लेखक- रोहित और शाहनवाज 

होशियारपुर में हमारी मुलाकात एक ऐसे बुजुर्ग से हुई जो मोदी से काफी नाराज दिख रहे थे. लगभग 77 साल के विश्व दास नाम के बुजुर्ग होशियारपुर हिमाचल के बॉर्डर में रहते हैं. यह जगह होशियारपुर के सराफा बाजार से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है. वह होशियारपुर में अपने कुछ दोस्तों के साथ लगातार मिलने आ जाया करते हैं. उनसे हमारी मुलाकात शीश महल के नजदीक दुकान के पास हुई. सर पर सफेद रंग की पगड़ी, आंखों पर चश्मा, गले में लंबा सा हल्के नारंगी रंग का साफा डाले विश्व दास 10 हफ्ते में दो-तीन बार होशियारपुर में अपने दोस्तों से मिलने आ जाया करते हैं.

विश्व दास की चेहरे की झुर्रियां ने देश के कई सरकारों के राजपाठ को पचा लिया है. लेकिन उनकी आवाज में कड़कपन शायद ही चेहरे की झुर्रियों के आगे मुझे मुरझाई हो. विश्व दास वैष्णव समाज से ताल्लुक रखते हैं और खुद को पूजापाठी बताते हैं और सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं. लेकिन वह भाजपा की धर्म वाली राजनीति से नफरत करते हैं. उनका मानना है की धर्म का असली अर्थ खुद को भगवान से जोड़ना है न की धर्म की दुकान चलाना और चंदा मांगना. वह कहते हैं कि “भाजपा राम के नाम पर घर घर चंदा मांग रही है. असल मे ये लोग अपनी दुकाने चलाए रखना चाहते हैं. ये सिर्फ अपनी तिजोरियां भर रहे हैं और जनता का मेहनत वाला पैसा अपनी अय्याशियों के लिए खर्चना चाहते हैं.”

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अपनी बुलंद आवाज में अपनी बुलंद आवाज वे कांग्रेस भाजपा और अकाली दल को गरियाते रहे. विश्व दास बताते हैं कि उनके दो बेटे हैं जिनमें से एक अरब में काम करने के लिए गया है. उनका दूसरा बेटा उनके साथ उनके घर पर रहता है और उसका एक बेटा भी है.

विश्व दास भले ही हिमाचली परिवार से ताल्लुक रखते हों लेकिन उनकी भाषा अक्खड़ पंजाबी में थी जिसको समझना हमारे लिए भी मुश्किल था. लेकिन जिस शब्द पर वह अपनी आंखें बड़ी कर लेते, अपनी त्योरीयां चढ़ा लेते और चेहरे का भाव गुस्से से बनाते वह “डिक्टेटर” शब्द था. वह इस शब्द का इस्तेमाल बार-बार प्रधानमंत्री मोदी के लिए कर रहे थे.

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उन से तकरीबन 1 घंटे की बातचीत चली वह कृषि कानूनों को लेकर अच्छी खासी जानकारी रख रहे थे. उन्होंने बताया “सरकार ने जो किसानों के लिए कानून बनाएं वह किसानों के बिना सलाह मशवरा के बनाए. ध्वनि मत से इन्होंने यह तीन काले कानून पास करवा दिए. लेकिन वही किसान दूसरी तरफ कहते हैं कि हमें इन कानूनों की जरूरत ही नहीं है तो फिर हमारे लिए कानून क्यों बनाए गए. मैं इतनी उम्र का हो चुका हूं लेकिन उसके बावजूद मैंने देखा कि किसी भी सरकार ने कभी भी किसी भी समय किसानों के पक्ष में कोई कानून नहीं किसानों के भले के लिए कोई काम नहीं किया. लेकिन यह मोदी साहब तो अजीब ही है एक तो किसानों के पक्ष में कोई बनाया नहीं ऊपर से किसान किसानों को मारने वाले कानून ले आ कर किसानों को मारने का काम क्या है.”

वे आगे कहते हैं की जब तानाशाह के पतन का दिन नजदीक आता है तो वह और भी अहंकारी और अड़ियल हो जाता है. इस समय मोदी वही तानाशाह है जो अपने अपने पतन की तरफ बढ़ रहा है जो लोग इंदिरा गांधी को तानाशाह कहते हैं वह मोदी की तानाशाही पर चुप रह कर डिक्टेटरशिप को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. मोदी वह डिक्टेटर है जो अपने अपने विरोध की आवाजों को दबाने का काम कर रहा है.”

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निकाय चुनाव को लेकर विश्वास ने कहा “किसानों का मुद्दा तो एक तरफ था ही दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई का. भाजपा के खिलाफ अगर अभी एक माहौल है तो वह उनकी झूठे वादो के खिलाफ, विरोधों को दबाने के खिलाफ और बढ़ रही महंगाई के खिलाफ है. अब देखा मैं कल ही अपने घर पर ₹802 का सिलेंडर लेकर आया इससे पहले महीने हमारे घर ₹749 का सिलेंडर आया था. जितनी तेजी से कमाई नहीं बढ़ रही उससे कई गुना ज्यादा तेजी से महंगाई आसमान छू रही है. लोग परेशान है, जनता हताश है, व्यापारी निराश है और किसान सड़कों पर है तो कैसे हुई भाजपा इस ऐसे मौकों पर जीत सकता था.”

वे आगे कहते हैं की “आज लेबर की हालत यह है कि उसके लिए हर दिन जी जीवन और मरण का सवाल है. आज जो कमाया वह आज ही खत्म हो जाता है. कल के लिए दोबारा से जीना पड़ता है.”

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