मेरे नाना अकसर एक कहानी सुनाया करते थे. कहानी इस प्रकार थी कि, “एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था. उस का नाम मोहन था. मोहन बहुत मेहनती था. काम की तलाश में वह एक लकड़ी के व्यापारी के पास पहुंचा. उस व्यापारी ने उसे जंगल से पेड़ काटने का काम दिया. नई नौकरी से मोहन बहुत उत्साहित था. वह जंगल गया और पहले ही दिन 18 पेड़ काट डाले. व्यापारी ने मोहन को शाबाशी दी. शाबाशी सुन कर मोहन गदगद हो गया. अगले दिन वह और ज्यादा मेहनत से काम करने लगा. इस तरह 3 सप्ताह बीत गए. वह बहुत मेहनत से काम करता, लेकिन यह क्या, अब वह केवल 15 पेड़ ही काट पाता था.
व्यापारी ने कहा, ‘कोई बात नहीं, मेहनत करते रहो.’2-3 सप्ताह और बीत गए. ज्यादा अच्छे परिणाम पाने के लिए उस ने और ज्यादा जोर लगाया. लेकिन केवल 10 पेड़ ही ला सका. अब मोहन बड़ा दुखी हुआ. वह खुद नहीं समझ पा रहा था क्योंकि वह रोज पहले से ज्यादा काम करता लेकिन पेड़ कम काट पाता.
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हार कर उस ने व्यापारी से ही पूछा, ‘मैं सारे दिन मेहनत से काम करता हूं, लेकिन फिर भी क्यों पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है?’
व्यापारी ने कहा, ‘तुम ने अपनी कुल्हाड़ी को धार कब लगाई थी.’मोहन बोला, ‘धार… मेरे पास तो धार लगाने का समय ही नहीं बचता. मैं तो सारे दिन पेड़ काटने में ही व्यस्त रहता हूं.’
व्यापारी ने कहा, ‘बस, इसीलिए तुम्हारी पेड़ों की संख्या दिनप्रतिदिन घटती जा रही है.’
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है, हम रोज सुबह नौकरी, व्यापार व कोई अन्य काम करने जाते हैं या कई बार हम कोई काम बहुत जोश से शुरू करते हैं. धीरेधीरे वह काम हमें रूटीनी लगने लगता है और हम उस काम को केवल ‘करने के लिए करने’ लगते हैं. पर उस को करने का पहले जैसा जोश और जुनून खोने लगता है. जब ज्यादा मेहनत करने के बाद भी हम उतने अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं तब हमें जरूरत होती है मन की कुल्हाड़ी को धार देने की, यानी खुद को मोटिवेट करने की, ताकि हम उतने ही समय में उत्साह के साथ ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें.
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प्रेरणा के आभाव में धीरेधीरे बड़े उत्साह के साथ पढ़ने के लिए स्टडी टेबल के पास चिपकाए गए टाइम टेबलमात्र शोपीस बन कर रह जाते हैं. औफिस से नोटिस मिल जाता है व व्यवसाय घाटे के साथ डूबने लगता है. ऐसे समय में जरूरी है कि हम खुद को मोटिवेट करें और उत्साहहीनता व निराशा से बाहर निकलें.
जब काम बोझिल लगने लगे तो अपनेआप से 2 प्रश्न करने चाहिए- पहला, क्या आप जिस लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं उस को पाने के लिए कोई प्रेरणा उत्प्रेरक की तरह काम कर रहे हैं? और दूसरा, आप खुद को उस लक्ष्य को पाने के लिए काम में अपनी ऊर्जा झोंक पाते हैं?
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि किसी काम को करने की इच्छा रखना या उस काम को करने के लिए खुद को इतना मोटिवेट करना कि काम हो जाए, ये 2 अलग बातें हैं. यही वह अंतर भी है जिस से एक लक्ष्य ले कर काम करते 2 व्यक्तियों में से एक को सफल व दूसरे को असफल घोषित किया जाता है. दरअसल, सैल्फ मोटिवेशन वह जादू है जो हमें जिंदगी में सफल करता है. सैल्फ मोटीवेशन वह आंतरिक बल है जो हमें लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ाता है. जब हम ऐसी मनोदशा में होते हैं कि ‘काम छोड़ दें’, ‘अब नहीं हो पा रहा’ या ‘काम कैसे शुरू करें’ तब सैल्फ मोटिवेशन ही हम को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. सैल्फ मोटिवेशन वह हथियार है जो आप को अपने सपनों को पाने, अपने लक्ष्य को हासिल करने व सफलता के मंच को तैयार करने में मदद करता है.
