Family Stories in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं सरिता की 10 Best Family Stories in Hindi 2021. इन कहानियों में परिवार, समाज और रिश्तों से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेगी और रिश्तों को लेकर एक नया नजरिया और सीख भी देगी. इन Family Stories से आप कई अहम बाते भी सीख सकते हैं जो जिंदगी और रिश्तों के लिए आपका नजरिया भी बदल देगी. तो अगर आपको भी है संजीदा कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए सरिता की Best Family Stories in Hindi.

1. मुझे बच्चा नहीं चाहिए

 

Family Story in Hindi

‘क्या… मतलब क्या है तुम्हारा? ये घर नहीं होटल है?’ आदिल चिल्लाया.

‘हां, होटल ही है… चमचमाता हुआ होटल… कभी देखा है उन घरों को जहां बच्चे होते हैं… कैसे होते हैं वह घर… वहां हर तरफ खिलौने बिखरे होते हैं, चॉकलेट-टॉफियां बिखरी पड़ी रहती हैं. घर वह होता है जहां बच्चों की किताबें पड़ी होती हैं…  उनके कपड़े यहां वहां सूख रहे होते हैं… कहीं वह खेल रहे होते हैं… कहीं खाना खा कर फैला रहे होते हैं तो कहीं पॉटी करके बैठे होते हैं… वो होता है घर, जहां जिन्दगी होती है, जहां हलचल होती है, शोर-शराबा, हंसी-मजाक होता है… ऐसा नहीं जैसा यहां है… फिनाइल की महक से भरा सन्नाटा… सिर्फ सन्नाटा… अंदर भी और बाहर भी… मुझे होटल में बच्चा पैदा नहीं करना है… तुम चाहो तो मुझे तलाक दे दो…’ पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

2. स्वीकृति एक बहू को कैसे मिली ससुराल में उसकी सही जगह

 

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‘अम्मां, दोनों भाभियां मुझ से उम्रमें बड़ी हैं, इसलिए उन के बारे में कुछ नहीं कहता पर मीता तो थोड़ाबहुत घरगृहस्थी के कामों में हाथ बंटा सकती है. कभी आप ने सोचा है, आप के लाड़- प्यार से वह कितनी बिगड़ती जा रही है. इसे भी तो दूसरे घर जाना है. क्या यह ठीक है कि घर की सभी औरतें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहें और बेचारी नीरा ही घर के कामों में जुटी रहे?’

‘मीता की तुलना नीरा से करने का अधिकार किसने दे दिया तुझे. वह किसी छोटे घर की बेटी नहीं है,’ बेटे के सधे हुए आग्रह के स्वर को तिरस्कार की पैनी धार से काटती हुई अम्मां चीखीं. विभू उस के बाद एक पल भी नहीं रुके थे. स्तंभित नीरा को लगभग घसीटते हुए घर से चले गए थे. पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

3. खुली छतकैसे पति-पत्नी को करीब ले आई घर की छत

 

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खुली छत पर मंदमंद हवा के बीच चांदनी छिटकी हुई थी. आधा चंद्रमा आकाश के बीचोंबीच मुसकरा रहा था. रमेश अपनी दरी बिछा कर सो गया. उस ने अपनी खुली आंखों से आकाश को, चांद को और तारों को निहारा. आज 20-25 वर्षों बाद वह ऐसे खुले आकाश के नीचे लेटा था. वह तो यह भी भूल चुका था कि छिटकी हुई चांदनी में आकाश और धरती कैसे नजर आते हैं.

बिजली जाने के कारण ए.सी. और पंखों की आवाज भी बंद थी. चारों ओर खामोशी छाई हुई थी. उसे अपनी सांस भी सुनाई देने लगी थी. पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

4. तमाचा- सानिया ने किस तरह लिया अपने पति से बदला

 

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‘‘कहीं सानिया को नादिर की हरकतों का पता न चल जाए,’’ ससुर की आवाज सुन कर सानिया के कदम दरवाजे पर ही ठहर गए.

‘‘पता चल जाएगा, तो कौन सी कयामत आ जाएगी. आखिर हम एक गरीब घर की लड़की इसीलिए तो लाए हैं. उसे अपनी जबान बंद रखनी होगी. उस का काम सिर्फ इस घर का वारिस पैदा करना है,’’ सास ने कठोर आवाज में कहा.

सासससुर की बातें सुन कर सानिया हैरान रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने ऊंचे घराने के लोगों के खयाल इतने नीचे होंगे. उस की सेवा, त्याग और प्यार का उन की नजरों में कोई मोल नहीं था. ‘मैं भी दिखा कर रहूंगी कि मैं क्या कर सकती हूं,’ सानिया ने मन ही मन सोचा. पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

5. कुंआरे बदन का दर्द

 

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‘‘जिंदगी भर साथ चलने का वादा था लेकिन तुम ने ही मुझे तलाक दे कर घर से निकाल दिया. जब तुमने तलाक दिया तो मैं अपने मांबाप के पास गई. वे इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सके और 6 महीने के अंदर ही दोनों चल बसे. मैं तो उन की कब्र पर भी नहीं जा सकी क्योंकि औरतों का कब्रिस्तान में जाना सख्त मना है.

