बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को क्रूज़ पार्टी में मादक पदार्थ इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े खुद आरोपों के घेरे में बुरी तरह फंस गए हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर ड्रग्स रखवाने से लेकर चोरी और फर्जीवाड़े तक के आरोप मढ़ दिए हैं. इससे पूरे डिपार्टमेंट में खलबली मची हुई है. बॉलीवुड अभिनेता के बेटे को गिरफ्तार करने पर जहाँ नारकोटिक्स विभाग चर्चा में था, वहीं अब उनके ही अधिकारी समीर वानखेड़े पर लग रहे संगीन आरोपों के कारण पूरा डिपार्टमेंट बैकफुट पर है.
क्रूज ड्रग्स केस में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद आर्यन खान को तो 26 दिन बाद जमानत मिल गयी मगर समीर वानखेड़े के खिलाफ विभागीय जांच और विजिलेंस की जांच शुरू हो चुकी है. मुंबई पुलिस में भी दर्ज चार एफआईआर की बिना पर ड्रग माफियाओं से उनके सम्बन्ध, धनउगाही और धोखाधड़ी की तफ्तीश हो रही है. यानी अब शिकारी अपने जाल में खुद बुरी तरह फंस गया है.
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नवाब मालिक ने समीर वानखेड़े पर 26 आरोपों की एक लम्बी चिट्ठी सोशल मीडिया पर जारी की है. उसके साथ ही समीर वानखेड़े के नाम, धर्म, शादी आदि को लेकर उनका व्यक्तिगत जीवन सार्वजनिक होना शुरू हो गया है. नवाब मलिक का आरोप है कि समीर वानखेड़े ने अपना धर्म और जाति छिपा कर नकली जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी प्राप्त की है. नौकरी में रहते हुए समीर ने कई निर्दोष और मासूम लोगों को मादक पदार्थ निषेध अधिनियम के तहत गलत तरीके से फंसा कर जेल भेजा है. वह अपने पावर का इस्तेमाल धनउगाही के लिए करते हैं और इस तरह फिल्म इंडस्ट्री से उन्होंने काफी पैसा बनाया है. मलिक का आरोप है कि दीपिका पादुकोण जैसी ख्यात एक्ट्रेस से भी वानखेड़े ने काफी पैसा ऐंठा है.
कहा जा रहा है कि नवाब मलिक ने समीर के खिलाफ आरोपों की जो चिट्ठी सार्वजनिक की है वह उनको नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के ही किसी शख्स ने भेजी है. हालांकि मलिक ने उस शख्स के नाम का खुलासा अब तक नही किया है और चिट्ठी पर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं. मलिक ने अपने ट्विटर हैंडल से चिट्ठी साझा की है.
इस चिट्ठी की शुरुआत की लाइनों में कहा गया है, “मैं एनसीबी का कर्मचारी हूं और पिछले दो सालों से मुंबई कार्यालय में कार्यरत हूं. पिछले साल जब एनसीबी को एक्टर सुशांत सिंह राजपूत मामले में ड्रग एंगल की जांच सौंपी गई, तब राजस्व खुफिया निदेशालय में काम रहे समीर वानखेड़े को एनसीबी के जोनल डायरेक्टर के पद पर जॉइन कराया गया.”
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चिट्ठी में आगे समीर वानखेड़े और एनसीबी अधिकारियों पर कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से पैसे मांगने और उनका उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए हैं. चिट्ठी से यह भी पता चलता है कि तालाब में सिर्फ एक ही मछली नहीं है जो तालाब को गंदा कर रही है, बल्कि समीर के साथ उसके अंडर काम करने वाले अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी हैं, जो उसके लिए और खुद के लिए अवैध धनउगाही करते हैं. वे लोगों को मादक पदार्थ के झूठे केस में फंसाते हैं और छोड़ने की एवज में बड़ा अमाउंट मांगते हैं. जो नहीं दे पाते उन्हें जेल भेज दिया जाता है. समीर वानखेड़े न अपने कार्यकाल में ऐसे कई लोगों को जेल भेजा है, चिट्ठी लिखने वाले के मुताबिक़ जो निर्दोष थे और जिनमें ज़्यादा संख्या मुसलामानों की है.
