राजमाता विजयाराजे सिंधिया हमारी मां समान थीं. मैं उनकी पूजा करता हूं. वे हम सभी की प्रणेता थीं. वे अकेले माधवराव सिंधिया की मां नहीं थीं. दुख आने पर वे सबसे पहले आगे आती थीं. विदिशा क्षेत्र में बाढ़ आने पर मदद करने वे सबसे पहले आगे आई थीं. वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया लोक नेता हैं. धार जिले के मोहनखेड़ा में आयोजित मध्यप्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक मे उक्त उद्गार जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने व्यक्त किए तो उनसे चाटुकारिता की महक आ रही थी.
ऐसा बोलना यानि सिंधिया परिवार की शान में कसीदे गढ़ना उनकी सियासी मजबूरी भी हो गई थी, क्योंकि भिंड जिले की विधानसभा सीट अटेर के उप चुनाव में प्रचार के दौरान इन्ही शिवराज सिंह ने सिंधिया खानदान को गद्दार कहने की जो गुस्ताखी की थी उसके एवज में भाजपा इस सीट पर हार गई थी. राजमाता विजयराजे की बेटी यशोधरा राजे जो शिवराज मंत्री मण्डल मे खेल और युवक कल्याण मंत्री हैं ने अपने पूर्वजों के अपमान को सहज बर्दाश्त न करते राजमाता का योगदान भाजपा को खड़ा करने में गिनाया था तो बात दिल्ली तक पहुंची थी और फिर तब से लेकर अब तक शिवराज सिंह इस मसले को शांतिपूर्वक रफा दफा करने की जुगत में थे.
मोहनखेड़ा में यह मौका मिला तो वे चूके नहीं और वसुंधरा और यशोधरा के सामने नतमस्तक हो गए. इसके पहले राजमाता विजयारजे सिंधिया की ज़िंदगी पर बनी फिल्म एक थी रानी ऐसी भी को वे मध्य प्रदेश में टैक्स फ्री घोषित कर चुके थे और इसके भी पहले वसुंधरा राजे भोपाल आकर उनसे मिली थीं और एकांत में तकरीबन एक घंटे तक दोनों में चर्चा हुई थी जिसके निष्कर्ष में शिवराज सिंह ने सिंधिया सिस्टर्स को लोक नेता कहा तो समझने वाले समझ गए कि इस तरह उन्हे माफी मांगना पड़ी, हालांकि कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुदगर्ज करार देते शिवराज सिंह ने उन पर सिंधिया ट्रस्ट की जमीनें बेचने का आरोप लगाया, जिसके माने इतने भर थे कि अटेर की जीत की इकलौती वजह ज्योतिरादित्य की सक्रियता थी.