अगर हम किचन गार्डन में सब्जियां या फल उगाने जा रहे हैं, तो उस के लिए काम आने वाले यंत्रों की भी जरूरत पड़ती है, जिस से किचन गार्डन का काम आसान बनाया जा सकता है. किचन गार्डन में गुड़ाई के लिए कुदाल और फावड़ा को जरूरी यंत्रों में शामिल किया जा सकता है. इस के अलावा निराई के लिए खुरपी, पानी देने के लिए पाइप और फव्वारा के साथ दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर जैसी चीजों की भी जरूरत पड़ती है, जो आसानी से नजदीक के बाजार से खरीदी जा सकती हैं.
आप भी बना सकते हैं और्गेनिक खाद अगर आप को जैविक या कंपोस्ट खाद मौके से बाजार में न भी मिले तो चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हम खुद ही घर पर जैविक और कंपोस्ट खाद बना कर न केवल बाजार पर निर्भरता कम कर सकते हैं, बल्कि पैसों की बचत भी कर सकते हैं. इस के लिए हम घर से निकलने वाले कूड़ेकरकट, सब्जियों के छिलकों, रेत मिट्टी व थोड़ी मात्रा में गोबर की जरूरत पड़ती है. कंपोस्ट खाद बनाने के लिए हम जमीन में एक गहरा गड्ढा खोद सकते हैं या मिट्टी के बड़े गमले का प्रयोग भी कर सकते हैं. सब से पहले इस गड्ढे या गमले के तले में मिट्टी की मोटी परत बिछाई जाती है. इस के ऊपर किचन से निकलने वाले सब्जियों और फलों के मुलायम छिलके और पल्प डाला जाता है.
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इस के बाद ही ऊपर से मिट्टी की मोटी परत डाल कर ढक दिया जाता है. 15-20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है. ऐसे करें बीज की बोआई और पौधों की रोपाई किचन गार्डन में कुछ सब्जियों को सीधे बीज द्वारा बो कर उपजाया जा सकता है, तो कुछ के पौधों को नर्सरी में तैयार किए जाने के बाद रोपा जाता है. जिन सब्जियों की मिट्टी में सीधे बोआई की जाती है, उन में करेला, बींस, लौकी, घीया, तोरई, कद्दू, लहसुन, प्याज, ककड़ी, पालक, अरवी, लोबिया, खीरा, मूली, धनिया, चौलाई, अजवायन, तुलसी जैसी फसलें शामिल की जा सकती हैं. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी पड़ती है, उस में फूल व पत्ता गोभी, टमाटर, बैगन, परवल, सौंफ, पुदीना, हरी मिर्च, शिमला मिर्च जैसी तमाम सब्जियां शामिल हैं.
सीधे बोआई की जाने वाली सब्जियों की बोआई मेंड़ या क्यारी बना कर की जानी चाहिए. धनिया, प्याज, पुदीना को गार्डन में आनेजाने के रास्तों के बगल और मेंड़ पर उगाया जा सकता है. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी होती है, उन्हें किसी विश्वसनीय नर्सरी से ही लेना उचित होता है. आप ने अपने किचन गार्डन में जिन सब्जियां की बोआई कर रखी है, उन में कोशिश करें कि हर 15 दिन पर फसल को और्गेनिक खाद मिलती रहे. इस के अलावा फसल में सही नमी बनाए रखने के लिए समय से सिंचाई करते रहना भी जरूरी है. गरमियों में सिंचाई पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. कोशिश करें कि फसल में खरपतवार न उगने पाएं, इसलिए नियमित रूप से खरपतवार निकालते रहें.
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रखें सावधानी किचन गार्डन की शुरुआत करने के पहले कुछ सावधानियों को बरतने की खास जरूरत होती है, इसलिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से इस की जानकारी ले सकते हैं. देशभर में बनाए गए ज्यादतर कृषि विज्ञान केंद्र शहरों से सटे हुए हैं, जहां गृह विज्ञान और किचन गार्डन से जुड़े ऐक्सपर्ट भी होते हैं. इन से जानकारी ले कर किचन गार्डन में सब्जियां उगाना ज्यादा फायदेमंद होता है. इस के अलावा कृषि महकमे की वैबसाइटों, आईसीएआर की वैबसाइट से भी जानकारी ली जा सकती है. कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन में लगाई जाने वाली सब्जियों की उचित बढ़वार के लिए खुली धूप मिलना जरूरी है, इसलिए हमें घर बनाने का प्लान करते समय इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए. घर बनाते समय उस के आसपास की मिट्टी में कंकड़पत्थर की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे गुड़ाई कर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना उचित होता है.
हम जिन सब्जियों के बीज को सीधे मिट्टी में बो रहे हैं, उन्हें बोआई के पूर्व में ही जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित कर लेना चाहिए. इस के अलावा बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के सहारे छत के ऊपर ले जा सकते हैं. इस से बाकी जमीन पर लताएं नहीं फैलती हैं और खाली जमीन पर हम दूसरी सब्जियों की बोआई कर सकते हैं. सब्जियों की सालभर उपलब्धता बनी रहे, इस के लिए हमें सब्जियों के चयन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. गार्डन बनाने के फायदे कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन में सब्जियां और फलफूल से यह न केवल हर समय ताजा मिलती है, बल्कि घर के आसपास की खाली भूमि का सदुपयोग हो जाता है. इस से सब्जियों और फलफूल के ऊपर होने वाले खर्च की पूरी तरह से बचत हो जाती है.
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इस के साथ ही हमारी बाजार की सब्जियों पर निर्भरता कम होने से सब्जी खरीदने में होने वाले समय की भी बचत हो जाती है. उन का कहना है कि किचन गार्डन में घर के व्यर्थ पानी और कूड़ेकरकट का उपयोग भी हो जाता है. विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि किचन गार्डन आप को कुदरत के और भी करीब लाता है और सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि पौधे की देखभाल करने में आप को संतुष्टि मिलती है तनाव कम होता है. इस के साथ ही रसायनमुक्त सब्जियां होने से सेहत भी अच्छी रहती है.
राघवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार, किचन गार्डन में हम ऐसे कई पौधे उगा सकते है, जिस से मच्छर को भगाने में मदद मिलती है. ये पौधे दूसरी तरह के कीड़ों को भी भगाने में कारगर होते हैं. इस में गेंदा, लेमनग्रास, तुलसी, नीम, लैवेंडर, रोजमेरी, हौर्समिंट, सिट्रोनेला जैसे पौधे प्रमुख हैं. अगर आप भी चाहते हैं कि बाजार से आने वाली पैस्टीसाइड मिले हुए बासी फल, सागसब्जियों की जगह ताजे फल व सब्जियां मिलती रहें, तो इस में किचन गार्डन विधि आप के लिए सब से कारगर साबित हो सकती है.