Best Hindi Poetry :

मेरी कविता :

"मैं बेचारा तन्हा अकेला"

मैं बेचारा तन्हा अकेला

भीगी राहों पर

ढूँढ रहा, खुद को, कहीं.

सड़कें भीगीं, शहर धुंधला,

आसमान में घना कोहरा.

भीगे आँखों से छलके

यादों की धार,

हर बूँद में गूँजे तेरा प्यार.

शहर की भीड़ में, मैं खुद से पूछता,

अपनी परछाई से ही अब मैं रूठता.

पत्थरों में चमक, पर दिल में अँधेरा,

टूटे सपनों सा लगता जीवन

खोया है कुछ, या पाया सवेरा?

मैं मुस्कुराता नहीं मगर,

हार भी मानता नहीं

सपनों की राख से,

गढ़ता कोई सितारा

  • बाल कृष्ण मिश्रा

Best Hindi Poetry :

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...