बात इसी साल के 24 जनवरी की है. सर्दी का मौसम था. 3 दिनों से रुकरुक कर बारिश हो रही थी. तापमान काफी नीचे गिर गया था. बर्फीली हवाएं चल रही थीं. सुबहसुबह प्रदीप पाल जल्द घर लौट आया था. घर पर मातम पसरा हुआ था. उस की पत्नी सीमा सिर झुकाए सिसक रही थी. 2-3 पड़ोसी उसे चुप करवा रहे थे. पिता कमरे में बेजान से बैड पर बैठे हुए थे. पास के दूसरे बैड पर उस की मां मृत पड़ी थीं.

प्रदीप को सीमा ने ही फोन कर जल्द घर आने को कहा. उस ने फोन पर बताया, ‘‘लगता है मांजी को रात में दिल का दौर पड़ा है… वह उठ नहीं रही हैं. तुम जल्दी आ जाओ.’’

कुछ समय में आसपड़ोस के कुछ और लोग आ गए थे. उन्होंने भी कहा, ‘‘लगता है, उन को रात में हार्ट अटैक आया. अकसर अधिक सर्दी के मौसम में बूढ़ों को हार्ट अटैक पड़ जाता है.’’

सीमा ने भी रोरो कर मोहल्ले के लोगों को बताया, ‘‘मांजी को हार्ट अटैक आया और मुझे कुछ पता ही नहीं चल पाया. वह अंतिम बार बात भी नहीं कर पाईं.’’

प्रदीप पाल ने जल्दी से मां के अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी शुरू की और बिना किसी डाक्टरी परीक्षण के उसी रोज मां का दाह संस्कार भी कर दिया गया. कोरोना के कारण लगी कुछ पाबंदियों की वजह से प्रदीप मां की अंतिम शव यात्रा के लिए अधिक लोगों को बुला नहीं पाया था.

मां की मौत को एक महीना भी पूरा नहीं हुआ था कि सीमा के परिवार में एक और बड़ा हादसा हो गया. वह हादसा उस के पति प्रदीप पाल के साथ ही हुआ था. प्रदीप 21 फरवरी, 2022 की सुबह बाइक से गौशाला जाने के लिए निकला था. रोहिणी इलाके के सेक्टर 24 के आगे हेलीपैड रोड पर पहुंचा ही था कि उसे कुछ लोगों ने गोली मार दी.

बाइक सवार बदमाशों ने बरसाईं प्रदीप पर गोलियां

उसे काफी नजदीक से 3 गोलियां दागी गई थीं. जिस के चलते घटनास्थल पर ही उस की मौत हो गई. मामला काफी सनसनीखेज था. 2 बाइक पर सवार 5 लोगों ने पिस्तौल लहराते हुए खुलेआम इस वारदात को अंजाम दिया था. दिल्ली के थाना बेगमपुर क्षेत्र में घटी इस घटना से आसपास के क्षेत्र में दहशत फैल गई थी.

सूचना मिलने पर बेगमपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई. रोहिणी के डीसीपी प्रणव तायल को जब इस घटना की जानकारी मिली तब उन्होंने तुरंत स्पैशल सेल के एसीपी ब्रह्मजीत सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का जिम्मा सौंप दिया.

टीम में इंसपेक्टर ईश्वर सिंह, एसआई सुशील, जगदीश, एएसआई सुरेश, रूपेश, रविंदर और हैड कांस्टेबल सौराज को शामिल किया.

घटनास्थल के आसपास का निरीक्षण करने और चश्मदीदों के बयान नोट करने के बाद लाश का पंचनामा कर पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

लाश की जेब से मिले आईकार्ड और अन्य दस्तावेजों के आधार पर जब पुलिस प्रदीप के घर पहुंची और घटना की जानकारी दी तो वहां रोनाधोना मच गया. बूढ़ा बाप, जिस ने 3 हफ्ते पहले ही अपनी पत्नी को खो दिया था, अब जवान बेटे की हत्या का समाचार सुन कर जमीन पर गिर पड़े.

