दिखने में भोलीभाली मगर तेजतर्रार कांग्रेसी नेत्री सुष्मिता देव कांग्रेस पार्टी छोड़ कर टीएमसी में शामिल हो गई हैं. महिला कांग्रेस की मुखिया रही इस नेत्री का तर्क है कि पूर्वोत्तर से भाजपा को हटा पाना अब कांग्रेस के बस की बात नहीं. 48 वर्षीया सुष्मिता पेशे से वकील हैं. उन के पिता संतोष मोहन देव कांग्रेस से सांसद रहे थे, यानी सुष्मिता को अब तक जो भी मिला था वह कांग्रेस की देन था. उन के इस्तीफे से हल्ला यह मचा कि कांग्रेस के युवा अब निराश हो चले हैं, इसलिए पार्टी छोड़छोड़ कर भाग रहे हैं. दरअसल, कांग्रेसी युवा निकम्मे हो चले हैं जिन्हें अब तक मुफ्त की मलाई गांधीनेहरू खानदान से मिल रही थी. अब पार्टी संकट में है तो चूहों सरीखे भाग रहे हैं.

मुनव्वर के वाल्मीकि रामायण के रचयिता वाल्मीकि दलित थे या ब्राह्मण इस पर आएदिन बहस और विवाद होते रहते हैं, जिन में से कुछ मुकदमों की शक्ल में अदालतों तक भी पहुंचे हैं. इन दिनों बेइंतहा परेशान चल रहे मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने तालिबानों की तुलना वाल्मीकि से कर दी तो उन के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में सामाजिक सरोकार फाउंडेशन के उपाध्यक्ष पी एल भारती ने दलितों की धार्मिक भावनाएं भड़काने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. मुनव्वर राणा ने कहा था कि ‘10 साल बाद तालिबानी भी वाल्मीकि होंगे और हिंदू धर्म में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है.’ इस बयान के दीर्घकालिक प्रभाव कुछ भी हों लेकिन तात्कालिक माने ये हैं कि दलितों की भी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और कोई मुसलमान कुछ कहे तो आहत हो जाती हैं.

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ऊंची जाति वालों के आएदिन लतियाते रहने से खास फर्क नहीं पड़ता. ये फिल्मी अमिताभ नहीं उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियों के बीच 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने न केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी बल्कि अभी से प्रचार करने गोरखपुर की तरफ कूच भी करने लगे तो उन्हें हाउसअरैस्ट कर लिया गया. पौराणिक काल में नायक इसी तरह जीतते थे कि प्रतिद्वंद्वी को छलकपट, झूठ और बेईमानी कर लड़ने ही मत दो और लड़ो तो इन्हीं चालाकियों का सहारा लो. अभिमन्यु, कर्ण, द्रोणाचार्य और बाली आदि इसी विधि से मारे गए थे. हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर पूरे चुनावभर यही हो क्योंकि भाजपा दिक्कत में है. जीत के लिए वह इस रणनीति पर चल भी सकती है. अब भला योगीमोदी जैसे ‘देवताओं’ के राज में किस की जुर्रत कि सवाल करे, इसलिए अमिताभ ठाकुर के बहाने संदेश तो दे दिया गया है.

अपनेअपने छुट्टे सांड ‘राहुल गांधी किसी काम के नहीं हैं, वे भगवान को समर्पित सांड की तरह हैं जो हर जगह घूमते हैं लेकिन किसी के काम नहीं आते हैं,’ ये पवित्र लेकिन कुंठित उद्गार नवनियुक्त रेल राज्यमंत्री बालासाहब दानवे के हैं जो उन्होंने भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के जालना में व्यक्त किए. किसी सार्वजानिक मंच से इस से ज्यादा अशिष्टता यानी अगला चरण भद्दी गाली बकने का ही हो सकता था जिस की हिम्मत दानवे जुटा भी लेते तो बात कतई हैरत की नहीं होती. इस के एवज में मुमकिन है उन का और प्रमोशन कर दिया जाता.

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मोदी मंत्रिमंडल के नए मंत्री कोई जानेमाने नाम नहीं हैं, वे हर लिहाज से मोहरे और छोटे स्तर के हैं और अपनी पहचान बनाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं. इन से जन उपयोगी कार्यों की उम्मीद करना बेकार है क्योंकि इन रंगरूटों की भरती काम के लिए नहीं, बल्कि गांधीनेहरू परिवार को कोसने व गाली देने के मकसद से की गई है. अब यह तो भगवा गैंग को सोचना चाहिए कि उस के पूजनीय गौवंश को आगे कौन से सांड बढ़ाते हैं.

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