भारतीय समाज की बिडंबना ही है कि वह आएदिन ठगों, धोखाखड़ी करने वालों के जाल में फंसता रहता है. शौर्टकट तरीके से करोड़पति बनने का ख़्वाब किस कदर हमें कंगाली की राह पर धकेल देता है, यह जगजाहिर है. ठगी, धोखाधड़ी की घटनाएं आएदिन सामने आती रहती हैं. जनता को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन लालच ऐसी बला है जो आएदिन लोगों को अपने जाल में फंसा लेती है.
हर आम से ले कर खास तक इस बात को अच्छी तरह समझता है कि डेढ़ साल में कोई भी रकम दोगुनी नहीं हो सकती. इस के बाद भी अति महत्त्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगती है और जब निवेश के बाद हकीकत का पता चलता है तो निवेशक न घर के रहे पाते हैं, न घाट के.
एक मामले में कुछ लोगों ने एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. इस कंपनी ने स्कीमों के जरिए लोगों को फंसाना शुरू किया. पहली स्कीम में 6 हजार रुपए के निवेश पर 1,63,800 रुपए, दूसरी स्कीम में 22,920 रुपए के निवेश पर 6 लाख रुपए, तीसरी स्कीम में 1.20 लाख के निवेश पर एक करोड़ 78 लाख रुपए और चौथी स्कीम में 6 लाख के निवेश पर करीब 10 करोड़ रुपए देने का झांसा दिया गया.
सभी स्कीमों में डेढ़ साल के दौरान रकम लौटाने का वादा किया गया था. कंपनी की ओर से निवेशकों को बताया गया कि वे निवेश के पैसे को गोल्ड में लगा रहे हैं और समयसमय पर गोल्ड की कीमतों में तेजी से आ रहे उछाल के कारण वे अपने निवेशकों को इतना पैसा आसानी से दे सकेंगे. इस कंपनी ने अपने कार्यालय विभिन्न शहरों में धड़ाधड़ खोले. कंपनी ने अपना नैटवर्क बैंकौक, दुबई और थाईलैंड में भी बना लिया.
ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को अपने जाल में फंसाने के लिए चैन सिस्टम बनाया गया. चैन विकसित करने वाले निवेशकों को अतिरिक्त लाभ देने का भी झांसा दिया गया. कुछ को यह लाभ मिला भी. अपने सहयोगियों व नैटवर्क मार्केटिंग के बड़े लीडरों को अपने साथ जोड़ा. इन लोगों को कंपनी ने उपहार के तौर पर कारें, मकान व अन्य सुविधाएं दीं. कुछ ऐसी कंपनियों के मैनेजर भी इन के साथ जुड़े जो अपने कर्मचारियों को इस कंपनी से जोड़ सकें. इस से लोगों का विश्वास जमता गया.
इतना ही नहीं, कंपनी के एजेंट के रूप में आईपीएस अधिकारी और आरएएस अधिकारी की पत्नी को भी जोड़ लिया. इसी तरह कुछ अन्य अधिकारियों के परिजनों को भी एजेंट के रूप में कंपनी से जोड़ लिया है. करीब 2 साल तक चैन सिस्टम से निवेशकों से निवेश कराए गए. फिर चैन सिस्टम विकसित करने वालों के चेक भी रोक दिए गए.
इस पर कुछ निवेशकों ने कार्यालय पहुंच कर जानकारी चाही तो उन्हें भरोसा दिया गया कि उन का पैसा डूबने नहीं पाएगा. लेकिन एकाएक कंपनी में ताला लग गया. जब यह बात आम निवेशकों तक पहुंची तो वे कंपनी कार्यालयों में पहुंचे. कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी गायब थे और गेटों पर ताले लगे थे. ठगी का शिकार लोगों का कहना है कि वे जब भी रुपए मांगने जाते तो निदेशक जल्दी से क्लोजिंग होने का झांसा दे कर टरका देते.