उधर सीमा भी पति की मौत का समाचार सुन कर पछाड़ें खाने लगी. तीनों बच्चे एकदूसरे का हाथ थामे रोने लगे. पुलिस ने किसी तरह पूरे परिवार को ढांढस बंधाया और आवश्यक जानकारी जुटा कर लौट गई.

अपने कार्यालय पहुंच कर एसीपी सिंह ने सब से पहले प्रदीप के मोबाइल फोन का डाटा निकालने के आदेश दिए. स्पैशल टीम के इंसपेक्टर ईश्वर सिंह ने जांच शुरू की, तो पाया कि एक फोन नंबर पर प्रदीप के फोन से काफी काल किए गए थे. उस पर लंबी बातें भी हुई थीं.

पता चला कि गौरव तेवतिया के नाम से रजिस्टर वह नंबर उत्तर प्रदेश का है. सीमा से गौरव के बारे में पूछने पर मालूम हुआ कि वह उन का किराएदार है, लेकिन हत्या की घटना के दिन से ही गायब है. उसी दिन से उस का फोन भी स्विच्ड औफ था.

उस पर पुलिस का शक गहरा गया. उस के फोन की भी काल डिटेल्स निकाली गई. पता चला कि उस के फोन से कुछ नंबरों पर लंबीलंबी बातचीत हुई थी.

घटना से पहले की रात जिस नंबर पर देर तक बात हुई, वह नंबर विशन कुमार उर्फ वासु का था. विशन के फोन नंबर को ट्रैक करते हुए पुलिस ने उसे दिल्ली के सुलतानपुरी स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

थाने ला कर विशन से पूछताछ की गई. पुलिस की सख्ती के आगे वह ज्यादा देर नहीं टिक पाया. प्रदीप हत्याकांड के बारे में सब कुछ बताने को राजी हो गया.

इसी के साथ उस ने यह भी बता दिया कि प्रदीप की मां की भी हत्या हुई थी, जिसे सभी ने हार्ट अटैक समझा था. उन दोनों हत्याओं में वह शामिल था.

हत्या का गुनाह स्वीकार करने के बाद विशन ने जो कहानी सुनाई, वह काफी हैरान करने वाली थी. यानी प्रदीप के मर्डर से पहले हुई उस की मां की मौत भी हत्या ही थी. विशन ने इतनी बड़ी साजिश और क्रूरता का जो रहस्योद्घाटन किया था, उस का सूत्रधार कोई और नहीं, बल्कि प्रदीप की पत्नी सीमा ही थी.

विशन ने बताया कि प्रदीप और उस की मां की मौत का जिम्मेदार वह अकेले नहीं, बल्कि इस में गौरव तेवतिया भी शामिल था. उन्होंने सीमा के इशारे पर सब कुछ किया था. दोनों ने मिल कर गहरी नींद में सो रही मां का गला दबा कर मार डाला था.

उस की चीख तक नहीं निकल पाई थी. विशन ने पैसे के लिए यह काम किया,

लेकिन गौरव के बारे में वह बहुत जानकारी नहीं दे पाया.

विशन ने प्रदीप पाल की हत्या के लिए रचे गए चक्रव्यूह के बारे में बताया कि 21 फरवरी, 2022 की सुबह जैसे ही प्रदीप अपनी गौशाला जाने के लिए अपनी बाइक (डीएल 85एनबी 1220) पर निकला, सीमा ने तुरंत फोन से इस की सूचना गौरव को और गौरव ने विशन को दे दी.

खबर पाते ही 2 मोटरसाइकिलों पर विशन कुमार, परमिंदर उर्फ पम्मी, रिंकू पवार, सौरभ चौधरी और प्रशांत निकल पड़े. जल्दी ही उन्होंने हैलीपैड रोड पर प्रदीप के पीछे अपनी बाइक लगा दी और एक जगह काफी करीब आ कर उन्होंने उस पर फायर झोंक दिए.

