अगले 2 दिनों तक प्रणव अपने कार्यालय की मीटिंग में व्यस्त रहा. उस की कंपनी द्वारा एक नई फैक्टरी लगाने के सिलसिले में कनाडा से कुछ विशेषज्ञ आए हुए थे. इसलिए दोपहर और रात का खाना भी उसे विदेशी अतिथियों के साथ ही खाना पड़ता था.
इस बीच, प्रिया ने भैया की कार से बच्चों को जीभर कर सैर कराई. भाभी के बच्चे तो स्कूल चले जाते थे और भाभी को घर में ही काफी काम था. क्योंकि पुराना नौकर इन दिनों छुट्टी पर था इसलिए प्रिया के साथ केवल वीनू और पायल ही थे.
तीसरे दिन प्रणव ने आ कर बताया कि अगले 2 दिनों की मीटिंग शिमला में होनी है और प्रिया अगर वहां अकेले घूमना पसंद करे तो उस के साथ चल सकती है. घुमक्कड़ प्रिया को इस से बढ़ कर खुशी क्या हो सकती थी. शानदार होटल में रहना, खाना और घूमने के लिए कंपनी की गाड़ी, उस ने झट से ‘हां’ कर दी.
पर शिमला में पहला दिन ही उस का अच्छा नहीं बीता. वहां पहुंचते ही मौसम बहुत खराब हो गया. तेज हवा के साथ बूंदाबांदी भी होने लगी. प्रणव के जाने के बाद प्रिया को होटल के कमरे में ही सारा दिन गुजारना पड़ा. इसलिए जब प्रणव ने रात में लौट कर बताया कि मीटिंग 2 दिन के बजाय 1 ही दिन में खत्म हो गई है और वे सवेरे ही दिल्ली वापस जा रहे हैं तो प्रिया ने चैन की सांस ली.
भैया के घर पहुंचते ही गेट पर ही प्रिया की छोटी बहन वीरा मिल गई. दौड़ कर उस ने प्रिया को अपनी बांहों में भर लिया, ‘‘ओह दीदी, कितने दिन बाद मिली हो.’’
‘‘पर तू कब आई?’’ प्रिया ने उस के साथ भीतर कदम रखते हुए पूछा.
‘‘कल, बस तुम्हारे जाने के 5 मिनट बाद, दिनेश को कुछ सामान खरीदना था.’’
‘‘अच्छा, पर इस से तो तू 5 मिनट पहले आ जाती तो मैं शिमला की बोरियत से बच जाती,’’ प्रिया ने हंस कर कहा तो वीरा भी मुसकरा दी, ‘‘क्यों, शिमला में जीजाजी के साथ अच्छा नहीं लगा क्या?’’
‘‘यह बात नहीं,’’ प्रिया झेंपती सी बोली, ‘‘वहां पहुंचते ही मौसम इतना खराब हो गया कि होटल से बाहर पांव निकालना भी दुश्वार था,’’ कहतेकहते उस ने सोफे पर बैठते हुए वहीं से आवाज लगाई, ‘‘अरे भाभी, जरा चाय तो पिला दो.’’
‘‘पर तुम कहां चलीं सालीजी, हमारे आते ही?’’ टैक्सी वाले को भाड़ा चुका कर तब तक प्रणव भी भीतर आ गया. वीरा को उठते देख उस ने चुटकी ली तो उस ने भी हंस कर जवाब दिया, ‘‘आप के लिए बढि़या सी चाय बनाने.’’
‘‘पर तू क्यों जा रही है? रसोई में भाभी तो हैं,’’ प्रिया ने वीरा का हाथ पकड़ उसे बिठाने का प्रयत्न किया.
पर उस ने धीमे से हाथ छुड़ा लिया, ‘‘भाभी गाजियाबाद गई हैं भैया के साथ. उन की बहन के लड़के का जन्मदिन है आज.’’
‘‘क्या? पर तुझे यहां अकेली छोड़ कर?’’ प्रिया का स्वर आश्चर्य की नोक पर लटक गया तो वीरा गंभीर हो उठी, ‘‘वे गईं नहीं बल्कि मैं ने ही उन्हें जबरदस्ती भेजा है. इस घर में तो ब्याह से पहले मैं ने 20 साल गुजारे हैं. यहां रह कर अकेलापन कैसा? फिर रोहित, सीमा हैं, वे लोग स्कूल के कारण नहीं गए हैं और दिनेश तो शाम को आ ही जाते हैं.’’
‘‘हूं,’’ कुछ सोच में पड़ गई प्रिया, फिर धीमे से बोली, ‘‘पर भाभी को तो मालूम था कि हमें लौटते ही कानपुर जाना है.’’
‘‘हां, लेकिन दीदी, तुम अपने कार्यक्रम के मुताबिक 1 दिन पहले लौट आई हो और कल तुम्हारे जाने से पहले तक भाभी आ जाएंगी,’’ कह कर वीरा चाय बनाने चली गई.
पर प्रिया को भाभी का यह उपेक्षित व्यवहार कुछ अच्छा नहीं लगा. सोचने लगी कि आखिर वह रोजरोज तो मायके आती नहीं.
कुछ ही देर में वीरा चाय के साथ पकौड़े भी बना लाई और सब लोग चाय पीने के साथ हंसीमजाक में व्यस्त हो गए. बातों के दौरन ही वीरा रसोईघर से सब्जी उठा लाई और जब तक बातें खत्म हुईं तब तक उस ने रात के खाने के लिए सब्जियां काट ली थीं.
अगले 2 घंटों में वीरा ने रात का खाना तैयार कर लिया. प्रिया ने भी उस की थोड़ीबहुत मदद कर दी थी. तब तक दिनेश भी आ गया. फिर खाने की मेज पर कुछ अतीत और कुछ वर्तमान की बातों में कब रात के 11 बज गए, पता ही न चला.
दूसरे दिन सुबह ही भैयाभाभी आ गए. प्रिया को पहले ही वहां उपस्थित देख कर भाभी को थोड़ी हैरानी हुई पर वीरा ने तुरंत आगे आते हुए हंस कर कहा, ‘‘दीदी का प्रोग्राम बदल गया था, इसलिए कल शाम ही आ गईं. पर घबराओ नहीं, भाभी, तुम्हारे मेहमान को मैं ने कोई तकलीफ नहीं होने दी है.’’
यह सुन और समझ कर प्रिया चिढ़ गई, ‘हुंह, मैं मेहमान हूं तो वीरा क्या है,’ पर बहन से बात न बढ़ाने की गरज से चुप रही. तभी भाभी रसोईघर की ओर बढ़ीं तो वीरा ने उन्हें रोक दिया, ‘‘तुम बैठो भाभी, अभी सफर से थकीमांदी आई हो. मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूं.’’
फिर प्रिया ने गौर किया कि भाभी के आने के बाद भी वीरा घर के हर काम में इतनी रुचि ले रही है जैसे वह कभी इस घर से गई ही न हो. वह उसी घर का एक अंग लग रही थी. भैया भी बातबात पर वीरा और दिनेश से सलाह ले रहे थे. भैया के बच्चों को तो वह कल से ही देख रही थी. वे किसी न किसी बहाने वीरा को घेरे हुए थे. खाना बनाते समय रसोईघर से बराबर वीरा और भाभी की आवाजें आ रही थीं.