चिट्ठी में लिखा है –
- समीर वानखेडे ने दिनेश चव्हाण को करण अरोड़ा, जैद विला अबास लखानी के कबूलनामे में रिया चक्रवर्ती, शौविक चक्रवर्ती, सैमुअल मिरांडा आदि का नाम लिखने को कहा, जिस पर दिनेश चव्हाण (सुपरिटेंडेंट ऑपरेशन) ने साफ मना कर दिया. तब समीर ने दिनेश चव्हाण को ऑपरेशन के कार्यभार से मुक्त कर विश्व विजय सिंह को ऑपरेशन का जिम्मा सौंपा. तब से लेकर आज तक विश्व विजय सिंह, समीर वानखेड़े के हाथों की कठपुतली है. दोनों ने मिलकर एनडीपीएस की धारा 27ए का दुरुपयोग किया. बेकसूर लोगों को फंसाया. जैसा समीर कहता है विश्व विजय वैसा ही करता है. इसके बदले में समीर वानखेडे, विश्व विजय सिंह के खिलाफ एनसीबी कार्यालय में प्राप्त कंप्लेंट्स (जो की लोगों के घरों से तलाशी के दौरान लाखों रुपये व सोने के गहनों की लूट के बारे में होती है) को झूठा बता कर उसको लगातार बचाता आ रहा है.
केस नंबर 16/2020 में विश्व विजय सिंह ने मोहम्मद जुम्मन से 20-25 लाख रुपये लिए. उसने एनसीबी दफ्तर मुंबई में लिखित कंप्लेंट की है, परंतु समीर वानखेड़े ने आरोप गलत बता कर उसकी कंप्लेंट क्लोज कर दी है.
2.केस नंबर 03/2021 में समीर खान को झूठे केस में अरेस्ट कर के 200 किलोग्राम तंबाकू को गांजा दिखा कर गलत तरीके से केस बनाया और वित्तीय लेन देन का आरोप लगा कर एनडीपीएस की धारा 27A का दुरुपयोग किया.
3. केस नंबर 06/2021 में मोहम्मद नजीम खान के घर आशीष रंजन ने 61 ग्राम मेफेड्रोन (एमडी) रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
4.केस नंबर 09/2021 में मोहम्मद बिलाल के पास 136 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
5.केस नंबर 18/2021 में अमजद असल शेख के घर आशीष रंजन ने 64 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
6.केस नंबर 24/2021 में शाहबाद बटला के घर पर सिपाही पी. सी. मोरे ने समीर के कहने पर ड्रग सप्लायर आदिल उस्मानी से 60 ग्राम मेफेड्रोन खरीदकर उसके घर रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
7. केस नंबर 27/2021 में अब्दुल कबीर व नाजिया शेख के घर 52 व 54 ग्राम मेफेड्रोन (MD) रखकर दोनों पर झूठा केस बनाया व उन्हें जेल में डाल दिया.
8.केस नंबर 28/2021 में इमरान के घर आशीष रंजन 10 ने 57 ग्राम मेफेड्रोन (MD) रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
9.केस नंबर 29/2021 में केन्निय के घर 200 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया .
10.केस नंबर 30/2021 में अंसारी समीरुद्दीन के घर 55 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
11. केस नंबर 31/2021 में चीकुड़ी पीटर, नाइजीरियन को 22 ग्राम कोकीन व 250 ग्राम चरस रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया .
12. केस नंबर 32/2021 में अब्दुल गफ्फार कुरैशी के घर 52 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
13. केस नंबर 33/2021 में शोयन हैदर खान के घर 1.2 ग्राम मेफेड्रोन व 17 ब्लॉट्स एलएसडी के रखकर झूठा केस बनाया. उसके घर से 17 लाख रुपये नगद मिले थे और एनसीबी की टीम ने समीर के कहने के बाद 9 लाख रुपये केस में दिखाये व बाकी आपस में बांट लिए.