गोली लगते ही प्रदीप पाल बाइक से गिर कर छटपटाने लगा और देखते ही देखते उस के प्राणपखेरू उड़ गए. वारदात को अंजाम दे कर हत्यारे तेजी से फर्राटा मारते हुए निकल भागे.

विशन के पुलिस की गिरफ्त में आने के कुछ समय बाद ही गौरव तेवतिया समेत दूसरे 4 हत्यारे पम्मी, रिंकू, सौरभ और प्रशांत भी गिरफ्तार कर लिए गए. उन की उम्र 22 से 27 साल थी. वे छटे हुए बदमाश थे. उन में कोई दादरी, नोएडा और गाजियाबाद तो कोई बुलंदशहर के निवासी हैं. इन के साथ ही हत्या की साजिश करने वाली सीमा को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

सीमा और गौरव तेवतिया को आमनेसामने बिठा कर जब सख्ती से पूछताछ की गई, तब उन्होंने भी विशन की तरह अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस के बाद पुलिस ने सातों आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया.

जाग उठा 8 साल पुराना प्यार

सीमा और गौरव ने जो बातें बताईं, उस में उन के बीच करीब 8 साल पुरानी लव स्टोरी सामने आई. उन की उस प्रेम कहानी में

बीते कुछ माह पहले एक बार फिर बहार आ गई थी.

हालांकि सीमा की शादी उत्तरी दिल्ली के रिठाला निवासी प्रदीप पाल के साथ

10 साल पहले तब हुई थी, जब वह 21 साल की थी.

सीमा की ननिहाल गौतमबुद्ध नगर के दादरी क्षेत्र के चमरावली रामगढ़ गांव में थी. वहीं सीमा के मामा का घर है. शादी के बाद इसी गांव के रहने वाले अपने से छोटे 19 साल के गौरव तेवतिया से सीमा को प्यार हो गया था. दरअसल, ननिहाल आतेजाते सीमा की गौरव से पहले मुलाकात हुई, फिर बातें और हंसीमजाक.

जल्द ही उन के बीच अनैतिक संबंध भी बन गए. वह यौवन की दहलीज पर यह भूल गई थी उस की शादी हो चुकी है.

शादी के बाद उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ जाने के कुछ समय तक सीमा के जेहन में गौरव की यादें बसी रहीं. उन का मिलनाजुलना तो दूर की बात, बातचीत तक बंद हो गई. इस बीच सीमा 3 बच्चों की मां भी बन गई.

हालांकि सीमा और गौरव दिल्ली एनसीआर में रहते थे. दोनों का परिवार दिल्ली से सटे गाजियाबाद और नोएडा की सीमा में अलगअलग गांवों में रहता है.

सीमा ब्याह कर दिल्ली आ गई, लेकिन गौरव अपने मांबाप के पैसे से ऐश कर रहा था. वह कोई कामधंधा नहीं करता था.

सीमा की ससुराल कहने को दिल्ली के एक ग्रामीण इलाके में थी, लेकिन रहनसहन शहरी था. ससुर द्वारा बनवाए हुए घर के ऊपरी हिस्से में दरजन भर कमरे थे. उन्हें पति प्रदीप ने किराए पर दे रखे थे. उन से उस की अच्छी आमदनी हो जाती थी.

प्रदीप पाल का दूध का बिजनैस था. भैंसें पाल रखी थीं और दूध सप्लाई का काम करता था. इस काम में वह काफी बिजी रहता था.

घर में उस के बूढ़े मातापिता थे. पिता अकसर बीमार रहते थे. इसलिए घर की देखभाल की जिम्मेदारी सीमा पर आ गई थी. सीमा ससुराल आ कर अपनी घरगृहस्थी में जल्द ही रम गई थी. गौरव कब उस की जेहन से निकल गया, पता ही नहीं चला.

