में ले जा रहा है, पर वह कौन है, यह पता नहीं चल पा रहा था.

जैसाकि अकसर होता है, परिस्थितियों से विवश आदमी ज्योतिषियों के चक्कर में उलझ जाता है. यही अबोध शिशु सिद्धार्थ के दुखी मातापिता के साथ भी हुआ. ज्योतिषियों ने उन से खूब पैसा लूटा और किसी ने कहा कि बच्चा फरीदाबाद में मिलेगा, तो किसी ने कहा ग्वालियर में. जिस का जो मन आता वह कह देता और मातापिता वहीं जा पहुंचते, पर निराश हो कर लौट आते. हर व्यक्ति उन के लिए इस समय महत्त्वपूर्ण हो गया था.

दोनों पढ़ेलिखे थे पर इस तरह की घटना के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने बुद्धि, विवेक और धैर्य से काम लेना शुरू किया. टीवी चैनलों और अखबारों के दफ्तरों के चक्कर काटने शुरू किए. पत्रकारों ने उन से बात सहानुभूति से की पर उन के करनेधरने के बावजूद भी कुछ नहीं हुआ. पुलिस उन दिनों विधानसभा चुनावों में लगी थी और इसलिए व्यस्त थी. हर रोज कहीं न कहीं मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की रैली होती थी और सारी फोर्स वहां लग जाती थी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...