14. केस नंबर 40/2021 में सुलेमान, सना व सरफराज कुरैशी के घर में आशीष रंजन और विश्व विजय सिंह ने 50 व 60 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उन्हें जेल में डाल दिया. उनके घर से 25 लाख रुपये व सोने के आभूषण गायब किए. शिकायत होने पर समीर ने मामला रफा दफा किया.
15.केस नंबर 44/2021 में सिकंदर हुसैन सजाद के घर से 12 बोतल कोडीन (खांसी के सिरप) व कुछ मात्रा में गांजा व मेफेड्रोन मिला था, लेकिन सिपाही विष्णु मीना ने समीर वानखेडे के कहने पर 2 कार्टन कोडीन के खांसी के सिरप उसके घर पर रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया. उसकी बहन के पास सिपाही विष्णु मीना के हाथ मे 2 कार्टून ले जाते हुए का वीडियो भी है. उसकी पुकार कोई भी नहीं सुन रहा .
16. केस नंबर 49/2021 में अहसान सजाद खान के घर 62 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया .
17. केस नंबर 51/2021 में सोहेल शेख के घर 62 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
18. केस नंबर में फाहद सलीम कुरैशी के घर 60 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
19. केस नंबर 63/2021 में मोहम्मद अशील शेख के घर 57 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
20. केस नंबर 71/2021 में समीर मुख्तार सैयद के घर 200 ग्राम परस मिला था लेकिन समीर वानखेडे के कहने पर उस पर 1200 ग्राम चरस का झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
21. केस नंबर 77/2021 में एक नाइजीरियन नागरिक को मानखुर्द से पकड़ा, जिससे कोई भी ड्रग नहीं मिली थी, लेकिन समीर वानखेडे में उसके पास से 254 ग्राम हेरोइन व 7.5 ग्राम कोकेन बरामदगी का झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया .
22. केस नंबर 80/2021 में एक नाइजीरियन नागरिक को खारघर से पकड़ा था, जिससे कोई भी ड्रग नहीं मिली थी, लेकिन समीर वानखेडे ने उसे 60 ग्राम मेफेड्रोन रखकर झूठा केस बनाया व उसे जेल में डाल दिया.
23. फेस नंबर 88/2021 में एक गुजरिंग को पकड़ा था, जिसे जेल में डाल दिया. दबिश के दौरान समीर ने उसका डेबिट कार्ड जब्त किया था जोकि गुजरात में किसी बैंक का था. उसका पिन नंबर एनसीबी के अधिकारियों से लिया था. गुजरिंग को जेल भेजने के बाद समीर वानखेड़े के कहने पर उसका डेबिट कार्ड इस्तेमाल करके 40000 रूपए निकाले गए.
24.केस नंबर 94/2021 में कोर्डेला फ्रज पर जो छापा डाला है, उसमें सभी पंचनामे एनसीबी मुंबई द्वारा लिखे गए हैं. भाजपा के इशारे पर उनके दो कार्यकर्ताओं ने समीर वानखेड़े के साथ मिलीभगत से ड्रग केस बनाया है. क्रूज पर एनसीबी के कर्मचारी एवं सुपरिटेंडेंट विश्व विजय सिंह, जांच अधिकारी आशीष रंजन, किरण बाबू, विश्वनाथ तिवारी और जूनियर इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर सुधाकर शिंदे, ओटीसी कदम, सिपाही रेड्डी, पी.डी. गोरे व विष्णु गीगा, ड्राइवर अनिल माने व समीर वानखेड़े का निजी सचिव शरद कुमार व अन्य कर्मचारी अपने सामान में छिपा कर ड्रग ले गए थे व मौका पाकर उसे लोगो के निजी समान में रखा. समीर वानखेडे को सर्च ऑपरेशन के दौरान कोई बॉलीवुड कलाकार या मॉडल मिलती है तो वह अपने पास रखा ड्रग उसका दिखा कर उसे आरोपी बना देता है. इस मामले में भी यही हुआ है.
