इब्राहीम को कोविड हुआ तो अस्पताल में उस के इलाज का खर्चा सुन कर पिता अब्दुल के होश उड़ गए. मामूली सी स्कूटर रिपेयर की दुकान चलाने वाले अब्दुल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह बेटे के इलाज के लिए इतने हजार रुपए कहां से लाए.

इब्राहीम का इलाज तुरंत होना था. कई दोस्तोंरिश्तेदारों से उस ने उधार मांगा, लेकिन 20 हजार रुपए से ज्यादा जमा नहीं हो पाए. वह हाराथका अस्पताल वापस लौटा तो उस की बीवी ने उस का उतरा हुआ मुंह देख कर उस से कुछ देर के लिए घर जाने की इजाजत मांगी.

कोई 2 घंटे बाद अनीसा वापस लौटी तो उस के बटुए में 55 हजार रुपए थे और साथ ही, उस के कुछ गहने. पैसे और गहने ला कर उस ने पति को दिए तो अब्दुल हैरान हो गया.

‘‘इतना पैसा तुम्हारे पास कहां से आया?’’ उस का सवाल बीवी से था.

‘‘सालों से थोड़ाथोड़ा जोड़ कर रखे थे,’’ अनीसा ने पति को जवाब दिया.

अब्दुल रुपया मिलते ही भागेभागे अस्पताल पहुंचा कि वह बेटे का इलाज शुरू करवा ले. सम?ादार और जहीन बीवी अनीसा के लिए उस के दिल से अच्छे शब्द निकल रहे थे. उस से छिपा कर इतने सारे पैसे जोड़ लिए थे. आज इमरजैंसी में काम आ गए.

भारतीय महिलाओं में पति की नजर से कुछ पैसा बचा कर रखने की आदत होती है. हम अपनी मांओं, दादियों, नानियों को बचपन से ऐसा करते देखते हैं. कहीं दाल के कनस्तर में, कहीं मसाले के डब्बे में उन्हें पैसे की पोटली छिपाते देखते हैं.

दरअसल ऐसा कर के वे कोई चोरी नहीं कर रही हैं, बल्कि पैसा इकट्ठा कर के वे उस बुरे वक्त के लिए बचत करती हैं जो बिना दस्तक दिए घर में प्रवेश कर जाता है. यह उन का इमरजैंसी फंड होता है.

2016 में नोटबंदी के वक्त जब 500 और 1,000 रुपए के नोट पर बैन लगा था तब भी ऐसा काफी धन महिलाओं के पास से निकला था, जिस का पता उन के पति या पिता को नहीं था, जो उन्होंने घरखर्च के पैसे में से बचाबचा कर जमा किया था.

आजकल की अनिश्चित परिस्थितियों में बुरे समय के लिए पैसे बचा कर रखना पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए जरूरी है. आपातकालीन परिस्थितियां बिन बताए आती हैं. सो, हमें उन का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

महिलाओं को बिना किसी परेशानी के आपातकालीन परिस्थितियों से अच्छी तरह निबटने के लिए एक इमरजैंसी फंड तैयार करने के अलावा अपने पर्सनल फाइनैंस की प्लानिंग करते समय अतिरिक्त सावधान रहने की जरूरत है. महिलाएं अपने फाइनैंस को मैनेज करने के लिए अकसर घर के पुरुषों पर निर्भर करती हैं, लेकिन यह आदत अब बदल देनी चाहिए.

तलाक और नौकरी छूटने की घटनाएं आजकल आम बात हो गई हैं, इसलिए महिलाओं को घर के फाइनैंस को मैनेज करने में और एक इमरजैंसी फंड का निर्माण करने में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए.

कोरोना वायरस किसकिस शक्ल में कब आ जाए, पता नहीं. अब तो रूसी आक्रमण के बाद यह भी पक्का नहीं कि कब कौन सा छोटा सा शांति से जी रहा देश आग का गोला बन जाए और वहां पहुंचे आप के रिश्तेदार बेकार में फंस जाएं और उन को निकालने के लिए मोटा पैसा खर्च करना पड़े.

इमरजैंसी फंड का कंट्रोल अपने हाथ में रखें

चाहे आप शादीशुदा हों या कुंआरी, आप के पास एक इमरजैंसी फंड होना ही चाहिए. यदि आप कुंआरी हैं और आप के पास इमरजैंसी फंड है तो यह बुरे समय में आप के लिए मददगार साबित होगा.

