लेखक- रोहित और शाहनवाज 

पंजाब के होशियारपुर नगर निगम क्षेत्र में घोषित हुए रिजल्ट कई सवालों के साथ उभरा है. पंजाब का यह शहर जहां कुल 50 नगर निगम की सीटें है उस में से 41 सीटें कांग्रेस के हिस्से जाना हैरान इसीलिए भी करता है क्योंकि इस इलाके में मंझोला व्यापारी तबका जो पहले भाजपा के साथ था वह बदला है.

होशियारपुर नगर निगम क्षेत्र पहुंचने के बाद हमारा पहला लक्ष्य उन निगम पार्षदों से मिलना था जो चुनाव में जीते अथवा हारे थे. इसी मकसद से हम होशियारपुर से 38 नंबर वार्ड से कांग्रेस के टिकट से जीती बलविंदर कौर से मुलाक़ात करने निकल पड़े. बलविंदर कौर बस्सी ख्वाजा म्युनिसिपैलिटी से विजेता हैं. होशियारपुर के बड़े गुरुद्वारों में से एक मिट्ठा टुआना गुरुद्वारा से लगभग 4 किलोमीटर पैदल चलने पर बलविंदर कौर का ऑफिस था. हीरा बाजार की संकरी गलियों से होते हुए हम उन के कार्यालय पहुंचे. वहां जाकर पता चला की बलविंदर कौर अपने पूरे परिवार के साथ अमृतसर मंदिर मत्था टेकने निकल चुकी है.

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इस के बाद हमने कांग्रेस के टिकट से जीते वार्ड नंबर 40 पार्षद अनमोल जैन से मुलाक़ात करने के लिए कूच किए. वहां से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर सराजा चौक में उन का कार्यालय स्थित था. यह पूरा रास्ता अलग अलग बाजारों से होते हुए गुजरा. जिस में कोतवाली बाजार, सर्राफा बाजार, कपड़ा बाजार, शीशमहल बाजार इत्यादि थे. इन बाजारों की दुकानों के बाहर कांग्रेस और भाजपा के झंडे साफ देखे जा सकते थे. यानि होशियारपुर में जिस इलाके को दोनों पार्टियां अपने नियंत्रण में रखना चाह रही थी वह यही व्यापारियों का इलाका था. इसी बीच हमारी मुलाक़ात वहां के कुछ व्यापारियों से हुई.

दिलचस्प यह था कि जिन बाजारों से हम गुजर रहे थे उन बाजारों के दुकानदार जैन समुदाय से थे. और यह समुदाय पिछले नगर निगम के चुनावों में लगातार भाजपा को अपना मत देते आ रहे थे. ऐसे ही एक कपड़ा व्यापारी मानिक जैन से हमारी मुलाक़ात हुई. शुरू में वह हम से बात करने में थोड़ा हिचकिचा रहे थे लेकिन धीरे धीरे वह वहां के व्यापारियों का कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होने की वजह बताने लगे. उन का मानना था कि पंजाब के लोकल व्यापारियों की रीढ़ किसान समाज ही है.

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मानिक जैन कहते हैं, “इस बार यहां का व्यापारी साइलेंट वोटर था. जो भाजपा के समर्थक भी थे उन्होंने भी सामने से उम्मेदवार को ‘हां’ तो कह दिया लेकिन बैकडोर से उन्होंने कांग्रेस को वोट किया.” वह आगे कहते हैं, “देखो हमारी यह मार्किट दो कारणों से चलती है एक एनआरआई और दूसरा किसान. एनअआरआई अब यहां आ नहीं रहे और किसान फिलहाल यहां है नहीं. हम व्यापारियों का मूल जुड़ाव किसानों के साथ है. होशियारपुर नगर की आउटस्कर्ट इलाके खेती कर रहे किसानों का है. और यहां व्यापारी यह चीज नहीं भूल सकता की यही किसान हमारे मूल ग्राहक भी हैं. इस समय कृषि कानूनों की वजह से किसान शहरों की तरफ खरीददारी करने कम आ रहे हैं. जिस कारण होशियारपुर का मार्किट मंदा पड़ा हुआ है. किसान निराशा में हैं, शादी-बियाह व किसी अन्य तरह के फंक्शन में होने वाले खर्चे बंद हो गए हैं. जो दूकान पहले 60 प्रतिशत चलती थी वह अब 30-35 पर आ गई है. अब हमारे लिए हमारे ग्राहक ही सब कुछ हैं, अगर वे इस समय तकलीफ में हैं तो उन का समर्थन करना हमारा भी कर्तव्य है.”