समीर पिछले एक माह से भाजपा के दो कार्यकर्ताओं – केपी गोसावी और मनीष भानुशाली के संपर्क में है. क्रूज से जितने भी आदमी पकड़े गए थे, उन्हें एनसीबी ऑफिस लाया गया. सारे पंचनामे एनसीबी ऑफिस में बैठ कर बनाए गए, क्रूज से गिरफ्तार लोगों में से ऋषभ सचदेव, प्रतिमा व अगीर फ़र्नीचरवाला को उसी रात दिल्ली से फोन आने पर छोड़ दिया गया. इस मामले में समीर वानखेड़े की फोन कॉल डीटेल चेक की जा सकती है. अरबाज मर्चेंट के दोस्त अब्दुल से कोई ड्रग्स नहीं मिली थी, लेकिन समीर के कहने से उस पर भी ड्रग की रिकवरी दिखा दी गई है. समीर ने इस केस में अपने (एनसीबी) कार्यालय के ड्राइवर विजय को पंच यानि गवाह बना दिया है, जबकि कानून कहता है कि गवाह स्वतंत्र होने चाहिए. यह सारा केस फर्जी है. जो ड्रग प्राप्त हुई है वह समीर और उसके साथियों ने खुद प्लांट की है.
25. एनसीबी ने गोवा में प्रसाद वादके के घर 17 ग्राम एलएसडी सिपाही रेड्डी ने रखकर नकली केस बना कर जेल भेजा.
26. बिग बॉस में भाग लेने वाले अरमान कोहली के घर सिपाही विष्णु मीना व रेड्डी ने 1 ग्राम कोकेन रखकर उस पर नकली केस बना कर उसे जेल भेज दिया. जब से समीर वानखेड़े ने एनसीबी मुंबई में कार्यभार संभाला है, तब से जो भी केस एनसीबी ने किए हैं, उनमें पकड़े गए आदमियों से लगभग 25 खाली पेपरों पर हस्ताक्षर लिए जाते हैं और अपनी मनमर्जी से पंचनमा बदल लिया जाता है. हस्ताक्षर वाले खाली कागज एनसीबी के सभी इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर्स की मेज की दराज में रखे है व सुपरिटेंडेंट विश्व विजय सिंह की अलमारी में रखे है, जिन्हे छापा मार कर निकाल सकते है. इसके साथ थोड़ी मात्रा में ड्रग्स भी समीर व विश्व विजय सिंह के कार्यालय के कमरे से बरामद की जा सकती है.
यह लंबा चौड़ा पत्र जो नवाब मलिक द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है, इससे यह तो तय है कि इसे लिखने वाला नारकोटिक्स विभाग का ही कोई व्यक्ति है, जिसे तमाम केस नंबर, आरोपियों के नाम और बरामद दिखाए जा रहे मादक पदार्थों की मात्रा की पूरी जानकारी है. इसमें दोराय नहीं कि किसी घर के भेदी ने ही समीर वानखेड़े की लंका ढहा दी है.
मुंबई पुलिस के एसीपी स्तर के एक अधिकारी ने समीर वानखेड़े के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों और अन्य मुद्दों की स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है. वानखेड़े के खिलाफ मुंबई के अलग-अलग थानों में चार शिकायतें दर्ज की गई हैं. मुंबई पुलिस ने शिकायतों की जांच के लिए चार अधिकारियों को नियुक्त किया है. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिलीप सावंत की देखरेख में यह जांच कराई जा रही है.
क्रूज ड्रग्स मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद उसकी रिहाई के लिए 25 करोड़ रूपए की रिश्वत मांगने के आरोप भी समीर वानखेड़े पर हैं, जिसकी सतर्कता जांच शुरू हो चुकी है. इसमें वानखेड़े द्वारा गवाह बनाया गया भाजपा कार्यकर्ता किरण गोसावा बिचौलिए की भूमिका निभा रहा था. एनसीबी की पांच सदस्यीय सतर्कता जांच टीम ने मुंबई पहुंच कर वानखेड़े के बयान दर्ज किये हैं. टीम ने दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट स्थित विभाग के दफ्तर से भी कुछ दस्तावेज व रिकॉर्डिंग जब्त की हैं. सतर्कता जांच का नेतृत्व कर रहे एनसीबी के उप महानिदेशक (उत्तरी क्षेत्र) ज्ञानेश्वर सिंह ने इस जांच से जुड़े सभी गवाहों को बुलाया है ताकि उनके बयान दर्ज किये जा सकें.
