यकीनन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के सच्चे हितैषी थे. वे सही मानों में एक किसान नेता थे और हर हाल में खेतीकिसानी और किसानों का भला ही चाहते थे. वे आजकल के तमाम नेताओं से कतई अलग थे. आजकल के नेता महज वोटों के लिए किसानों को मुद्दा बनाते हैं, वरना उन्हें किसानों की खस्ता हालत से कोई सरोकार नहीं होता. किसानों के रहनुमा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह की 114वीं सालगिरह के मौके पर मुरादनगर, गाजियाबाद में  शानदार मेले का आयोजन किया गया. इस मेले के दौरान ही प्री रबी गोष्ठी भी की गई और जिले के खासखास किसानों को सम्मानित भी किया गया. गाजियाबाद के पूर्व विधायक/सांसद प्रतिनिधि नरेंद्र सिसौदिया द्वारा चौधरी चरण सिंह की तस्वीर पर माला चढ़ाने के बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई.

मनौटा गांव के काफी बड़े दायरे में फैले वीएस फार्म हाउस में इस शानदार मेले को लगाया गया था. खास मेहमानों व मुख्य मेहमान के लिए शानदार मंच सजाया गया था. खूबसूरती से मंच के दोनों ओर देश की नामी कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ के बैनर भी सजे हुए थे. ‘फार्म एन फूड’ ने तो अपनी मौजूदगी मेले के मुख्य गेट से ही दर्ज करा दी थी. मेले में लगाए गए तमाम स्टालों के बीच ‘फार्म एन फूड’ का स्टाल अपनी अलग ही छाप छोड़ रहा था. तमाम किसान और मेले के दर्शक ‘फार्म एन फूड’ के बारे में ज्यादा से ज्यादा पूछताछ कर रहे थे और इसे हासिल करने का फार्म मांग रहे थे. मेले के दूसरे स्टालों पर भी खेती से जुड़ी खास चीजें मौजूद थीं, जिन्हें उन के प्रतिनिधि दर्शकों को दिखा रहे थे. कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर का स्टाल भी ‘फार्म एन फूड’ के स्टाल के ऐन बगल में लगा था. इस स्टाल में भी खेती से जुड़ी तमाम जानकारियां मौजूद थीं.

मेले के उद्घाटन के बाद कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद के कार्यक्रम समन्वयक और इंचार्ज डा. हंसराज सिंह ने आने वाले किसानों और दर्शकों का स्वागत किया और कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा की जा रही गतिविधियों का खुलासा किया. डा. हंसराज सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र की तमाम गतिविधियों पर रोशनी डालने के अलावा कुछ मुद्दों को खासतौर पर ज्यादा उभारा. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की मिट्टी जांच लैब का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच वहां बेहद मामूली फीस चुका कर करा सकता है. उन्होंने किसानों को जांच के लिए मिट्टी का नमूना लेने का तरीका भी बाकायदा समझाया.

डा. हंसराज सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र की जैव प्रयोगशाला में दी जा रही सुविधाओं का भी विस्तार से जिक्र किया. उन्होंने किसानों का मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जाने की जानकारी भी दी. मेले में मौजूद जिले के किसान नेता संजय त्यागी ने कृषि विज्ञान केंद्र गाजियाबाद द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समयसमय पर होते रहने चाहिए. उन्होंने माना कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को खेती की नईनई जानकारियां मुहैया कराई जाती हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के अभियंत्रण वैज्ञानिक डा. पीएस तिवारी ने किसानों को खेती के नए यंत्रों के इस्तेमाल व रखरखाव की जानकारी विस्तार से दी. कृषि विज्ञान केंद्र की गृहविज्ञान विशेषज्ञा अनिता यादव ने मेले में मौजूद लोगों को अचार, मुरब्बा वगैरह बनाने के बारे में समझाया. उन्होंने हस्तशिल्प कला के बारे में भी बताया और नवजात शिशुओं व माताओं के संतुलित खाने की भी जानकारी दी.

कृषि विज्ञान केंद्र के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा. अरविंद कुमार ने कीटनाशकों के बेहिसाब इस्तेमाल से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया. उन्होंने जैविक तरीके से रोगों व कीड़ों की रोकथाम के बारे में किसानों को विस्तार से बताया.

कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक

डा. अनंत कुमार ने सब्जियों की बेमौसमी नर्सरी तैयार करने की जानकारी दी. उन्होंने कद्दू वर्गीय सब्जियों लौकी, तुरई, करेला व टिंडा वगैरह की खेती से जुड़ी खास बातें भी बताईं. कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डा. पीके मडके ने मेले में मौजूद पशुपालकों को पशुपालन से जुड़ी तमाम खास बातें बताईं. उन्होंने कहा कि अगर पशुपालक अपने पशुओं को संतुलित मात्रा में पशुआहार और मिनरल मिश्रण रोजाना दें, तो पशुओं में बांझपन की समस्या से नजात पाई जा सकती है. नरेंद्र सिसौदिया ने कहा कि चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम ने मनौटा मेले में मौजूद किसानों के तमाम सवालों के हल पेश किए. उन्होंने पुराना वाकया सुनाते हुए कहा  कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चौधरी चरण सिंह से कहा था कि भारत को भी रूस की तरह सामूहिक खेती करनी चाहिए, मगर चौधरी चरण सिंह ने नेहरूजी की सलाह को नकार दिया था. कृषि विज्ञान केंद्र मुरादनगर, गाजियाबाद की डा. तुलसा रानी, डा. देवेंद्र पाल, जईम खान, योगेंद्र शर्मा व नीरज यादव वगैरह ने भी मेले में खेती के बारे में अपनेअपने खयाल जाहिर किए. मंच का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डा. विपिन कुमार ने शुरू से अंत तक किया और डा. पीएस तिवारी ने आयोजन पर समापन की मोहर लगाई.

कार्यक्रम खत्म होने से पहले भारत की मशहूर कृषि मैगजीन ‘फार्म एन फूड’ की ओर से कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डा. हंसराज सिंह, उद्यान वैज्ञानिक डा. अनंत कुमार और शस्य वैज्ञानिक डा. विपिन कुमार को पत्रिका को मिलने वाले उन के सहयोग व उल्लेखनीय कामों के लिए प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया.

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक
कृषि वैज्ञानिकों ने बताईं नई बातें

साल 2016 के जाने और साल 2017 के आने के मौके पर पिछले दिनों कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर गाजियाबाद में बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक की गई. बैठक में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों व नामी पत्रकारों के साथ खेती की दुनिया से जुड़े तमाम माहिरों ने हिस्सा ले कर किसानों को खेती की नईनई जानकारियां मुहैया कराईं. इस बैठक में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रघुवीर सिंह और डा. आरबी यादव ने खासतौर पर हिस्सा लिया और अपने तजरबों से किसानों की जानकारियों में इजाफा किया. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी (इंचार्ज) डा. हंसराज सिंह ने बताया कि केंद्र की वेबसाइट (222.द्दद्धड्ड5द्बड्डड्ढड्डस्र.द्म1द्म४.द्बठ्ठ) शुरू कर दी गई?है. उन्होंने यह जानकारी भी दी कि केंद्र पर तमाम फसलों मसलन गेहूं, चना व सरसों वगैरह का प्रदर्शन कराया गया?है. उन्होंने बताया कि केंद्र में मुरगीपालन इकाई भी चल रही?है और मिट्टी जांच की लैब भी काम कर रही?है. केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डा. विपिन कुमार ने केंद्र द्वारा पिछले साल के दौरान किए गए कामों का तफसील से खुलासा किया. इस के अलावा उन्होंने आने वाले साल में किए जाने वाले कामों से?भी किसानों को परिचित कराया.

शस्य विज्ञान के दिग्गज डा. आरबी यादव ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट की जगह पर आर्गेनिक वेस्ट और औद्यौगिक वेस्ट का भी प्रदर्शन लगा कर देखना चाहिए. इसी सिलसिले में अपने खयाल जाहिर करते हुए निदेश प्रसार डा. रघुवीर सिंह ने कहा कि फसलों के अवशेषों को जलाना सेहत और पर्यावरण के लिहाज से मुनासिब नहीं है, लिहाजा इस मसले पर भी प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है. उन्होंने इस मामले में किसानों के लिए खास ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाने की जरूरत पर बल दिया. डा. रघुवीर सिंह ने धान की फसल में सीधी बोआई व एसआरआई विधि अपनाने की सलाह दी. उन्होंने बरसीम की नई प्रजाति के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया. डा. आरबी यादव ने कहा कि दलहनी फसलों में रेज्ड बेड तकनीकी का नतीजा बेहतर है, लिहाजा इसे जरूर अपनाया जाना चाहिए. उन्होंने धान की फसल में ब्राउन मैन्यूरिंग पर भी प्रदर्शन कराने पर जोर दिया, ताकि इस के असर को आसानी से समझा जा सके.