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अगर आप को रहरह कर यह लगता है कि आप जो काम कर रहे हैं उस को करने में आप को मजा नहीं आ रहा है या किस दिशा में आगे बढ़ें, यह सूझ नहीं रहा, तो आप निश्चितरूप से उत्साहहीनता के शिकार हैं. अगर ऐसा है भी, तो सब से पहले तो आप यह समझ लें कि उत्साहहीनता या निराशा का शिकार होने वाले आप अकेले नहीं. हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी इस का अनुभव करता है चाहे वह मोटिवेशनल गुरु ही क्यों न हो. निराशा में सदा घिरे रहने के स्थान पर इस में सुरंग बना कर बाहर निकलना आना चाहिए.
समझिए स्वप्रेरणा के आंतरिक व बाह्य कारणों को
सैल्फ मोटिवेशन के लिए आप को यह समझना बहुत जरूरी है कि आप को प्रेरणा कहां से मिलती है या वे कौन से कारण हैं जिन से प्रेरित हो कर आप ने वह काम करना शुरू किया है. ये कारण 2 प्रकार के हो सकते हैं- आंतरिक व बाह्य. आंतरिक कारणों में यह आता है कि आप वास्तव में उस काम से प्यार करते हैं, उसे करे बिना आप को अपना जीवन अधूरा लगता है. जब आप निराश हों तो अपने उसी प्यार को जगाइए, जिस के ऊपर हलका सा कुहरा छा गया है. फिर देखिएगा, झूम कर बरसेंगे सफलता के बादल.
बाह्य कारणों में पैसा या पावर आते हैं. ज्यादातर वे लोग जिन्होंने बचपन में बहुत गरीबी देखी होती है या शोषण झेला होता है वे ऐसे ही कामों के प्रति आकर्षित होते हैं जहां ज्यादा पैसा या पावर मिले. कुछ लोग नाम कमाना चाहते हैं, यह भी बाह्य कारण है. आंतरिक कारण जहां खुद ही आसानी से प्रेरित करते हैं वहीँ बाह्य कारणों के लिए हमें उन परिस्थितियों को बारबार याद करना पड़ता है जिस कारण हम ने वह काम करना शुरू किया था.
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हारिए न हिम्मत, बिसारिए न राम
जीवन सत्य है कि दिन और रात की तरह परिस्थितियां भी सदा एकसमान नहीं रहतीं. कभी कम कभी ज्यादा, प्रकृति का नियम है. उत्साह भी कोई ऐसी चीज नहीं है जो हमेशा आप के साथ रहे. यह आताजाता रहता है. जब जाता है तो दुखी न हों. इस बात को समझिए कि भले ही इस समय आप निरुत्साहित महसूस कर रहे हैं, पर यह स्थिति हमेशा नहीं रहने वाली.
घबराने व निराश होने की जगह कुछ समय के लिए दिमाग को उस काम में लगाइए जिस में आप का मन रमता हो, जैसे संगीत, चित्रकारी, बागबानी आदि. ताकि, आप पूरी तरह रिलैक्स हो सकें. अब बस, अपने लक्ष्य से जुड़े रहिए और पहले जैसे उत्साहजनित प्रेरणा के वापस आने का इंतजार कीजिए. इस दौरान अपने लक्ष्य के बारे में पढ़िए, चिंतन करिए, कुछ सार्थक योजनाएं बनाने का प्रयास करिए.
आशावादी रहिए
नकारात्मक विचार आप की पूरी ऊर्जा चुरा लेते हैं. पस्त हौसलों से किले नहीं ध्वस्त किए जाते हैं. मुझे अकसर याद आती है, ‘चिकन सूप फौर सोल’ की एक सत्यकथा जिस में एक क्षतिग्रस्त स्पाइन वाली लड़की से हर डाक्टर ने कह दिया था कि अब तुम कभी चल नहीं पाओगी. निराशहताश लड़की के मित्र ने उसे समझाया कि “इन डाक्टर्स ने तुम्हारी बीमारी का इलाज तो किया नहीं अलबत्ता एक चीज तुम से चुरा ली.
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“‘क्या?’” लड़की ने पूछा.
“‘होप,’ लड़के ने उत्तर दिया.
तब, उस लड़की ने अपनी आशा को फिर से जाग्रत किया और अपने पैरों पर चल कर मैडिकल साइंस को फेल कर दिया. अगर आप सदैव अपने लक्ष्य के प्रति आशावादी रहते हैं तो यह आशा ही आप की प्रेरणा बन जाएगी. अगर कभी नकारात्मक विचार आए भी, तो उस पर ज्यादा मत सोचिए.