कौन हैं समीर वानखेड़े
मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले समीर वानखेड़े 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं. राजस्व सेवा में आने से पहले वे साल 2006 में पहली बार केंद्रीय पुलिस संगठन (सीपीओ) में शामिल हुए थे. इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी), नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी जैसे कुछ और महकमे सीपीओ के तहत आते हैं. समीर वानखेड़े के पिता भी एक्साइज़ विभाग में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी रहे हैं.
भारतीय राजस्व सेवा में आने के बाद समीर वानखेड़े को सीमा शुल्क विभाग में तैनात किया गया था. उन्होंने कुछ सालों तक मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर असिस्टेंट कमिश्नर (कस्टम) के रूप में काम किया. कहा जाता है कि इस दौरान उन्होंने कई मशहूर हस्तियों को कस्टम ड्यूटी न चुकाने को लेकर पकड़ा था. 2011 में उन्होंने शाहरुख खान को भी चार घंटे एयरपोर्ट पर बिठा कर उनके सामान से सम्बंधित पूछताछ की थी और इस दौरान उन्हें कोई फ़ोन भी नहीं करने दिया था.
समीर वानखेड़े ने राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय (डीआरआई) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ भी काम किया है. एनआईए आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित मामलों की जांच करने वाली सरकारी एजेंसी है. साल 2020 में समीर वानखेड़े को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में मुंबई ज़ोन के डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी दी गई. उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय से उत्कृष्ट जांच के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
गलत जाति प्रमाण पत्र और सरकारी नौकरी
समीर वानखेड़े खुद को दलित हिन्दू बताते हैं. उनके पिता भी खुद को दलित हिन्दू कहते हैं मगर मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के निकाहनामे को सार्वजनिक करके उनके धर्म पर सवाल खड़ा कर दिया है. दरअसल समीर की माँ मुस्लिम थीं और पिता हिन्दू दलित. समीर की पहली शादी एक मुस्लिम लड़की शबाना कुरैशी से हुई थी. जिससे बाद में तलाक हो गया. 7 दिसंबर 2006 को मुंबई में संपन्न यह शादी मुस्लिम रीतिरिवाज से हुई थी और निकाहनामे पर समीर का नाम ‘समीर दाऊद वानखेड़े’ लिखा था. नीचे उर्दू में उनके हस्ताक्षर भी हैं. निकाह कराने वाले क़ाज़ी ने भी इस बात की तस्दीक की है कि समीर की शादी मुस्लिम तरीके से हुई थी. शरीयत के मुताबिक गैरमुस्लिम का निकाहनामा नहीं कराया जा सकता. तो जाहिर है इसके लिए समीर ने मुस्लिम धर्म अपनाया होगा क्योंकि शरीयत के मुताबिक़ निकाह के लिए उनका मुस्लिम होना ज़रूरी है. निकाह के वक़्त उन्होंने 33 हजार रूपए मेहर के रूप में अदा किये थे. उनके निकाहनामे में गवाह नंबर दो अजीज खान, जो कि मुस्लिम हैं, समीर वानखेडे़ की बहन यास्मीन के पति हैं. निकाह कराने वाले काजी ने भी कहा है कि समीर वानखेड़े उस वक़्त मुस्लिम थे. ऐसे में दलित हिन्दू के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर समीर वानखेड़े ने सरकारी नौकरी कैसे पा ली, इस पर बवाल उठ खड़ा हुआ है. नवाब मलिक का कहना है, ”मैं वानखेडे़ के धर्म या उनके व्यक्तिगत जीवन को नहीं, बल्कि उनके कपटपूर्ण कृत्य को सामने लाना चाहता हूं, जिसके जरिये उन्होंने आईआरएस की नौकरी हासिल की और एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति का हक मारा.’
