आईएएस अधिकारी डॉ. हरीओम से ऐसी क्या गलती हुई जिसका हर्जाना उन्हें आज 10 साल बाद भरना पड़ रहा है? आज से दस साल पहले आईएएस अधिकारी डॉ. हरीओम ने सांसद योगी आदित्यनाथ को भेजा था जेल. बस…यही थी उनकी खता जिसे आज वह भुगत रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार बनते ही प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर शुरू हो गए. प्रदेश में 20 बड़े अधिकारियों के तबादले किए गए, जिनमें से 9 को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है. इसी वेटिंग लिस्ट में से एक अधिकारी डॉ. हरिओम भी हैं, जिन्होंने 10 साल पहले वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
दरअसल, यह घटना 26 जनवरी 2007 की है, जब गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव जोरों पर था और तत्कालीन सांसद योगी जी ने गोरखपुर में धरना करने का ऐलान कर दिया था. पूरे शहर में कर्फ्यू लगे होने की वजह से डीएम डॉ. हरिओम ने उन्हें गोरखपुर में घुसने से पहले ही रोक दिया था. लेकिन सांसद योगी अपनी जिद पर अड़ गए. जिसके बाद प्रशासन ने आखिरकार उन्हें गिरफ्तार करने का निर्णय किया.
इस बारे में खुद तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने बताया था कि वह योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे. लेकिन सांसद योगी ने ही उन पर दवाब बनाया था कि उन्हें कारागार में रखा जाए. हालांकि हरिओम सांसद आदित्यनाथ को सर्किट हाउस में रखना चाहते थे जहां अमूनन सांसदों या विधायकों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है. लेकिन सांसद आदित्यनाथ की जिद के आगे वह नतमस्तक हो गये. इसके बाद गोरखपुर की जिला कारागार में सांसद योगी 11 दिन तक बंद रहे.
जेल से रिहा होने के बाद जब सांसद योगी पहली बार संसद पहुंचे तो वह अपनी गिरफ्तारी की बात बताते-बताते रो पड़े. सांसद योगी का संसद में दिया गया ये भाषण काफी चर्चा में रहा. इसी भाषण में योगी ने सवाल उठाया था कि कैसे किसी सांसद को 11 दिन तक कारागार में रखा जा सकता है जबकि कानूनन किसी सांसद को 24 घंटे से ज्यादा नॉन क्रिमिनल ऑफेंस में कारागार में नहीं रखा जा सकता. गिरफ्तारी के चौबीस घंटे के बाद ही डॉ. हरिओम को सरकार ने सस्पेंड कर दिया और उनकी जगह ड्यूटी संभालने के लिए उस समय सीतापुर के डीएम राकेश गोयल को रातों-रात हेलीकॉप्टर से गोरखपुर भेजा गया. इससे भी दिलचस्प यह है कि डॉ. हरिओम को सस्पेंशन के एक हफ्ते के भीतर ही वापस बहाल कर दिया गया.
फिलहाल हरिओम वेटिंग लिस्ट में है. इससे पहले तक वो संस्कृति विभाग के सचिव के तौर पर कार्यरत थे. डॉ. हरिओम के प्रशासनिक अनुभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो उत्तर प्रदेश के 11 जिलों (जैसे कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर आदि) के डीएम रह चुके हैं. वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन तब का सांसद आज का मुख्यमंत्री है. मुख्यमंत्री योगी के अगले आदेश के आने तक आला अधिकारियों को इंतज़ार ही करना पड़ेगा.