साल बीततेबीतते उस की गोद में एक प्यारी सी बेटी आ गई. अगले कुछ सालों में उस ने एक और बेटी और उस के बाद एक बेटे को भी जन्म दिया.

मगर उस के बाद सीमा अपनी जिंदगी से उकताने लगी थी. बच्चों की देखभाल और सासससुर की सेवा बोझ लगने लगी. इस की एक वजह और भी थी. वह यह कि उस के पति का अधिकतर समय गौशाला और दूध के कारोबार में ही बीतता था.

यहां तक कि प्रदीप रात में भी सीमा के साथ समय नहीं गुजारता था. वह बाहरी दिल्ली के बेगमपुर एक्सटेंशन इलाके में बनी अपनी गौशाला में ही रहता था.

पत्नी की भावनाओं का नहीं रखा ध्यान

घर कुछ समय के लिए ही आता था और फटाफट घरेलू कामकाज निपटा कर फिर कारोबार के सिलसिले में चला जाता था.

प्रदीप के पास 3 भैंसे थीं, जिन्हें वह घर से दूर गौशाला में रखता था. रात को भैंसों की देखरेख और रखवाली के लिए वह गौशाला चला जाता था. सुबह भैंसों को चारापानी देने और दूध दूहने के बाद ग्राहकों को दूध बेचने चला जाता था. सारा काम निपटाने के बाद ही घर लौटता था.

उस के पीछे सीमा अपने बच्चों और सासससुर की देखभाल में लगी रहती थी. उस की रातें बिस्तर पर करवटें बदलते बीत रही थीं. उस के मन और शरीर की जरूरतें जस की तस थीं.

सैक्स की चाहत में सुलगती सीमा एक दिन अपने बीते दिनों को याद करने लगी. उसी सिलसिले में उसे पिछले प्यार की यादें ताजा हो आईं.

बारबार पूर्व प्रेमी का चेहरा नजरों के सामने से गुजरने लगा. उस के गुजारे हसीन लम्हे याद आने लगे. उस की चुलबुलाती बातें, हंसीमजाक, देह से छेड़छाड़. चूमनासहलाना और बहुत कुछ सिनेमा के फ्लैश बैक की तरह फटाफट दिमाग में घूम गया.

गौरव की फिर से यादें ताजा होने के बाद मन उस से मिलने के लिए छटपटा उठा. जब बेचैनी हद से ज्यादा होने लगी, तब उस ने गौरव का फोन नंबर पता किया.

संयोग से पुराने फोन में उस का नंबर मिल भी गया… और फिर एक दिन सीमा के दिमाग में क्या सूझी कि उस ने गौरव को फोन मिला दिया.

‘‘हैलो गौरव, मैं सीमा बोल रही हूं. सुन रहा है न तू… तू तो याद करता नहीं, इसलिए मैं ने आज तुझे ही याद कर लिया..’’

फोन पर काफी समय बाद अचानक सीमा की आवाज सुन कर गौरव अचकचा गया. उस के मुंह से निकल पड़ा, ‘‘साली, तुझे अब मेरी याद आई है… इतने दिनों बाद… हरामजादी कहां थी इतने दिनों…’’

‘‘गौरव देख, गालियां मत दे. मानती हूं तुझे बहुत दिनों तक भुलाए रही. लेकिन मैं आज भी तुझ से उतना ही प्यार करती हूं, जितना पहले किया करती थी. भला मैं तुझे कैसे भूल सकती हूं. तू तो मेरा पहला प्यार है. कोई पहले प्यार को भूल पाया है, जो मैं भूलूंगी?’’ सीमा प्यार से बोली.