क्रूज़ काण्ड के पीछे भाजपा
नवाब मलिक ने दावा किया है कि – ‘एनसीबी ने क्रूज पर छापामारी नहीं की थी, बल्कि ट्रैप लगाकर कुछ लोगों को फंसाया गया है. और इसमें समीर वानखेड़े के साथ भाजपा के लोगों की मिलीभगत है. मलिक ने साथ ही यह भी दावा किया कि क्रूज पार्टी की इजाजत महाराष्ट्र सरकार से नहीं, बल्कि सीधे जहाजरानी महानिदेशालय से ली गई थी. जो कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. मलिक कहते हैं कि अगर, क्रूज की सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाएं तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.’ दरअसल क्रूज़ के जो वीडियो सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर दिखाई दे रहे हैं उसमें एक दाढ़ीवाला व्यक्ति अपनी मंगेतर के साथ वहां डांस करता नज़र आ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वह एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया है और समीर वानखेड़े का अच्छा दोस्त है, जो तिहाड़ और राजस्थान की जेलों में कई साल सज़ा काट चुका है. मलिक पूछते हैं कि वह व्यक्ति वहां क्या कर रहा था? उसको समीर वानखेड़े से बात करते देखा गया है. इसके अलावा दो व्यक्ति जिन्हें एनसीबी ने अपना गवाह बनाया है, वे दोनों ना सिर्फ भाजपा से जुड़े हुए हैं, बल्कि उनमें से एक किरण गोसावी, जो इस मामले के उछलने के बाद लखनऊ से पुणे तक अपनी जान बचा कर भागता और छुपता फिरा और जिसे पुणे में गिरफ्तार कर लिया गया है, कहा जा रहा है कि आर्यन खान को छोड़ने की एवज में उसी ने शाहरुख़ खान से 25 करोड़ रूपए की डील करने की कोशिश की थी. यह व्यक्ति एक वीडियो में आर्यन खान के पास बैठा अपने मोबाइल फोन पर आर्यन का बयान रिकॉर्ड करते हुए भी दिख रहा है और एक अन्य वीडियो में वह आर्यन खान की गिरफ्तारी के वक़्त उसका हाथ पकड़ कर उसको ले जाते हुए भी नज़र आ रहा है. सवाल यह है कि जब ये व्यक्ति ना तो पुलिस का है और ना नारकोटिक्स विभाग का, तो वह किस तरह ये हरकतें वहां करता रहा, किसकी इजाजत से करता रहा और वानखेड़े ने उस व्यक्ति को गवाह क्यों बनाया? वानखेड़े से उसका क्या सम्बन्ध है?
बदनाम है नारकोटिक्स विभाग
वर्ष 2009 में नारकोटिक्स के आला अधिकारी साजी मोहन की कहानी याद करें. 1995 बैच के आईपीएस साजी मोहन और एनसीबी के तत्कालीन जोनल डायरेक्टर को मार्च 2009 में मुंबई एटीएस ने हेरोइन तस्करी और बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उसके पकड़े जाने के बाद जब एनसीबी ने अपने मालखाने का रिकार्ड चेक किया तो पता चला कि साजी मोहन ने मालखाने से 13 लाख 81 हजार रुपये का गबन किया था. यही नहीं, साजी मोहन पर हेरोइन तस्करी का भी आरोप था. चेकिंग के दौरान 15 मई, 2008 को जम्मू-कश्मीर बार्डर से जब्त की गई 60 किलो हेरोइन की जगह मालखाने में महज 30 किलो हेरोइन मिली थी. 30 किलो हेरोइन कम होने की जांच के दौरान पता चला कि साजी मोहन ने उक्त हेरोइन को अन्य आरोपियों के साथ मिलकर बेच दिया. एटीएस की पूछताछ में उसने कई अहम खुलासे किए थे. साजी मोहन ने एटीएस को बताया था कि वह तस्करों से बरामद हेरोइन को बाजार में बेच देता था और उसकी जगह पर चूना या फिर पाउडर रख देता था ताकि इससे किसी को शक न हो कि हेरोइन वहां से कम हो रही है. महाराष्ट्र एटीएस ने इस अधिकारी के कब्जे से 12 किलोग्राम शुद्ध हेरोइन जब्त की थी. साजी मोहन ने चंडीगढ़ में एनसीबी के जोनल निदेशक रहते नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा जब्त नशीले पदार्थ में से 50 फीसदी की चोरी की थी और उन्हें मुंबई सहित अन्य शहरों में ड्रग माफिया को बेचा था.
