जैसे ही अखिल भारतीय ब्लैक मार्केट महासंघ के प्रैसिडैंट को इस बात के पुख्ता सुबूत मिलने शुरू हुए कि देश में महामारी की तीसरी लहर हर हाल में आ कर रहेगी, हर चीज को देश में आने से रोका जा सकता है पर महामारी की तीसरी लहर को नहीं, तो उन्होंने देशहित में देशभर के तमाम कोरोना माल की ब्लैक मार्केटिंग करने वालों की जनहित में गूगल मीट पर आपात मीटिंग बुलाई. गूगल मीट पर जब देश के नामचीन ब्लैक मार्केटिए जुट गए तो उन्होंने फ्रंटलाइन महामारी ब्लैकियों को संबोधित करते कहा, ‘‘हे मेरे देश के ब्लैक मार्केट के बेताज बादशाहो, बड़ी प्रसन्नता की बात है कि आप के इम्तिहान की घड़ी एक बार फिर आ रही है. इम्तिहान की घड़ी बोले तो आप को सूचित करते हुए मु झे प्रसन्नता हो रही है कि महामारी की तीसरी लहर अब कभी भी आ सकती है. ‘‘इस बात को सरकार ने स्वीकार कर लिया है.
सरकार कह रही है कि अगर जनता ने सावधानी नहीं बरती तो तीसरी लहर का आना लाजिमी है. और हम तो जानते ही हैं कि हमारे देश में सबकुछ बरता जाता रहा है पर सावधानी हरगिज नहीं. देरसवेर जनता का लापरवाही से प्रेम ही हमारे बाजार की चकाचौंध बढ़ाता रहा है. ‘‘मित्रो, आप ने अपना अदम्य साहस बताते हुए महामारी की दूसरी लहर में जिस तरह से महामारी से संबंधित सामग्री खुद को जोखिम में डाल मनमाने दामों पर जनता को हर हाल में मुहैया करवा उस की जान बचाई वह काबिलेतारीफ है. इस के लिए आप सब को साधुवाद. आप सब की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है. आप ने दिनरात एक कर अपनी जान की परवा किए बगैर छिपछिप कर जिस तरह लोगों की जान बचाई वह मानवता के इतिहास में सदैव याद रहेगा. ‘‘अब जो खास बात मैं आप से शेयर करना चाहता हूं, जिस के लिए यह गूगल मीट रखी गई है, वह यह कि तीसरी लहर को ले कर हमें अभी से पूरे दिमाग से तैयारी शुरू करनी होगी.
महामारी की हर बीमारी से संबंधित हर सामान अपने गोदामों में अभी से जल्दीजल्दी इकट्ठा करना शुरू करना होगा ताकि समय आने पर पिछली दफा की तरह जनता को इधरउधर न भागना पड़े. ‘‘मित्रों, पिछली लहर में आप की अहर्निश सेवाओं के चलते पता नहीं कितने जीवों की जान बची. पैसे का क्या, पैसा तो हाथपैर का मैल होता है. शास्त्रों में भी कहा गया है कि धन गया तो कुछ नहीं गया. चरित्र गया तो भी कुछ नहीं गया. पर स्वास्थ्य गया तो सबकुछ गया. मरने के बाद धनदौलत किस काम की.’’ ‘‘पर सर, जैसा कि मीडिया पर खबरें बराबर आ रही हैं कि अब की सरकार ने तीसरी लहर से निबटने की तैयारी अभी से युद्धस्तर पर शुरू कर दी है, तो ऐसे में अब की लगता है कि…’’ एक ब्लैक मार्केटिए ने तीसरी लहर में ब्लैक मार्केटिंग पर शंका जाहिर की. तो संघ के प्रैसिडैंट सीना चौड़ा कर उसे सम झाते बोले, ‘‘मित्र, सरकार की तैयारियां हम ने आज तक बहुत देखीं. यह उस की कोई नई तैयारी नहीं है. हर बार आपदा आने से पहले सरकार बड़ेबड़े दावे करती रही है. पर जब सच्च में कोई आपदा आती है तो उस के सारे इंतजाम हाथी के मुंह का जीरा हो जाते हैं. इसलिए सरकार की तैयारियों के साथ ही साथ बैकअप के रूप में हमें सरकार की तैयारियों से अधिक अपनी तैयारी रखनी होगी.