‘‘मैं कैसे मान लूं. साली, मैं जानता हूं कि तू तो अब सेठानी बन गई है. मालदार है. पति का बड़ा बिजनैस है. पैसा है… मुझे झूठा दिलासा दे रही है. क्योंकि मैं ठहरा निकम्मानिठल्ला…’’ गौरव लगातार बोलता ही जा रहा था.

सीमा बीच में टोकती हुई बोली, ‘‘तू अपनी ही बात कहे जा रहा है. मेरी बात को समझने की कोशिश तो कर. जो बात तुझ में है वह प्रदीप में नहीं है. तू मिलेगा तो मैं सब कुछ बताऊंगी तुझे. देख, पैसा ही सब कुछ नहीं होता. मुझे आज भी तेरा ही इंतजार है.’’

‘‘बोल तो फिर कब मिलेगी? यहां तो फिर से लौकडाउन लग गया है. रात का कर्फ्यू है,’’ गौरव बोला.

‘‘मैं बाद में बताऊंगी. इतना समझ ले कि तेरी मुझे बहुत याद सता रही है,’’ सीमा बोली और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

बिछुड़े दिल में आया उछाल

लंबे अरसे बाद फोन पर सीमा की बातें सुन कर गौरव बेचैन हो उठा. बीते दिनों का बिछुड़ा प्यार दिल में उछाल मारने लगा. मन फिर से बिछुड़ी प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो गया.

भले ही प्रेमिका शादीशुदा थी, मगर उस के लिए तो वह अभी भी वही कमसिन सुकुमारी ही थी, जिसे प्यार से ‘सैक्सी सिम्मी’ कह कर बुलाता था.

क्योंकि उस के सैक्सी अंदाज पर वह कलेजा निकाल कर रख देता था. वह भी उसे आहें भरने तक की नौबत ही नहीं आने देती थी. मिलते ही झट से गले लग जाती थी और गौरव उसे चूम लेता था.

जब सालों बाद उस ने कहा कि उस का आज भी इंतजार है, तब वह खुद को रोक नहीं पाया. उस का नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.

सीमा जिसे प्यार से गौरव बुलाती थी, उस का पूरा नाम गौरव तेवतिया है. सीमा से फोन पर बात होने के बाद वह उस से मिलने के लिए बेचैन हो उठा. उस की अगली काल का इंतजार करने लगा.

अपना गांवघर छोड़ कर गौरव दिल्ली आने की योजनाएं बनाने लगा, लेकिन समस्या किसी सही ठौरठिकाने की थी. वह दिल्ली में ही कोई काम भी करना चाहता था.

अगले रोज ही उस ने सीमा को मिस काल की. तुरंत उधर से सीमा की काल भी आ गई, ‘‘कैसा है, दिल्ली आने का मन बना लिया?’’

‘‘मन तो बहुत है, मगर…’’

‘‘मगर क्या? मनी प्राब्लम है?’’ सीमा ने पूछा.

‘‘नहीं, दिल्ली में मेरा रहने का कोई इंतजाम नहीं है. पैसा तो वहां कोई काम कर के कमा ही लूंगा,’’ गौरव बोला.

‘‘उस का समाधान मेरे पास है. मैं जैसा कहूंगी तू वैसे ही करना,’’ सीमा बोली.

‘‘अरे तू तो समझदार भी हो गई है.’’

‘‘चलचल चापलूसी मत कर,’’ कहती हुई सीमा ने फोन कट कर दिया.

सीमा के इस फोन ने गौरव के दिल में एक बार फिर गुदगुदी पैदा कर दी. उस से मिलने की बेचैनी बढ़ गई. वह उस के खयालों में खो गया.

ऐसा ही हाल सीमा का भी था. उस ने दोचार बातें करने के बाद फोन कट तो कर दिया था, लेकिन गौरव की पहले जैसी नजदीकियां पाने के लिए वह उतावली थी.