मामला पुलिस तक पहुंचा तो सही, पर पैसा तो पहले ही गायब हो चुका था. कुछ को गिरफ्तार किया गया. बैंक खाते फ्रीज किए गए. जब पुलिस ने शहरों में स्थित कंपनी के कई मंजिला शोरूमों के ताले खोले तो वहां न ही सोना मिला और न रुपया. न पूरा रिकौर्ड पता चला कि इस कंपनी में निवेश करने वालों में मामूली लोग ही नहीं, बल्कि कुछ बड़े वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं. यह बात सामने आई कि कंपनी के डायरैक्टर बैंकौक भाग गए.
कंपनी संचालकों ने जमीनों में भी पैसा निवेश किया था. उन्होंने कई स्थानों पर बेनामी फौर्महाउस व कोठियां खरीदीं. यह भी जानकारी सामने आई कि करीब 225 लोगों के बीच 54.96 करोड़ रुपए कमीशन के रूप में बांटे गए. कंपनी की ओर से 5 लाख से अधिक रुपए तक का कमीशन दिया गया. मोटा कमीशन मिलने के एवज में लोगों ने ज्यादा से ज्यादा निवेश करने के लिए आम लोगों को उकसाया. 8 एजेंटों को निवेश कराने के एवज में एक करोड़ रुपए कमीशन के रूप में दिया गया. जाहिर सी बात है कि जब लोगों को यह समझाया गया कि जितना अधिक निवेश होगा, उतना ही अधिक कमीशन मिलेगा तो लोग ज्यादा निवेश कराते रहे.
एक और कंपनी ने इसी तरह की ठगी की. कंपनी ने 11 माह में 1780 लोगों को कंपनी का सदस्य बनाकर करीब ढ़ाई करोड़ रुपए की ठगी कर ली.इसी तरह चैन सिस्टम के तहत राजधानी में एक कंपनी के ठिकानों पर भी पुलिस ने छापेमारी की. लोगों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया और जांच की गई पर निकला कुछ नहीं. इन सभी कंपनियों में एजेंटों के संचालक मोटे कमीशन के लालच में वे निवेशकों को झांसा देते रहे और कंपनी में निवेश करवाते रहे.
दुनियाभर में हैं इन के नैटवर्क
मल्टीलैवल मार्केटिंग (एमएलएम) बिजनैस दुनिया में तकरीबन 100 से ज्यादा देशों में चल रहा है. अमेरिका में भी इस पर कोई रोक नहीं है लेकिन वहां फैडरल ट्रेड कमीशन ने स्पष्ट कर रखा है. सभी मल्टीलैवल मार्केटिंग कंपनियां वैध नहीं होतीं. कुछ पिरामिड स्कीम होती हैं. जब आप की आय प्रमुख तौर पर आप द्वारा जोड़े गए सदस्यों और उन्हें बेचे गए प्रोडक्ट पर निर्भर करती है तो यह ठीक नहीं है.
अगर स्कीम के बाहर भी आप प्रोडक्ट बेच कर कमाने के लिए स्वतंत्र हैं तो ही वह कंपनी सैद्धांतिक तौर पर सही एमएलएम कहलाएगी. इसी तरह बंगलादेश में भी कई एमएलएम कंपनियां लाखों लोगों के हजारों करोड़ रुपए ठग कर रफूचक्कर हो चुकी हैं. फिलहाल वहां सरकार जांच में जुटी है.
दिखावे सपने
गोल्ड सुख कंपनी ने निवेशकों को लुभाने के लिए कई हसीन सपने दिखाए. इस कंपनी से जुड़े लोग निवेशकों को लुभाने के लिए काफी आकर्षक ब्रोशर व पंपलेट पेश करते थे. कंपनी के रंगारंग ब्रोशरों में अलीशान कोठियों के फोटो छापे गए थे जिस में कहा गया कि यदि निवेशक खुद के साथ ही दूसरे लोगों को भी निवेश करवाता है तो उसे इन कोठियों में रहने का मौका मिलेगा.