वर्ष 2011 में अदालत ने साजी मोहन और उसके एक अन्य साथी पर भ्रष्टाचार और गबन के आरोप तय किए. मुंबई की एक विशेष अदालत ने साजी मोहन को मादक पदार्थ रखने और उसकी तस्करी का दोषी ठहराते हुए 15 साल कैद की सजा सुनाई. एनडीपीएस विशेष अदालत ने 2009 के इस मामले में हरियाणा पुलिस के कांस्टेबल राजेश कुमार कटारिया को भी 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. कांस्टेबल कटारिया उस वक्त साजी मोहन का ड्राइवर था. ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 40 गवाहों से सवाल-जवाब किए. इसके साथ ही साजी मोहन और ड्रग माफिया के बीच फोन पर चार बार हुई बातचीत को भी रिकॉर्ड पर लिया.
सहीराम मीणा ने तो नारकोटिक्स में रहते चार सौ करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली
राजस्थान में अफीम की खेती नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों के लिए रुपयों की खेती से कम नहीं है. अफीम की खेती के पट्टे (लाइसेंस) जारी करने से लेकर क्षेत्र का मुखिया बनाने तक के मामले में अधिकारी चांदी कूटते हैं. जनवरी 2019 में नारकोटिक्स विभाग के एडिशनल कमिश्नर और वरिष्ठ आइआरएस अधिकारी सहीराम मीणा को जब रिश्वत लेने के इलज़ाम में गिरफ्तार किया गया तो जांच में वह 400 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक निकला.
1989 बैच के आईआरएस अधिकारी और नारकोटिक्स ब्यूरो में डिप्टी कमिश्नर सहीराम मीणा के रिटायरमेंट का आखिरी महीना था जब उन्हें एक लाख रूपए घूस लेते एंटी करप्शन ब्यूरो ने पकड़ा था. घूसकाण्ड की जांच शुरू हुई तो कुबेर के खजाने के पट खुलते चले गए. एसीबी की टीम जब सहीराम के कोटा और जयपुर वाले घर तलाशी के लिए पहुंचीं तो वहां काफी माल असबाब बरामद हुआ. जयपुर वाले घर में 106 जमीन के प्लॉट वाले कागजात मिले. जयपुर में 26 दुकानें, एक पेट्रोल पंप, वाटिका जयपुर में प्रेम पैराडाइज मैरिज गार्डन, सांगानेर में 5 बीघा खेत और सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में इंडस्ट्रियल जमीन के पेपर्स मिले.
सहीराम मीणा ने मुंबई में एक और दिल्ली के पॉश इलाकों में दो फ्लैट खरीद रखे थे. मुंबई के फ्लैट से 80 हजार रुपया महीना किराया आता था. उनके नाम स्वामी विवेकानंद एजूकेशन सोसायटी का रजिस्ट्रेशन जांच टीम को मिला. इसके अलावा 4 ट्रक, चार महंगी कारें, तकरीबन साढ़े 6 लाख रुपए मूल्य की जूलरी मिली. इसके अलावा 2 करोड़ 26 लाख 98 हजार 800 रुपए बरामद हुए. एचडीएफसी बैंक में बेटे मनीष और बहू के साझे लौकर में 24 लाख की जूलरी मिली.
सहीराम जब 99 के फेर में पड़ गए तो दनादन पैसे बनाने के चक्कर में ब्याज पर भी पैसा चढ़ाने लगे. तमाम ठेकेदारों को ब्याज पर लाखों रुपए देने की डिटेल से भरी तमाम डायरियां जांच अधिकारियों ने उनके घर से बरामद कीं.
यह तो अच्छा हुआ कि सहीराम सही समय पर एंटी करप्शन ब्यूरो के हाथ लग गए वरना सेवानिवृत्ति के बाद दौसा सीट से सांसदी का चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले सहीराम राजनीति में आने के बाद कितना गलत करते इसका कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता है.