वह उस के मुंह से एक बार फिर ‘सैक्सी सिम्मी’ सुनना चाहती थी. पति की अनदेखी से आसमान छूती शारीरिक ख्वाहिशों को जल्द से जल्द पूरी करना चाहती थी.

सीमा प्रेमी से मिलने को थी बेताब

उसी दिन रात को घर का सारा काम निपटा कर सीमा ने गौरव को फोन किया, ‘‘गौरव, तू मुझ से मिलने दिल्ली आ जा. मैं ने तेरे रहने का सारा बंदोबस्त कर दिया है.’’ सीमा ने फोन पर मनुहार की.

‘‘पर तेरा पति..?’’ गौरव ने शंका जाहिर की.

‘‘वह शाम को गौशाला चला जाता है, रात में वहीं सोता है. उस की जिंदगी तो भैंसों के बीच चलती है,’’ सीमा चिढ़ते हुए बोली.

‘‘कल आ जाऊं? किस मैट्रो स्टेशन पर आना है?’’ गौरव ने पूछा.

‘‘रिठाला. दिन में एक बजे गेट नंबर 3 से बाहर निकलना. मैं तुझे वहीं नीचे कुलचे वाले के पास मिल जाऊंगी. मुझे पहचान लेना. मैं फैंसी मास्क पहने रहूंगी,’’ सीमा ने समझाया.

‘‘साली, तू तो एकदम दिल्ली वाली टनाटन हो गई है, क्या बात है,’’ गौरव चहकते हुए बोला.

‘‘बसबस ज्यादा बहकने की जरूरत नहीं है. यहां हम अनजान बन कर मिलेंगे, इस का खयाल रखना,’’ सीमा ने समझाया.

काल काटने के बाद गौरव को ऐसा लगा जैसे उस की कई दबी हुई इच्छाएं एक साथ पूरी होने वाली हैं. उस की बांछें खिल गईं.

अगले रोज वह दिल्ली आ गया. सीमा की बताई जगह पर समय पर पहुंच गया. सीमा ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ. वह सीमा के शहरी लुक और चेहरे पर मास्क लगे होने के चलते नहीं पहचान पाया, लेकिन सलवारसूट के पहनावे और हाथ में दुपट्टा लपेटने के स्टाइल से पहचान लिया.

सीमा गौरव को देखते ही पहचान गई. तुरंत बोल पड़ी, ‘‘तू तो पहले जैसा ही है, जरा भी नहीं बदला.’’

‘‘कहां चलना है?’’ गौरव बोला.

‘‘फोन पर तो बहुत चहक रहा था, यहां सिट्टीपिट्टी गुम  हो गई.’’ सीमा ने मजाक किया.

‘‘ऐसा नहीं है, मैं तेरे बदलाव को देख रहा हूं. तू तो बहुत बदल गई है और समझदार भी हो गई,’’ गौरव बोलने लगा.

लेकिन सीमा बीच में ही टोकती हुई बोल पड़ी, ‘‘यहां से पास में ही मेरी ससुराल है. दूध वाले का घर पूछेगा तो कोई भी बता देगा. मेरे मकान में किराए के लिए कई कमरे खाली हैं. किराया बहुत अधिक नहीं है. तू एक कमरा किराए पर ले लेना. मेरा पति तुझे किराए पर रख लेगा. उस से कहेगा तो तुझे कोई काम भी दिलवा देगा,’’ सीमा बोली.

‘‘तू पति से कह कर किराया थोड़ा कम करवा देना,’’ गौरव बोला.

‘‘पागल है क्या! तू पति की नजरों में अनजान बने रहना. वहां उसे जरा भी एहसास नहीं होना चाहिए कि तू मुझे पहले से जानता है.’’

‘‘अच्छा तो यह बात है,’’ गौरव बोला.

‘‘तू उस से आज ही 5 बजे से पहले मिल कर किराया हाथ पर रख देना. पूरा नहीं तो कुछ एडवांस ही दे देना. वह कमरा दे देगा. बस, ध्यान रहे उस के सामने न तू मुझे जानता है और न मैं तुझे. समझ गया न?’’ सीमा बोली.

