अगर देश में माहमारी, गरीबी मंहगाई, बेरोजगारी के बावजूद लोग चुप हैं तो इसलिए कि सरकार का खुफिया तंत्र हर ऐसे जने पर नजर रख रहा है जो सच को समाने ला सकता है. इजराइल की एक कंपनी एनएसओ ने एक सौफ्टवेयर बनाया है जो सिर्फ एक ब्लैंक काल कर के किसी के टेलिफोन में डाला जा सकता है और फिर उस का कैमरा भी चालू हो जाएगा और मैसेज भी सौफ्टवेयर के जरिए उस इजरायली कंपनी के हाथों में होंगे.
भारत सरकार चाहे इंकार कर रही है पर विदेशी खोजी पत्रकारों ने पता लगाया है कि……..जैसे देशों ने इस सौफ्टवेयर को खरीदा है और भारत में 400 लोगों का फोन अब टैप हो रहा है. इस का अभास इन सब लोगों को है पर कोई सुबूत अब तक नहीं था और इसी अहसास की वजह से ये सरकार की पोलपट्टी खोल नहीं रहे थे कि अपने जैसे लोगों को कैसे ढूंढ़े और कैसे जनता के दर्द की बात का जगजाहिर करें.
सरकार इस सौफ्टवेयर से राहुल गांधी, उस के साथियों, बहुत से पत्रकारों, अपने ही मंत्रियों की हरकतों पर नजर रख रही है और वे कुछ तैयारी करे उस से पहले गिरफ्तारी न करें तो भी कुछ न कुछ दबाव डाल देती. जनता के दर्द की आवाज बंद हो कर रह जाती. टीवी और समाचारपत्रों में काम करने वालों को एहसास रहा है और वे इसलिए कोविड से पहले और उस के दौरान जनता के दर्द को छिपा गए.
यह जरूर है कि बहुत से लोग चुप इसलिए है कि वे जातिगत भेदभाव बनाए रखने वाली सैंकड़ों सालों में बनी सरकार को टिकाए रखना चाहते हैं जो धर्म के धंधे को भी बढ़ावा देती है और जन्म से जिन्हें ऊंचा माना गया है, उन्हें ऊंचा रखने के नियम कानून बनाए जा रही है. वे पेगेसस जैसे सौफ्टवेयर को तो पौराणिक दिव्य ज्ञान का सा मानते हैं और उस की तारीफ करते हैं.
लोकतंत्र में सरकार के खिलाफ मिलबैठ कर योजना बनाने का हक हरेक को है. इस तरह की भारत सरकार से किसी तरह की स्वीकरोक्ति की आशा तो नहीं है कि वह अपने ही नागरिकों को भय की निगाह से देखती है और उन पर विदेशी दुश्मनों की तरह की सी नजर रखती है पर यह कार्य विपक्ष का है कि वह इस बात को चुनावी मुद्दा बनाए. सरकार के पास ङ्क्षहदूमुसलिम कार्ड का तुरूप का पता है जो वह हर मौके पर इस्तेमाल करती है पर यह कला विपक्ष को सीखनी होगी कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सरकार से रक्षा करने की जिम्मेदारी उसी की है.
देश का पैसा देश के नागरिकों की गुप्चरी पर नहीं लगाया जा सकता. भारत सरकार, चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों का अपनी गुप्चरी से पिछले 50-60 साल में बिगाड नहीं पाई. असली देशद्रोह तो यह निकम्मापन है. जिन के हाथ में देश की कमान है वे अ अगर अपने नागरिकों को दुश्मन समझने लगें और असली दुश्मनों से लेनदेन करने लगें तो इसे देशभक्ति नहीं कहा जा सकता.
यह न भूलें कि पेगेसस का सौफ्टवेयर यदि उतना कामयाब है कि वह किसी के भी मोबाइल में घुस सकता है तो और दुनिया के कितने ही प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर नजर रख रहा है तो भारत के नेता बचे होंगे, यह गलतफहमी न पालें. ऐसी कंपनी को पैसा देने वाला अपने खिलाफ भी गुप्चरी को बड़ावा दे रहा है, यह पक्का है.




 
  
  
  
             
        




 
                
                
                
                
                
                
                
               