एक ही साधे सब सधे
जब आप एकसाथ कई कामों को हाथ में ले लेते हैं तो आप का किसी खास काम के प्रति ध्यान का विकेंद्रीकरण हो जाता है. इस से आप कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते और आसानी से उत्साहहीनता के शिकार हो जाते हैं. ‘जैक औफ औल ट्रेड्स मास्टर औफ नन’ बनने से अच्छा है, हम अपने कामों की प्राथमिकताएं तय करें. अगर आप को लग रहा है कि आप का काम के प्रति उत्साह कम हो गया है तो अपने दिमाग को चारों तरफ दौड़ाने की जगह एक समय में केवल एक लक्ष्य पर लगा लीजिए. इस से आप का ध्यान व उर्जा एक ही स्थान पर खर्च होगी जिस से आप आसानी से उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. सफलता की खुशी में आप दूसरे लक्ष्यों पर भी खुशमन से अपनी ऊर्जा खर्च कर सकते हैं.
हौसले बढ़ते हैं आप की परवाज देख कर
निराशा के दौर में ज्यादा से ज्यादा उन लोगों के बारे में पढ़ें, सोचें और बात करें जो सफल हैं. जिन्होंने अपना लक्ष्य पा लिया है. अच्छीअच्छी प्रेरणादायी किताबें पढ़िए, उन की जीवनी व संघर्ष पर ध्यान दीजिए. आप देखेंगे कि हर सफल व्यक्ति असफल हुआ है. पर उस ने असफलता पर रोते हुए आगे चलना बंद नहीं किया और धीरेधीरे मंजिल को प्राप्त किया. उन की जीवनी आप के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी. मन में हौसला उत्पन्न होगा कि “जब वे पा सकते हैं तो मैं क्यों नहीं. ”रोजरोज इस प्रक्रिया को दोहराने से आप के मन में भी अपने लक्ष्य को पाने का उत्साह जागेगा.
नन्हेनन्हे कदम नापते हैं जहां
ज्यादातर उत्साहहीनता तब उत्पन्न होती है जब आप बहुत बड़ेबड़े लक्ष्य बनाते हैं और उन्हें नहीं पा पाते. आप निराश हो कर सोचने लगते हैं, ‘अरे लक्ष्य तो हासिल हो नहीं पाएगा, तो प्रयास ही क्यों किया जाए.’ कभी अपने बचपन को याद करिए जब आप चलना सीख रहे थे. मां आप से थोड़ी दूर खड़ी हो जाती थी और आजा, आजा कहती थी. आप हिम्मत करते हुए छोटेछोटे डग भरते हुए मां के पास पहुंच जाते थे और अपनी इस उपलब्धि पर खुश होते थे. अभी भी यही करना है. अपने लक्ष्य को छोटेछोटे हिस्सों में बांट लें. जैसेकैसे आप इन्हें पूरा करते जाएं, तो खुद को शाबासी दें. धीरेधीरे आप का उत्साह वापस आता जाएगा.
अपनों की खुशी में ढूंढिए प्रेरणा
आप के अंदर प्रेरणा की चिनगारी नहीं जल पा रही है, तो अपनी योजना को किसी अपने को बताइए जिस के साथ आप अपनी सफलता बांटना चाहते हों. वह व्यक्ति आप का मित्र, पत्नी, बच्चे या हितैशी कोई भी हो सकता है. आप की सफलता की योजना से जरूर उस व्यक्ति की आंखों में चमक आ जाएगी. वह भी आप की सफलता को आप के साथ मनाना चाहेगा. जिस तरह से एक जुगनू क्षणभर में अंधकार को चुनौती दे देता है वैसे ही अपनों के स्नेह व उन को खुश देखने की इच्छा आप को अपने काम को अच्छे तरीके से करने की प्रेरणा देगी.
कल्पना करिए
खुद को प्रेरित करने का यह सब से आसान व कारगर तरीका है. आप जो लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं उस को प्राप्त करने की कल्पना करिए. कल्पना में देखिए (विजुअलाइज करिए) कि आप ने सफलता हासिल कर ली है. सोचिए, अब आप को कैसा महसूस हो रहा है. अब आप प्रकृति को धन्यवाद दे रहे हैं या परिवार और बच्चों के साथ पार्टी कर रहे हैं. जो लोग आप के करीब हैं वे कितने खुश हैं. निश्चित मानिए कि यह क्रिया आप के लिए प्रेरणा का काम करेगी और आप उत्साह से भर जाएंगे.