‘‘हां, बिलकुल समझ गया मेरी सैक्सी सिम्मी,’’ गौरव धीमे से बोला.

‘‘मैं यही सुनने के लिए कब से बेचैन थी. धीरे से ही सही, बोला तो…’’

‘‘एडवांस कितने महीने का देना होगा?’’ गौरव ने पूछा.

‘‘कुछ भी दे देना, वह मान जाएगा. कई कमरे खाली हैं. पैसे नहीं हैं तो बोल. मैं लाई हूं,’’ सीमा बोली.

‘‘नहीं, उस की जरूरत नहीं है.’’

सीमा के कहने के मुताबिक गौरव प्रदीप से मिला और 2 महीने का एडवांस किराया दे कर कोने का कमरा किराए पर ले लिया. क्योंकि उस कमरे से सीमा की रसोई साफसाफ दिखती थी.

सासससुर को देती थी नींद की गोलियां

कमरा किराए पर ले कर वह उसी रोज अपने गांव लौट गया. अगले रोज कुछ जरूरी सामान के साथ वापस आ गया. आते ही उस ने प्रदीप से मुलाकात की. उस से कोई काम दिलवाने के लिए भी कहा.

उस के बाद से सीमा और गौरव को एकदूसरे की झलक पाने के लिए तरसना नहीं पड़ता था. दोनों हर वक्त एकदूसरे की नजरों के सामने थे.

दिन में गौरव सीमा को दूर से निहारता था और रात होते ही वह उस के कमरे में पहुंच जाता था. वहां दोनों रंगरलियां मनाते थे. सुबह प्रदीप के लौटने से पहले सीमा कमरे को दुरुस्त करती हुई पतिव्रता बन जाती.

उन की रासलीला में बाधा केवल उस के सासससुर ही थे. उसे उन की नजरों से भी बचना था.

सीमा ने इस का रास्ता निकाल लिया था. वह सासससुर को रात के खाने और पानी में नींद की गोलियां मिला देती थी. गोलियां गौरव ला कर देता था.

सीमा के ससुर पहले ही बीमार रहते थे, नींद की दवा मिला खाना खाने के बाद वह तुरंत गहरी नींद में सो जाते थे. मगर सीमा की सास पर दवा का असर कुछ कम ही रहता था. वह अकसर नींद से जाग जाती थीं.

ऐसे ही एक रात जब गौरव सीमा के कमरे में था, प्रदीप की मां की आंखें खुल गईं. कमरे में धीमे स्वर में बातें करने की आवाज आई तो उन्हें कमरे में किसी के होने का संदेह हुआ.

सुबह उस ने सीमा से पूछा, तब वह बहाना बना कर निकल गई. मगर वह समझ गई कि   बुढि़या को उस पर शक हो गया है. उस ने गौरव से सावधान रहने को कह दिया.

उस के बाद सीमा सासससुर के गहरी नींद में सोने का पक्का इत्मीनान होने के बाद ही गौरव को बुलाती थी. 7 महीने तक यही सब चलता रहा. मगर उस की यह चालाकी बहुत दिनों तक नहीं चली.

एक सुबह सीमा की सास की आंखें मुंहअंधेरे ही खुल गईं और उस ने गौरव को सीमा के कमरे से निकलते देख लिया.

गौरव ने भी देख लिया कि उस की चोरी पकड़ी गई है.

सास ने सीमा को धमकाया कि वह अपनी हरकतों से बाज आ जाए, वरना प्रदीप को सारी बात बता देगी. इस पर सीमा ने हाथपैर जोड़ कर सास से माफी मांग ली और उन्हें मना लिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा.

फिर भी जब सीमा को एहसास हुआ कि सास उस पर नजर रखती है, तब उस ने उसे अपने प्यार के रास्ते से हटाने का खतरनाक इरादा बना लिया.

