गन्ने की खेती करने वाले किसानों को चीनी मिल मालिकों की मनमानी के चलते अपनी फसल के वाजिब दाम नहीं मिल पाते हैं. सालभर मेहनत करने वाला किसान गन्ने की फसल को बेचने चीनी मिल पहुंचता है, तो 3-4 दिन लाइन में लगने के बाद फसल की तुलाई होती है और महीनेभर बाद फसल के दाम मिलते हैं. गन्ने की खेती में आने वाली इन मुश्किलों से नजात पाने के लिए किसानों ने गन्ना फसल के प्रोडक्ट्स बनाने शुरू कर दिए हैं. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में सब से ज्यादा रकबे में गन्ने की खेती होती है. जिले के नौजवान किसानों ने गन्ना फसल से तरहतरह के उत्पाद बना कर उन की ब्रांडिंग कर के काफी मुनाफा कमाया है. पिछले 3 साल से जैविक तरीके से गन्ना उत्पादन करने वाले गाडरवारा तहसील के गोलगांव के किसान योगेश कौरव ने इस साल 20 एकड़ में गन्ना फसल लगाई है. मिल मालिकों के शोषण से बचने और अपनी फसल के सही दाम पाने के लिए उन्होंने गन्ने के अलगअलग उत्पाद तैयार किए हैं. उन्होंने जिले में सब से पहले गुड़ का ऐक्सपोर्ट लाइसैंस बनवाया है.

मुंबई गुजरात के वैंडर के जरीए वे आधा से ले कर एक किलोग्राम तक के गुड़ के पैकेट तैयार करते हैं. उन के गुड़ की आपूर्ति अमेरिका, यूएई, श्रीलंका और सिंगापुर तक होती है. योगेश कौरव कहते हैं कि उन्होंने 5 ग्राम गुड़ वाली कैंडी भी तैयार की है और अभी कुछ मशीनें भी मंगवाई हैं. मिलता है मुनाफा योगेश कौरव ने अपने फार्महाउस पर 2 दर्जन लोगों को रोजगार दे रखा है और उन की मदद से गुड़ के उत्पाद जैसे कैंडी, जैगरी पाउडर और विनेगर तैयार किया जाता है. गुड़ से तैयार किए गए इन उत्पादों की पैकिंग कर इसे औनलाइन मार्केटिंग के जरीए देश के अलगअलग इलाकों में भेजा जाता है. सीधे मिल मालिकों या गुड़ भट्ठी वालों को गुड़ बेचने के बजाय उस के इस तरह से उत्पाद बना कर बेचने से उन्हें काफी मुनाफा मिलता है. इस तकनीक को आसपास के कुछ गांवों के किसान भी सीख रहे हैं. अलगअलग फ्लेवर में गुड़ पहले गुड़ सिर्फ मीठे स्वाद के लिए जाना जाता था, परंतु अब इस में अदरक, धनिया, इलायची का भी फ्लेवर मिलेगा.

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इस की कीमत सामान्य गुड़ से थोड़ी ज्यादा होगी, पर इसे पसंद करने वाले लोग महंगा गुड़ लेने को तैयार हैं. आजकल फ्लेवर वाले गुड़ की मांग बाजार में ज्यादा है. इसी का फायदा उठा कर गन्ने की खेती करने वाले किसान जैविक तरीके से बिना कैमिकल का इस्तेमाल कर अलगअलग फ्लेवर में गुड़ को बना रहे हैं. यह गुड़ 5,00 किलोग्राम, 1 किलोग्राम, 2 किलोग्राम और 5 किलोग्राम की पैकिंग में तैयार किया जाता है. इसी तरह फ्लेवर वाली गुड़ की कैंडी 20 ग्राम, 50 ग्राम में बनाई जाती हैं. प्रशासन करेगा मदद इस बार गन्ना किसानों की मदद के लिए कृषि विभाग और प्रशासन ने भी खासा तैयारी की है. जिले में तकरीबन 65,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गन्ने का उत्पादन हो रहा है.

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इस में 20 से 25 किसान 150 से 200 एकड़ रकबे में जैविक पद्धति से न केवल गन्ने का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि जैविक गुड़ बनाने का काम भी कर रहे हैं. गन्ना उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश में अपनी पहचान बना चुके नरसिंहपुर जिले में जैविक पद्धति से उत्पादित गन्ने से बनाए जा रहे गुड़ को देशभर में बाजार देने तैयारी है. इस के लिए गुड़ के आउटलेट तैयार होंगे और जैविक गुड़ की कैंडी, जैगरी पाउडर, विनेगर जैसे उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे. उपसंचालक, कृषि, राजेश त्रिपाठी कहते हैं कि जैविक खेती करने वाले किसानों के साथ कलक्टर की बैठक हुई थी. इस में किसानों ने मांग की है कि इस की औनलाइन बिक्री के लिए पोर्टल बनाया जाए. साथ ही, हाटबाजार की व्यवस्था हो. गुड़ परीक्षण के लिए लैब व भूमि पंजीयन प्रमाणपत्र का खर्चा कम हो. जनवरी माह में गुड़ की ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिए गुड़ फैस्टिवल मनाए जाने की भी योजना है. इस में देश के कई राज्यों से शोधकर्ता व माहिर विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे.

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नरसिंहपुर के कृषि विज्ञानी डा. आशुतोष शर्मा कहते हैं कि हम रेलवे स्टेशनों पर इस के स्टाल लगा कर व विज्ञापन करा कर किसानों को लाभ पहुंचा सकते हैं. नरसिंहपुर जिले के कलक्टर वेदप्रकाश का कहना है कि गुड़ की ब्रांडिंग करवाने के लिए योजना बनी है, जिस से जिले के जैविक गुड़ को अच्छा बाजार मिल सके. दूसरों के लिए प्रेरणा जिले के उन्नत खेती करने वाले किसान राकेश दुबे ने गन्ने के उत्पादों की ब्रांडिंग कर किसानों के लिए नई राह दिखाई है. उस के बाद योगेश कौरव और आसपास के दूसरे किसानों ने इस तकनीक के जरीए गन्ने की खेती से भरपूर मुनाफा कमाया है. ग्राम खैरी बघोरा के किसान नीरज पटेल कहते हैं कि जैविक गुड़ के फायदे जान कर उन्होंने अभी एक एकड़ में गन्ना लगाया है. बाद में इस का रकबा बढ़ाएंगे. बटेसरा के किसान युवराज सिंह कहते हैं कि जैविक गुड़ बेचने के लिए बाजार नहीं मिलता, जिस से मजबूरी में स्थानीय मंडी में ही बेचना पड़ता है. यदि जैविक गुड़ के लिए बाजार मिलेगा, तो किसानों को फायदा होगा. गन्ने के जैविक उत्पाद बनाने की जानकारी के लिए योगेश कौरव के मोबाइल नंबर 9826067678 और राकेश दुबे के मोबाइल नंबर 9425448313 पर बात कर सकते हैं. ठ्ठ

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