अपने लक्ष्य की घोषणा सार्वजानिक रूप से करिए
जब आप अपना लक्ष्य समाज के सामने बता देते हैं तो आप के ऊपर यह दबाव रहता है कि इस काम को पूरा करना ही है अन्यथा आप सार्वजनिक निंदा के पात्र बनेंगे. कौन चाहता है कि लोग उस की खिल्ली उड़ाएं, पीठपीछे कहें कि ‘बड़े चले थे यह काम करने, अब देखो.’ आप भी ऐसी बातें सुनना नहीं चाहते होंगे, न यह चाहते होंगे कि आप की वजह से आप को या आप के परिवार को नीचा देखना पड़े. पर यह सामाजिक दबाव एक उत्प्रेरक का काम करता है. अपने को समाज की नजरों में ऊंचा उठने के लिए आप खुद को पूरी तरह से झोंक देते हैं. सफलता का इस से बड़ा कोई मूल मंत्र नहीं है. यहां यह बात ध्यान देने की है कि एक बार बता कर छोड़ मत दीजिए बल्कि हफ्तेपंद्रह दिनों में अपडेट भी करते रहिए.
समान जीवन वाले लोगों का ग्रुप बनाइए
‘संगति ही गुण उपजे संगति ही गुण जाए.’ मान लीजिए, आप ने कोई लक्ष्य बना लिया और मेहनत भी शुरू कर दी है, पर आप का जिन लोगों के बीच उठनाबैठना है वे कामचोर हैं या दिनरात गपबाजी में दिन व्यतीत करते हैं तब आप अपना उत्साह ज्यादा दिन तक बरकरार नहीं रख पाएंगे. वहीं, अगर आप ऐसे लोगों के साथ हैं जो धुन के पक्के हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए दिनरात नहीं देखते, कठोर परिश्रम करते हैं तो आप का मन भी उत्साह से भर जाएगा और एक कर्मठ शूरवीर की तरह आप कार्यक्षेत्र में जुट जाएंगे.
अपने समान लक्ष्य वाले लोगों से मिलते जुलते रहिए
जो लोग आप के समान ही लक्ष्य रखते हैं उन से महीनेपंद्रह दिनों में मिलते रहिए. इस से आप उन की सफलता से अपडेट होते रहेंगे. या उन्होंने कैसे प्रयास किया, इस बात की जानकारी आप को होती रहेगी. असफल लोग क्या गलती कर रहे हैं, यह देख कर आप का स्वयं द्वारा की जाने वाली गलतियों पर ध्यान जाएगा. इस के अतिरिक्त, इस विचारविमर्श से नए तथ्य उभर कर सामने आएंगे. उदाहरण के तौर पर, अगर आप गाना सीख रहे हैं तो साधारण श्रोता आप के गायन की वाहवाही करेंगे. पर गायकों की महफिल में आप को एकएक सुर पर चर्चा करने से सही आरोहअवरोह पकड़ने में मदद मिलेगी. साथ ही, समकालीन अच्छे गायकों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना जाग्रत होगी, जिस से आप को और बेहतर गाने की प्रेरणा मिलेगी.
खुद को इनाम दीजिए
‘इनाम, वह भी खुद को?’ अजीब लगता है पर सैल्फ मोटिवेशन का बहुत कारगर तरीका है. अपने लक्ष्य को कई छोटे हिस्सों में बांटिए. और हर हिस्से के पूरा होने पर एक इनाम रखिए. वह इनाम महज इतना भी हो सकता है कि काम का इतना हिस्सा पूरा होने के बाद एक कप कौफी पिएंगे. देखिएगा वह कौफी रोज की कौफी से अलग ही स्वाद देगी. उस में जीत का नशा जो मिला होगा. आप यह भी इनाम दे सकते हैं कि इतना काम पूरा होने के बाद नई खरीदी किताब पढ़ेंगे, या कोई पसंदीदा काम करेंगे. कुछ भी हो, अपनी छोटीछोटी जीत को सैलिब्रेट करिए. इस से आप को आगे काम पूरा करने की जबरदस्त प्रेरणा मिलेगी.
अपनी योजनाओं की तिथिवार डायरी बनाइए
आप कौन सा काम कब करना चाहते हैं, इस की तिथिवार डायरी बनाइए, जैसे आप लेखक हैं तो आप की डायरी कुछ यों बनेगी-
इस डायरी को बारबार पलटिए और अपने निश्चय को पक्का करते रहिए. यह आप को अदृश्य प्रेरणा से नवाजता रहेगा.
अगर आप वास्तव में किसी काम को करना चाहते हैं तो एक खूबसूरत वाक्य याद रखिए जो वाल्ट डिज्नी कहा करते थे, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई भी चढ़ाई उस व्यक्ति के लिए असंभव होती है जिसे अपने सपनों को सच बनाने का हुनर आता है.’ सपनों को सच बनाने का हुनर निर्भर करता है सैल्फ मोटिवेशन पर. इसलिए जब लगे कुछ मनमुताबिक नहीं हो रहा है, तो कुछ पल ठहरिए. अपने आप को मोटिवेट करिए. फिर देखिए चमत्कार. एकएक कर के सफलता के दरवाजे आप के लिए खुलते चले जाएंगे.