डा. आरबी यादव ने दलहन की फसलों में कल्चर राईजोबियम के साथ आयरन और मोलिब्डेनम जरूर देने को कहा,?क्योंकि इस से नाइट्रोजन की स्थिरता में मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि अरहर की फसल में फूल आने से पहले नाइट्रोजन का 0.2 फीसदी का पर्णीय छिड़काव हर हालत में करें. इसी कड़ी में केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डा. अनंत कुमार ने साल 2016 में केंद्र द्वारा उद्यान के?क्षेत्र में किए गए खास कामों का खुलासा किया और आगामी साल में किए जाने वाले कामों के बारे में तफसील से बताया. केंद्र के पशु वैज्ञानिक डा. पीके मडके ने भी सभा में मौजूद कृषि जगत के माहिरों के बीच पशुपालन के बारे में किए गए खास कामों का खुलासा किया. उन्होंने पशुओं की सेहत बनाए रखने के बारे में खास बातें बताई और जानवरों की बीमारियों के बारे में भी बताया.

पशुओं के मामले में डा. आरबी यादव ने कहा कि जिन इलाकों में मवेशियों को अगोला खिलाया जाता?है, वहां पर फास्फोरस की कमी देखी जा रही है, लिहाजा इस बारे में भी केंद्र को प्रदर्शन आयोजित करना चाहिए. केंद्र के कृषि अभियंत्रक डा. पीएस तिवारी ने केंद्र में मौजूद तमाम मशीनों की जानकारी देते हुए इन की अहमियत का खुलासा किया. उन्होंने मशीनों से किसानों को होने वाले फायदों का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा किसानों को नईनई मशीनों की जानकारी बराबर मुहैया कराई जाती है. इस बारे में डा. आरबी यादव ने कहा कि रोटावेटर का नतीजा किसानों द्वारा अच्छा नहीं बताया जा रहा, लिहाजा इस की जांच कर के रिपोर्ट किसानों तक पहुंचाना जरूरी?है. केंद्र की गृहविज्ञान की वैज्ञानिक अनिता यादव ने गृहविज्ञान के सिलसिले में केंद्र द्वारा किए गए खास कामों का खुलासा किया. उन्होंने केंद्र द्वारा महिला किसानों को जागरूक किए जाने की बातें बताईं. उन्होंने बताया कि महिला किसान पापड़, बड़ी वगैरह चीजें बनाने में खासी दिलचस्पी ले रही?हैं. केंद्र की मृदा विज्ञान की वैज्ञानिक और मृदा प्रयोगशाला की प्रभारी अधिकारी डा. तुलसा रानी ने मिट्टी जांच से जुड़े मुद्दों पर रोशनी डाली. उन्होंने इस मामले में किसानों को जागरूक करने की बात कही और बताया कि मिट्टी की जांच के लिए किसानों को पूरा सहयोग दिया जा रहा है.

केंद्र के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा. अरविंद कुमार ने पौध सुरक्षा के?क्षेत्र में किए गए कामों का तफसील से खुलासा किया. उन्होंने कीड़ों व बीमारियों से पौधों की हिफाजत के बारे में काफी तफसील से जानकारी दी. वैज्ञानिक सलाहकार समिति की सदस्यता और एनजीओ की सचिव नीलम त्यागी ने अपने खयाल जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र में सोयाबीन उत्पादों के बारे में भी ट्रेनिंग दी जानी चािहए. उन्होंने यह भी कहा कि किसान महिलाओं को सिलाईकढ़ाई वगैरह की तालीम भी दी जानी चाहिए ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. कुल मिला कर केंद्र के दिग्गजों और खेती जगत के धुरंधरों के साथ आयोजित की गई वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक खासी सार्थक साबित हुई. केंद्र में मौजूद तमाम किसानों ने माहिरों की बातों को गौर से सुना. बातचीत के दौरान कई बुजुर्ग किसानों ने कहा कि वाकई कृषि विज्ञान केंद्र से उन्हें समयसमय पर भरपूर लाभ मिलता रहता?है. किसानों ने बताया कि वे माहिरों व वैज्ञानिकों की हिदायतों का पालन करने की पूरी कोशिश करते हैं.

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