मानिक जैन दबे जुबान से कहते हैं कि वह खुद भाजपा के कट्टर समर्थक हैं, उन्होंने खुद अपनी दूकान के बाहर भाजपा का झंडा दिखाते हुए हमें इस का इशारा किया. लेकिन जिस तरह की एकोमोमिक पालिसी भाजपा बना रही हैं, उस से उन का नुकसान हो रहा है.

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हम ने जब वहां खड़े दुसरे व्यापारी अमित जैन से पूछा कि क्या सिर्फ कृषि कानून के कारण ही आपने भाजपा से दूरी बनाई है. तो वह जवाब देते हैं, “बात सिर्फ कृषि की नहीं है. भाजपा मुद्दों को ले कर बात नहीं कर रही. भाजपा ने वोट सिर्फ बीजेपी के नाम पर मांगा, काम पर नहीं. वो मोदीजी मोदीजी करते रहे. मोदीजी क्या यहां एमसी के पार्षद बनेंगे? अभी इस समय महंगाई का हाल देख लो. पेट्रोल डीजल का दाम ऐसे बढ़ रहा है कि हमारा गाड़ी से चलना मुश्किल हो रहा है.”

वे आगे कहते हैं, “भाजपा बस अब पिछली सरकार पिछली सरकार की रट लगा कर घुमती है, अरे भई जब शासन तुम्हारे हाथ में है तो तुम अपना बताओ ना. महंगाई के लिहाज से देखा जाए तो पिछली सरकार तो इस से बहतर थी. कम से कम इतनी महंगाई तो नहीं थी.”

कुछ व्यापारियों का कहना था कि सरकार के खिलाफ जो भी बोल रहा है सरकार उसे देश के खिलाफ बता रही है, यही हाल आज कल किसानों के साथ हो रहा है. दो गली आगे बढ़ कर जब हम पार्षद अनमोल जैन से मिलने पहुंचे तो वे किसी मीटिंग में व्यस्त थे. इतने में हमारी बात कपड़े की दूकान चला रहे अंकित जैन से हुई. अंकित जैन की यह दूकान साल 1952 से उसी जगह चलती आ रही है. पहले उस के दादा फिर पिता अब वह इस दुकान को संभाल रहे हैं. दूकान का स्ट्रक्चर भी काफी पुराना था और किराया मात्र 40 रूपए.

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अंकित कहते हैं, “पहले से बढ़ती महंगाई में अब कपड़े पर भी 10 प्रतिशत रेट बढ़ा दिया गया है. ऐसे में ग्राहक आते हैं और महंगा सामान खरीदने से बचते हैं, जिस से दुकानदारी पर भारी असर पड़ रहा है. यहां बीजेपी का गढ़ था, लेकिन लौकडाउन के समय जब लोगों को राशन पहुंचाने की बात थी तो बीजेपी के लोग अपने लोगों को ही राशन बांटने में व्यस्त थे और आम लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा था.”

जब हम ने अंकित से अकाली दल के हारने की वजह पूछी तो उन का कहना था, “यहां अकाली वैसे भी ख़ास मजबूत नहीं थी. वह ज्यादातर पिंड इलाकों में मजबूत थी, लेकिन रही बात अकाली का एक भी सीट ना आने के तो ‘गेहूं के साथ तो घुन भी पिसता ही है’. और अकाली दल सिर्फ अपने भजपा के साथ होने का किया भोग रही है.”

हमारी बात थोड़ी देर चली ही होगी कि पार्षद अनमोल जैन अपने ऑफिस की तरह आए, और हमसे मिले. लेकिन मीडिया के सामने किसी प्रकार की कोई बात रखने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “अभी सीएम अमरिंदर सिंह से यह हिदायत मिली है कि अभी जब तक शपथ ग्रहण नहीं ले लेते तब तक मीडिया में किसी प्रकार की कोई बात ना रखें.”

वैसे ऑफ रिकॉर्ड अनमोल जैन के बारे में जो जानकारी मिली वह यह कि उन की इच्छा कांग्रेस की जगह भाजपा से टिकट लेने की थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकेट देने से इनकार कर दिया था जिस के बाद वे कांग्रेस से टिकेट लेने गए. अनमोल जैन फिलहाल वहीँ सराफा बाजार में एक ज्वेलरी शॉप के मालिक भी हैं और बदले समीकरण के लिए किसान आन्दोलन के प्रभाव को मुख्य वजह मानते हैं. वे खुद मानते हैं कि कृषि कानूनों के चलते किसान अब शादी इत्यादि फंक्शन में दुकानों से खुल कर सामान लेने से कतरा रहे हैं, जिस का असर व्यापारियों पर पड़ रहा है जिस में वे खुद को भी गिनते हैं.

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