बाद में जो कुछ काम आएगा तो बस, बैकअप ही काम आएगा. हम केवल और केवल सरकार की तैयारियों के भरोसे तो देश की जनता को छोड़ नहीं सकते न? इस देश के संभ्रांत जीव होने के नाते देश के प्रति कुछ हमारा भी दायित्व बनता है कि नहीं? ‘‘मित्रों, असल में जब भी कोई आपदा आती है, सरकार की सारी तैयारियां कोने में दुबक कर छिप जाती हैं. इसलिए सरकार के बयानों पर नहीं, अपने को ब्लैक मार्केट के कामों में कंसंट्रेट करो. तीसरी लहर में सख्त जरूरत पड़ने वाली चीजों से अपने गोदाम अभी से भरने शुरू कर दो ताकि ऐन मौके पर जनता को बंद होते फेफड़े लिए इधरउधर न भागना पड़े, इधरउधर भागते हुए परेशान न होना पड़े. ‘‘प्राइवेट अस्पतालों को अभी से एडवांस दे वहां के सारे बैड बुक करवा दो ताकि तीसरी लहर के वक्त जनता को जो कहीं खाली बैड न मिलें तो हम जनता को वे बैड दिलवा नरसेवा नारायणसेवा कर सकें. स्वस्थ होती तो वह दिनरात पेट पीठ पर लिए दौड़ती रहती है पर बीमारी की हालत में जनता को कतई इधरउधर न दौड़ना पड़े. अब के ब्लैक में बेचे सामान की होम डिलीवरी भी की जा सकती है.
‘‘हमें पता है कि अपने देश की जनता लापरवाहियों की खिलाड़ी है, मस्ती की सवारी है. सावधान होते हुए भी वह लापरवाही हर हाल में करेगी ही. क्योंकि, लापरवाही उस की रगरग में बसी है. इधर उस की लापरवाही बढ़ी, तो दूसरी ओर अपने धंधे की तूती बोली.’’ ‘‘पर सर, लगता है अब के औक्सीजन का कारोबार ब्लैक में कतई नहीं होने वाला,’’ चोरबाजारी के धंधे में नयानया कदम रखने वाले ने उन से यह कहा तो उन्होंने उसी से ठहाका लगाते पूछा, ‘‘क्यों?’’ ‘‘सर, क्योंकि सरकार ने जगहजगह औक्सीजन प्लांट जो प्लांट कर दिए हैं.’’ ‘‘तो क्या हो गया. सरकार ने तो देश में स्वर्ग तक प्लांट कर दिया है. पर कहीं स्वर्ग दिखा तुम्हें? नहीं न. जिंदा जी तो छोडि़ए, स्वर्ग तो मरने के बाद भी यहां के जीवों को नहीं दिखता, मिलना तो दूर की बात है. ‘‘सरकार को होने वाली हर किस्म की सप्लाई के बारे में हम से अधिक और कौन जान सकता है? क्या पता तब वे चलें या न चलें.
चलेंगे भी तो सिस्टम में बैठे हमारे बंदे उन्हें दूसरे ही दिन जेबभराई के चक्कर में खराब कर देंगे. उन्हें पता है कि वे चलेंगे तो वे अपनी जेबें कैसे भरेंगे? ब्लैक का कारोबार ऐसे ही सरकार के प्रति निष्ठा रखने वालों की छत्रछाया में आज तक पनपता रहा है और फ्यूचर में भी यों ही अबाध पनपता रहेगा. ‘‘आज तक अपने ही सप्लायर भाइयों द्वारा जबजब सरकार को दवा से ले कर हवा तक सप्लाई करने की बारी आई है तो वह दवा और हवा कुछ और ही सप्लाई होती रही है. इसलिए, मैं आप सब से एक बार फिर अपील करता हूं कि इस से पहले कि तीसरी लहर आए, हमें अपने को सरकार से अधिक जनता की रक्षा के लिए अभी से पूरी तरह तैयार रखना होगा. जय हिंद, जय ब्लैक मार्केट.’’