उसके बाद मैं भाई के पास रही थी. भाई तो कुछ नहीं बोलता था, लेकिन भाभी के लिए मैं बोझ बन गई थी. वह रातदिन मेरे भाई के पीछे पड़ी रहती और मुझे जलील करते हुए कहती थी कि इस की दूसरी शादी कराओ, नहीं तो किसी के साथ भाग जाएगी. तुम नहीं जानते कि कोई मर्द तलाकशुदा औरत से शादी नहीं करता. सब को कुंआरी लड़की और कुंआरा बदन चाहिए. पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

6. नई सुबह- शीला क्यों गलत धंधे में पड़ गई थी?

 

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शीला क्या करती. शौक से तो नहीं आई थी इस धंधे में. उसके पति ने उसे तनहा छोड़ कर किसी और से शादी कर ली थी. हालातों से मजबूर होकर शीला ने अपना शरीर बेचना शुरू कर दिया था. एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे. इस तरह वह कई लोगों के साथ सो कर दाम वसूल कर चुकी थी. उस की दादी को इस बात की खबर थी, पर वह बूढ़ी जान भी क्या करती. काश, उस की शादी नवीन के साथ हुई होती. नवीन कितना अच्छा लड़का था. वह उस से बहुत प्यार करता था. वह यादों के गलियारों में भटकते हुए धीरेधीरे आगे बढ़ने लगी. पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

7. हरी लाल चूड़ियां

 

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“मैं नोटिस करती थी कि अक्सर झाड़ू-पोछा करते वक्त सुकुमारी मेरी ड्रेसिंग टेबल के शीशे के सामने चंद सेकेंड रुक कर अपने को जरूर निहारती थी. मैं उसे देखकर मन ही मन मुस्कुरा देती थी. जवान लड़की थी, मन में भविष्य के रंगीन सपने डोलते होंगे. हर लड़की के मन में इस उम्र में सपनों की तरंगें डोलती हैं. ड्रेसिंग टेबल के कोने में रखे चूड़ीदान में लटकी रंग-बिरंगी चूड़ियों की तरफ भी सुकुमारी का विशेष आकर्षण दिखता था.

कभी-कभी मैं सोचती कि सुन्दरी खुद तो इतनी साज-संवार के साथ रहती थी, उसकी बहू भी पूरा श्रृंगार करके आती थी, मगर बेटी के कान में सस्ती सी बाली तक नहीं डाली थी उसने.” पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

8. सूखा पत्ता- पराए मर्द के चक्कर में क्या हुआ संगीता का हाल?

 

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संगीता ने देखा, रवि मोटरसाइकिल पर सवार था और पीछे एक औरत बैठी हुई थी. इसका मतलब रवि ने दूसरी शादी कर ली. उसका इंतजार भी नहीं किया. इससे पहले कि वह कुछ सोच पाती, मोटरसाइकिल फर्राटे से उस के बगल से हो कर निकल गई. तभी वहां एक साइकिल सवार गुजरा. संगीता ने उसे रोका, ‘‘चाचा, अभी रवि के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ कर गई वह औरत कौन है?’’

‘‘अरे, उसे नहीं जानती बेटी? लगता है कि इस गांव में पहली बार आई हो. वह तो रवि बाबू की नईनवेली दुलहन है.’’ ‘‘नई नवेली दुलहन?’’ ‘‘हां बेटी, वह रवि बाबू की दूसरी पत्नी है. पहली पत्नी बड़ी चरित्रहीन निकली. अपने पुराने प्रेमी के साथ भाग गई. वह बड़ी बेहया थी. इतने अच्छे परिवार को ठोकर मार कर भागी है. कभी सुखी नहीं रह पाएगी,’’  पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

9. दैहिक भूख

 

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संध्या तकरीबन हर रोज मनोज से पैसे मांगने लगी थी. कभीकभी मनोज मना कर देता, तो उस दिन संध्या मुंह फुला कर कालेज जाती. कालेज के बाद या कभीकभी कालेज से छुट्टी कर के लड़केलड़कियां हाथ में हाथ डाले मुंबई के बीच पर घूमते नजर आते. कई बार थोड़े अमीर परिवार के लड़के लड़कियों को अच्छे रैस्टोरैंट में ले जाते, तो कभी फिल्म दिखा कर भी लाते.

मनोज तो संध्या की जरूरत पूरी करने में नाकाम था, सो अब संध्या भी उन लड़कों के साथ घूमने लगी थी. किसी लड़की को बांहों में बांहें डाल कर घुमानाफिराना इस उम्र के लड़कों के लिए बड़े गर्व की बात होती है और लड़कियां सोचती हैं कि यह प्यार है और वह लड़का उन की खूबसूरती का दीवाना है. संध्या की दूसरी सहेलियां भी ऐसे ही लड़कों के साथ घूमती थीं. लेकिन एक दिन… पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

10. मत जाओ मां

 

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शुभांगी को भैयाभाभी का यह व्यवहार न्यायसंगत नहीं लगा था. वह कर भी क्या सकती थी. जब किसी के अंदर अपने बड़ों के प्रति भावना न हो तो उसे उस में ठूंसा तो नहीं जा सकता. बचपन की खट्टीमीठी यादों की छाया में पली शुभांगी का मन बरबस मांबाबूजी में रमा रहा. ‘क्यों परेश इस उम्र में उन्हें इस तरह अकेला छोड़ कर चला गया. इतनी मिन्नतों के साथ यहां लाया था. भला बाबूजी को क्या कमी थी वहां. कितना दुख हुआ होगा उन्हें बरसों पुराने पासपड़ोसियों का, संगीसाथियों का साथ छोड़ते हुए…शायद उस से भी ज्यादा अब…’ पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

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