इस से भी बुरे मामलों में जहां किसी महिला के साथ अनहोनी हो जाए, उस के पति की मौत हो जाए तो ऐसी परिस्थिति में इंश्योरैंस का भुगतान और अन्य आवश्यक चीजें महिला के नाम पर ट्रांसफर होने तक मुश्किल पस्थितियों से निबटने के लिए एक इमरजैंसी फंड होना ही चाहिए.

एक शादीशुदा महिला को नौकरी छूटने, तलाक इत्यादि आपातकालीन परिस्थितियों से निबटने के लिए भी यही इमरजैंसी फंड काम में आता है.

आप को अपना वेतन मिलने में देर होने पर भी इमरजैंसी फंड मददगार साबित होता है. यह फंड आपातकालीन परिस्थितियों में भी सुरक्षित होने का एहसास कराता है.

कहां रख सकती हैं इमरजैंसी फंड

सेविंग बैंक अकाउंट : इस की सुलभता और आसान संचालन के कारण सेविंग बैंक अकाउंट पैसे बचाने का अच्छा विकल्प है. इस में आमतौर पर

4 से 6 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है और इस में रखे गए पैसे को किसी भी एटीएम से आसानी से निकाला जा सकता है. अपने बैंक की पैसे निकालने की सीमा के बारे में जानना न भूलें.

रिकरिंग, फिक्स्ड डिपौजिट्स : आप अपने सेविंग्स बैंक अकाउंट के साथ एक फिक्स्ड या रिकरिंग डिपौजिट भी खोल सकती हैं. सेविंग्स बैंक अकाउंट की तरह यह भी अपने नकद पैसे रखने का एक अच्छा तरीका है और इसे चलाना भी आसान है. यह आप को हर महीने एक खास रकम निवेश करने में सक्षम बनाता है. इस पर सेविंग्स अकाउंट से अधिक ब्याज मिलता है. इस में रखे गए पैसे को आपातकालीन परिस्थिति के दौरान आसानी से निकाला जा सकता है.

लिक्विड म्यूचुअल फंड्स : ये सिक्योरिटीज वाले डेट म्यूचुअल फंड्स हैं, जिन की अवधि 91 दिन से अधिक नहीं होती है. इन में कोई लौकइन पीरियड या एग्जिट लोड नहीं होता है और इन्हें 24 घंटे से भी कम समय में रिडीम किया जा सकता है. चूंकि इन्हें खासतौर पर कम मैच्योरिटी अवधि वाले फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है, इसलिए इन की ब्याज दरें अन्य डेट फंडों की तुलना में सब से कम होती हैं.

इमरजैंसी फंड रखने जैसे विवेकपूर्ण कार्यों से किसी भी गृहिणी को आर्थिक स्वतंत्रता मिल सकती है और किसी आपातकालीन परिस्थिति का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है.

ये फंड वैसे तो सुरक्षित हैं पर सरकारी नजर इन पर रहती है. हर समय सतर्क रहना पड़ता है. इन फंडों के नियम मनमाने ढंग से बदल दिए जाते हैं. एक बार पैसा ले लेने के बाद फंड मैनेजर ग्राहक को घास नहीं डालते पर कहीं वसूली का मौका मिल जाए तो आधापौना या पूरा भी हड़प सकते हैं.

सरकार ने इन फंडों को रैगुलेट करने के नाम पर इन में लगी संपत्ति को अपना सम?ाना शुरू कर दिया है. ये फंड गुप्त नहीं हैं, यह जान लें. साडि़यों के बीच रखे पैसे चोरी हो सकते हैं तो इन फंडों का पैसा भी हड़पा जा सकता है.

इमरजैंसी फंड के लिए इन बातों का ध्यान रखें

घरखर्च और परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद आप के पास थोड़ी सी ऐसी बचत होनी चाहिए जो जरूरत पड़ने पर कुछ महीने तक आप को आर्थिक राहत दे सके. अगर आप नौकरी करती हैं तो यह पैसा आप की 6 से 12 महीने की आय जितना तो होना ही चाहिए. इस फंड को आप अपनी पैसों की जरूरत, अपनी लाइफस्टाइल और अपने आश्रितों की संख्या के आधार पर बढ़ाघटा सकती हैं.

इस फंड का निर्माण करते समय याद रखें कि यह पैसा आप को तुरंत उपलब्ध हो जाए. इसलिए कुछ पैसे सेविंग्स बैंक अकाउंट्स, फिक्स्ड डिपौजिट्स, रिकरिंग डिपौजिट्स या लिक्विड म्यूचुअल फंड्स में रखें.

इमरजैंसी फंड का निर्माण करते समय आप को महंगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए और हर बीतते साल वार्षिक वृद्धि या प्रमोशन के साथ समयसमय पर इस में वृद्धि करते रहना चाहिए.

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