इसी तरह कंपनी के सदस्य बनते ही केरल, गोवा, स्विटजरलैंड के उन रिजौर्ट्स में रहने का मौका मिलेगा जिन के फोटो इन ब्रोशर्स में छपे हैं. ब्रोशर में कई ऐसे प्रमाणपत्र भी छापे गए थे जिन के जरिए कंपनी के रजिस्टर्ड होने एवं विभिन्न विदेशी संस्थाओं से जुड़े होने की जानकारी मिलती थी. निवेशकों को लुभाने के लिए कंपनी संचालकों ने कई स्थानों पर गोल्ड शोरूम भी खोले. कंपनी का प्रचारप्रसार बहुत ही व्यापक स्तर पर किया गया. विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग लगाने के साथ ही एक अखबार भी निकाला गया.
इस के अलावा, अखबार को वैबसाइट के जरिए भी लौंच किया गया. इतना ही नहीं, इस कंपनी ने यह भी बताया कि उस के विदेशों में भी रिजौर्ट व शोरूम हैं. यही वजह थी कि निवेशक आसानी से इस कंपनी से जुड़े लोगों की बात पर विश्वास कर लेते.
एक के बाद एक खुले मामले
भारत में ऐमवे कंपनी ने खूब नाम कमाया, खूब लोगों को भरमाया, पिरामिड स्कीम में लोगों को शहरों की सैर कराई, एजेंटों को पैसा दिया. आज इस के 57 करोड़ रुपयों के घपले की जांच हो रही है पर कुछ निकलेगा नहीं. 2011 से कंपनी की हरकतें जांच एजेंसियों की नजरों में थीं पर अभी भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. लाखों लोग अपनी मेहनत की कमाई खो चुके हैं.
मार्च 2022 में आंध्र प्रदेश की एक कंपनी अक्षय गोल्ड फर्म्स विलाज इंडिया लिमिटेड ने कम से कम 857 करोड़ रुपए इस तरह के धोखे से जमा कर लिए थे और जब भंडा फोड़ हुआ तो मुश्किल से 260 करोड़ की संपत्तियां मिलीं जिन्हें बेचने में और मिलने वाले पैसे को बांटने में न जाने कितने और धोखे होंगे. 20 लाख लोग पूजापाठ के तरीके तो जानते थे पर वे इन ठगों को नहीं जान पाए.
निवेश से पहले निवेशक बरतें सावधानी
इस तरह के मामले सामने आने के बाद हर निवेशक के मन में एक शंका पैदा हो जाती है. फिर भी निवेशक जरा से लालच में निवेश करने लगते हैं. औरतें इस का ज्यादा शिकार होती हैं क्योंकि वे पति से छिपा कर रखे पैसे को लगाती हैं.
- यदि आप के पास कोई भी व्यक्ति आकर्षक स्कीम ले कर आता है और वह अपनी कंपनी का सदस्य बनाना चाहता है तो प्रलोभन के बजाय स्कीम की व्यावहारिकता का ध्यान रखें. सौ से डेढ़ सौ गुना तक लाभ अल्प समय में मिलना संभव नहीं है. इस की विश्वसनीयता की बारीकी से जानकारी हासिल करें.
- इस बात का ध्यान रखें कि संबंधित कंपनी रिजर्व बैंक के एनबीएफसी डिवीजन में पंजीकृत है या नहीं. बिना पंजीयन वाली कंपनी में कभी भी निवेश न करें. वैसे, यह जानकारी अच्छेअच्छे लोग नहीं जुटा सकते.
- कंपनी यदि भारतीय मानक ब्यूरो या ऐसी कोई अन्य संस्था से प्रमाणपत्र प्राप्त करने का दावा करती है तो इस के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर लें. पंजीयन नंबर का ब्यूरो से मिलान करने के बाद ही निवेश करें. इस के लिए लो पृष्ठभूमि की जानकारी होनी चाहिए. वह उन में बिलकुल नहीं होती जो बचपन से चमत्कारों में विश्वास करते हैं. चमत्कारों की कहानियां धर्मग्रंथों में भरी हैं.