लेखक–मनीषा अग्रवाल

यदि आप निवेश का जरिया खोज रहे हैं जहां आप को कम जोखिम और ज्यादा रिटर्न मिले तो सब से फायदेमंद इस समय बौंड में निवेश करना है. आइए जानें बौंड के बारे में. आजकल बैंक एफडी का ब्याज तेजी से घट रहा है. ऐसी स्थिति में निवेशक निश्चित ब्याज पाने वाले किसी और निवेश के मौके को तलाश रहे हैं. बौंड्स इस के लिए एक अच्छा विकल्प है. इस के जरिए आप अपने निवेश तथा मूलधन पर अधिक जोखिम लिए बिना अच्छे रिटर्न ले सकते हैं.

बौंड एक निश्चित आय की तरह होता है जिस में निवेशक किसी कंपनी या सरकार को निश्चित समय के लिए ऋ ण देते हैं. बौंड को हिंदी में ऋ णपत्र भी कहा जाता है. बौंड कंपनी तथा सरकार के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम है. कंपनी अपने कारोबार के विस्तार के लिए समयसमय पर बौंड से पैसा जुटाती है. सरकार भी राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए या दूसरे महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए पैसा इकट्ठा करने हेतु बौंड जारी करती है. अर्थात सरकार और कंपनी बौंड के जरिए कर्ज लेते हैं. सरकारी बौंड को गवर्नमैंट बौंड कहते हैं. सरकारी बौंड को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इस पैसे की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की होती है.

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कंपनी के बौंड में निवेश के पहले उस कंपनी की वित्तीय स्थिति को देखना जरूरी होता है. कंपनी के बौंड को कौर्पोरेट बौंड कहा जाता है. बौंड एक फिक्स्ड रेट इंस्ट्रूमैंट है क्योंकि इस में ब्याज दर पहले से तय होती है. पहले बड़े निवेशक ही बौंड्स में निवेश कर पाते थे. अब इस में छोटे निवेशकों को भी निवेश की अनुमति है. बौंड की मैच्योरिटी अवधि 1 से 30 साल तक हो सकती है. यह मैच्योरिटी अवधि समाप्त होने पर तय नियमों के अनुसार आप का पैसा वापस मिल जाता है. बौंड की ब्याज दर को कूपन रेट कहते हैं. बौंड का प्राइस पहले से तय होता है. बौंड से मिलने वाले रिटर्न को यील्ड कहा जाता है.

बौंड्स के प्राइस तथा बौंड के यील्ड में विपरीत संबंध होता है. एक बौंड को खरीदने के लिए जितनी अधिक कीमत चुकाई जाती है, बौंड यील्ड उसी अनुपात में कम हो जाता है. ज्यादातर बौंड्स पर यील्ड टू मैच्योरिटी अभी करीब 4.5 फीसदी है.

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कुछ खास बौंड्स सरकारी बौंड : इन के कुछ उदाहरण हैं- सौवेरन गोल्ड बौंड : 2.5 फीसदी ब्याज (2020 में छोटे निवेशकों ने इन में विशेषरूप से निवेश किया) जीओआई सेविंग्स बौंड : 7.75 फीसदी. कैपिटल गेन बौंड, एनएचएआईएंड आरईसी. इंडियन रेलवे फाइनैंस कौर्पोरेशन टैक्सफ्री बौंड.

भारत बौंड. म्युनिसिपल बौंड : नगरनिगम अपने किसी प्रोजैक्ट, निर्माण अथवा कुछ और सरकारी खर्चों के लिए बौंड जारी करता है. लखनऊ नगरनिगम ने बंबई स्टौक एक्सचेंज में अपना बौंड लिस्ट करवाया है. कौर्पोरेट बौंड : ये प्राइवेट सैक्टर के द्वारा जारी किए जाते हैं. श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस के बौंड (10.25 फीसदी) 2020 में उपलब्ध थे.

सिक्योर बौंड : इन में पैसा सुरक्षित रहता है. यूपीपीसीएल (10.15 फीसदी) एक सिक्योर बौंड है. इनसिक्योर बौंड : ये बौंड्स काफी रिस्की होते हैं जबकि इन बौंड्स को लुभावना बनाने के लिए ब्याज दर ज्यादा रखी जाती है. जीरो कूपन बौंड : इन में कोई ब्याज नहीं मिलता बल्कि कंपनी की प्राइस वैल्यू से कम प्राइस में खरीद कर इन में मुनाफा कमाया जाता है.

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परपेच्युअल बौंड्स : ये बिना मैच्योरिटी की तारीख वाले बौंड होते हैं. इन पर भी साधारण बौंड की तरह ही फिक्स रिटर्न मिलता है. इन में ज्यादा शर्तें नहीं होतीं. इन में कंपनी के शेयरों की तरह कंपनी में हिस्सेदारी मिलती है. इन को अपनी सुविधानुसार आप बेच सकते हैं. पीएनबी परपेच्युअल बौंड्स (9.15 फीसदी) ऐसा ही बौंड है. खरीदे हुए इन बौंड्स को सैकंडरी मार्केट के जरिए आप किसी दूसरे इन्वैस्टर को भी बेच सकते हैं. पर यदि आप अपने खरीदे हुए बौंड्स के पूरे लाभ लेना चाहते हैं तो आप उसे पूरे समय तक होल्ड करिए. यदि आप ऐसे निवेश का जरिया खोज रहे हैं जहां आप को कम जोखिम और ज्यादा रिटर्न मिले तो आप को सरकारी बौंड या अच्छी कै्रडिट रेटिंग वाली कंपनी के बौंड में निवेश करना चाहिए.

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