फिल्मसमीक्षाः
‘‘थित्तमइरांडु (प्लान बी) समाज के वर्जित विषय को उठाने का प्रयास..’’
रेटिंग: ढाई स्टार
निर्माताःदिनेश कानन और विनोदकुमार
निर्देषकः विग्नेश कार्तिक
कलाकार:ऐश्वर्या राजेश, गोकुल आनंद, सुभाष सेल्वम, जीवा रवि व अन्य
अवधिः एक घंटा 51 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: सोनीलिव
भाषा: तमिल,लेकिनअंग्रेजी सबटाइटल्स के साथ
पिछले कुछ वर्षों से पूरे विश्व के साथ साथ भारत में भी ‘सेक्स चेंज आपरेशन’हो रहे हैं,मगर इस पर अभी भी बात करना भारतीय समाज में टैबू है.भारत में आज भी कोई भी माता पिता यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उनकी बेटी खुद को बेटा और बेटा खुद को बेटी के रूप में आपरेशन करवाकर बदलले.इसी मुद्दे पर फिल्मकार विग्नेश कार्तिक एक रहस्य व रोमांच प्रधान फिल्म ‘‘थित्तमइरांडूप्लानबी लेकर आए हैं. इसमें रहस्यमय तरीके से प्यार, भ्रम,करुणा सहित कई मसालों के साथ रहस्य व रोमांच का तड़का है.
कहानीः
फिल्म की कहानी पुलिस इंस्पेक्टर आथिरा(ऐश्वर्या राजेश) के इर्द गिर्द घूमती है.आथिरा बस अपना तबादला होने पर बस से यात्रा कर रही है और बस में उसकी मुलाकात अर्जुन (सुबाश)से होती है,जिसे वह पहली मुलाकात में ही दिल दे बैठती है.आथिरा,अर्जुन से इस कदर प्रभावित होती है कि वह बस कंडक्टर से झूठ बोलकर अर्जुन का मोबाइल नंबर लेती है.आथिरा को लगता है कि उसके जीवन में सब कुछ सही चल रहा है.अर्जुन के संग उसकी मुलाकातें बढ़ जाती हैं.
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और आथिरा अपने माता पिता को भी फोन करके बता देती है कि उसे अर्जुन के रूप में एक अच्छा पुरूष मिल गया है,जिसके साथ वह शादी करना चाहेगी.लेकिन अचानक डाॅं.किशोर का फोन आता है कि आथिरा के बचपन की सबसे अच्छी दोस्त और डाॅं.किशोर की पत्नी सूर्या(अनन्या रामप्रसाद) लापता हो गयी है.यह खबर आथिरा के जीवन को उल्ट पलट कर रख देती है.सूर्या की कार दुर्घटना के सुरागों के बाद, आथिरा को यकीन हो जाता है कि कुछ और भी भयावह हो रहा है. सूर्या के पति सुरेश (गोकुल आनंद) का दावा है कि किसी से कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है लेकिन एक दिन सूर्य का मृत शरीर मिल जाता है और रहस्य गहरा जाता है.आथिरा इस रहस्यमय दुर्घटना के पीछे के रहस्य को उजागर करने में सफल हो जाती है लेकिन जांच एक अप्रत्याशित मोड़ लेती है जो आथिरा की दुनिया को उलट देती है.
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लेखन व निर्देषनः
कथानक में नवीनता है और आश्चर्य जनक रूप से निर्देशक विग्नेश कार्तिक इस मिस्ट्री थ्रिलर को एक मुख्यधारा की फिल्म के रूप में निर्देशित करते हैं.यह एक इंडी डे नोयर हो सकता थी,लेकिन फिर भी यह अपने आप खड़ी होती है.फिल्म में कुछ बेहतरीन अप्रत्याषित मोड़ है,जो कि रहस्य व रोमांच को बढ़ाते हैं.पर कहीं कहीं लेखन कमजोर है.विग्नेश कार्तिक ने फिल्म में इस मुद्दे का सही अंदाज में उठाया है कि कैसे एक रूढ़िवादी समाज व्यक्तिगत पसंद और पीड़ित पूर्वाग्रहों के शिकार लोगों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर प्रभाव डालता है.
फिल्मकार ने फिल्म में असंवेदनशील पालन-पोषण के परिणामों, ऑनर किलिंग का डर और जल्दबाजी में शादी के निर्णय के दीर्घकालिकनती जों पर भी रोशनी डालने का सफल प्रयास किया है.
लेकिन जब उपदेश देने पर आते हैं,तो मामला बिगड़ जाता है.वास्तव में जब कोई लेखक-निर्देशक किसी वर्जित विषय पर फिल्म बनाने का निर्णय करता है,तो उस पर गहन शोध कर कहानी व पट कथा लिखता है.लेकिन यहां पर तो बस कुछ सुनी सुनाई बातों पर ही कहानी लिखी गयी नजर आती है.वर्जित विषय को इस तरह से फिल्म में गढ़ा जाना चाहिए था कि वह दर्शक के दिलो दिमाग पर असर करता.लेकिन इसे फिल्मकार ने पूरी संजीदगीसे नही उठाया.मगर यहां तो पूरी फिल्म अलग दिशा में चल रही होती हैं और प्रीक्लाय मे क्समें सेक्सचेंज आपरेशन का मुद्दा आता है,जिस पर पांच मिनट की भाषण बाजी के अलावा कुछ नही है.
फिल्म प्रीक्लाय मे सेक्स और क्लायमेक्स में बंटा धार हो जाती है.फिल्मकार ने अंत में जिस वर्जित विषय कोउठाया,उसका अंत भी एकदम घटिया अंदाज में किया.यहां तक किनायिका से जवाब तक नही दिलवाया. जबकि संदेश/उपदेश को कथानक में अधिक आसानी सेबुना जा सकता था.यह निर्देशक की विषय के प्रति ना समझी को ही उजागर करता है.
सतीश रघुनाथन का पाष्र्व संगीत तारीफ करने योग्य है.
कैमरा मैन गोकुल बेनॉय बधाई के पात्र हैं.
अभिनयः
ऐष्वर्यारा जेश बेहतरीन अदाकारा हैं,मगर जब कलाकार को पटकथा ही कमजोर मिल जाए,तो क्या करे.लेखक ने उनके चरित्र को ठीक से लिखा ही नही.फिर भी वह अर्जुन के साथ रोमांटिक हिस्से को अच्छी तरह से संभालती है, और भावनात्मक हिस्से के दौरान हमें उसके दर्द का एहसास कराती है.फिर भी उनका अभिनय औसत ही रहा.लगभग हर दृष्य में ऐष्वर्या के चेहरे पर एक जैसे भाव ही रहते हैं.सुभाष सेल्वम के लिए यह चुनौती पूर्ण किरदार है,जिसमें उन्होने शानदार अभिनय किया है.वह अपने किरदार में एक दो पर तेंलाते हैं. और कम से कम थोड़ा ‘‘रोमांच‘‘ जोड़ते है.अनन्या राम प्रसाद का अभिनय शानदार है.उनकी थिएटर पृष्ठ भूमि निश्चित रूप से उसके कारण में मदद करती है क्योंकि वह इमोशन के दौरान वह अपने चेहरे पर सटीक भाव लेकर आती हैं. अन्य कलाकार ठीक ठाक है.