देश की सैंट्रल यूनिवर्सिटीज में स्टूडैंट्स के दाखिले के लिए कटऔफ की जगह एंट्रैंस टैस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसे में एंट्रैंस टैस्ट को ले कर उन में कई तरह के कन्फ्यूजन्स हैं. आइए जानें कि उन कन्फ्यूजन्स को कैसे दूर करें.

कालेज में जाने का सपना किस यंगस्टर का नहीं होता, महानगरों में बने विश्वविद्यालयों में तो कालेज की दहलीज तक घुसने के लिए भारी जद्दोजेहद करनी पड़ती है. हर युवा चाहता है कि वह कालेज की लाइफ एंजौय करे, अपनी पढ़ाई के साथसाथ हमउम्र युवा को दोस्त बनाए, नया फ्रैश माहौल हो, बिना बाउंडेशन के खुले में घूमनेफिरने की आजादी हो, दुनिया को देखेसम?ो, हिचकिचाहट दूर करे.

कोविड महामारी के चलते 2 वर्षों से पूरे देश के एजुकेशन सिस्टम पर भारी असर पड़ा. स्कूलों से ले कर कालेजों तक को बंद करने की नौबत आ गई. पढ़ाई और एग्जाम औनलाइन शुरू हुए. इस दौरान स्टूडैंट्स ने कई बदलाव देखे. इन सब से निकलने के बाद अब छात्रों को एक नए बदलाव से गुजरना पड़ेगा. यह बदलाव हायर एजुकेशन में हुआ है.

देश में ‘न्यू एजुकेशन पौलिसी’ के साथ हायर एजुकेशन में दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव आया है. इस साल से सैंट्रल यूनिवर्सिटीज के ग्रेजुएशन कोर्सेज में एडमिशन के लिए एंट्रैंस टैस्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है. अब दाखिले कटऔफ के आधार पर नहीं होंगे. यानी 12वीं के मार्क्स मिनिमम एलिजिबिलिटी तो बन सकते हैं पर एडमिशन दिलाने का टिकट नहीं.

नए नियमानुसार, सरकार इस एग्जाम के माध्यम से देश के सभी स्टूडैंट्स को एकसमान अवसर देना चाहती है ताकि छात्रों को राज्यों के अलगअलग बोर्डों के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े और ऊंचीऊंची कटऔफ का डर छात्रों के मन से निकल जाए.

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