संगीता को महेंद्र से बेपनाह मोहब्बत थी. वे सजातीय नहीं थे, इसलिए शादी नहीं हो पाई. किंतु उन की चाहत का जुनून बना रहा. इसी दौरान महेंद्र की शादी सरिता से हो गई. लेकिन इस बीच ऐसी घटना घटी कि

महाशिवरात्रि का त्यौहार था. तारीख थी 28 फरवरी, 2022. मलीहाबाद के एक मंदिर की सजावट देखने और पूजा करने के लिए लोग उमड़ पड़े थे. कोरोना से उबरने के 2 साल बाद भव्यता के साथ शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा था.

महेंद्र पूजा खत्म होने का इंतजार कर रहा था, ताकि प्रसाद ले कर जल्द घर जा सके. उस की पत्नी सरिता घर पर अकेली थी. वह उसे 2 महीने पहले ही ब्याह कर लाया था.

नवविवाहिता सरिता को भी अपने पति के आने का बेसब्री से इंतजार था. रात के 11 बज चुके थे. उसे नींद भी आ रही थी, किंतु बारबार आंखें धो कर नींद को भगा देती थी. मंदिर के लाउडस्पीकर से भजन की तेज आवाजें आ रही थीं. कुछ समय में जब घंटे और घडि़याल बजने लगे तब उस ने समझ लिया कि मंदिर की पूजाअर्चना अंतिम दौर में आ गई है.

वह अपने बैड से उठी और रसोई में जा कर 2 थालियों में खाना परोसने लगी. तभी पीछे से उस के कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया. वह चौंक पड़ी, क्योंकि घर का मेन दरवाजा भीतर से बंद था. मुड़ कर देखा, पीछे संगीता थी. आश्चर्य से पूछ बैठी, ‘‘अरे तुम! इस वक्त? अंदर कैसे आई? दरवाजा तो बंद था? महेंद्र आ गए क्या?’’

‘‘मैं तो कहीं भी, कभी भी पहुंच सकती हूं. महेंद्र के दिल की रानी जो ठहरी.’’ यह कहती हुई संगीता ने उसे अपनी ओर एक झटके में खींच लिया.

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