23 जनवरी की सर्द रातों में प्रदीप शाम ढले गौशाला चला गया था. उस रात सीमा ने खाने में नींद की दवा अधिक मात्रा में मिला दी. खाना खाने के बाद उस के सासससुर गहरी नींद में सो गए.

दोनों के सो जाने के बाद सीमा ने गौरव को बुलाया. उस दिन गौरव के साथ उस का दोस्त विशन कुमार उर्फ वासु भी ठहरा हुआ था. दोनों ने आ कर सीमा की सास को गला दबा कर मार डाला.

इस के बाद सीमा ने सास की चुन्नी उस के गले में इस तरह लपेट दी कि निशान नजर नहीं आए. फिर लाश को सोई हुई स्थिति में लिटा कर कमरे का दरवाजा भिड़ा दिया और अपने कमरे में जा कर सो गई.

सुबह उस ने प्रदीप को फोन कर जल्दी घर आने के कहा. प्रदीप आया तब उस ने भी मां के कमरे में जा कर जगाना चाहा,

मगर वहां तो मां मुर्दा पड़ी थी. शरीर ठंडा पड़ चुका था.

वहां मौजूद सभी लोगों ने एक ही बात हार्ट अटैक की बात दुहराई. मगर प्रदीप की हत्या के बाद यह सच उजागर हुआ कि वह भी हत्या थी, जिस को बहू के इशारे पर उस के प्रेमी ने अंजाम दिया था.

सीमा अब अपनी बाकी की जिंदगी प्रेमी गौरव तेवतिया के साथ ऐश के साथ बिताना चाहती थी, इसलिए अपने मिशन में रोड़ा बने पति प्रदीप को भी हमेशा के लिए हटाना चाहती थी. इस बारे में उस ने अपने प्रेमी गौरव से बात की तो वह भी इस के लिए तैयार हो गया.

दादरी निवासी गौरव तेवतिया ने इस बारे में प्रेमिका सीमा के साथ योजना बनाई. यह काम गौरव अकेला नहीं कर सकता था. इस संबंध में उस ने अपने ही गांव के रहने वाले परविंदर से बात की. परविंदर उस का साथ देने को तैयार हो गया.

परविंदर की मार्फत बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश निवासी रिंकू (22 वर्ष), सौरभ चौधरी (23 वर्ष), प्रशांत (22 वर्ष) व दिल्ली के सुलतानपुरी निवासी विशन कुमार (18 वर्ष) से बात हुई. इन सभी को 4-4 लाख रुपए देने तय हुए.

गौरव तेवतिया की पिछले दिनों रेलवे ने कुछ जमीन अधिग्रहीत की थी, जिस के बदले में उसे मोटा पैसा मिला था. इसलिए उस ने प्रेमिका से कह दिया था कि सुपारी के 20 लाख वह अपने पास से दे देगा.

योजना के अनुसार 21 फरवरी, 2022 को सभी आरोपी 2 मोटरसाइकिलों से उसी रास्ते में पहुंच गए, जहां से प्रदीप अपनी गौशाला जाता था. फिर मौका देख कर उन्होंने प्रदीप की गोली मार कर हत्या कर दी.

पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन की निशानदेही पर वारदात में प्रयुक्त 2 मोटरसाइकिलें, 3 पिस्टल, 10 जीवित कारतूस, 6 मोबाइल फोन आदि बरामद कर लिए.

इस के बाद पूछताछ कर सभी को रोहिणी स्थित कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया.

इस पूरे घटनाक्रम से प्रदीप के बीमार पिता गहरे सदमे में आ गए. उन के कंधों पर प्रदीप के 3 छोटेछोटे बच्चों की जिम्मेदारी आ गई.

सौजन्य: – मनोहर कहानियां

(लोकेशन- रोहिणी, दिल्ली)

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