मोदी सरकार द्वारा किसानों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के नाम पर संसद में पास किए गए तीनों विधेयक आजादी के बाद देश की खेतीकिसानी और नागरिकों की खाद्य सुरक्षा पर अब तक के  भीषण हमले हैं. नोटबंदी, जीएसटी के पार्ट 2 के रूप में रेलवे, एयरपोर्ट, एनर्जी, दूरसंचार जैसे सैक्टर को अडानी, अंबानी के निजी हाथों सौंप कर  जनता की जेब पर डाका डालने की साजिश की जा रही  है. फसलों के सही दाम न मिलने और खेती में बढ़ रहे घाटे से  आत्महत्या करने को मजबूर  अन्नदाता किसान  को राहत देने के बजाय उन्हें कौर्पोरेट घरानों के जरिए छलने की कोशिश की जा रही है.

एक समय था जब काशी बनारस में पंडेपुजारियों की एक कोरियर सर्विस सीधे स्वर्ग से चलती थी, जिस में धर्मांध लोगों को सशरीर स्वर्ग भेजा जाता था.  इतिहास के पन्नों में दर्ज जानकारी के अनुसार, काशी के पंडे भारी रकम ले कर बेवकूफ लोगों को पकड़ कर उन्हें बुर्ज पर चढ़ा देते थे. वहां कुछ मंत्र पढ़ कर यह कह कर नीचे कुदा देते थे कि यहां मरने वाला सीधे स्वर्ग जाता है. औरंगजेब के जमाने में जब इस की शिकायत मिलने पर जांच की गई तो पता चला कि दानदक्षिणा देने के बाद स्वर्गारोहण के लिए आतुर भक्त  बुर्ज पर करवट ले कर नीचे  जिस कुंए में दाखिल होता था, उस में तलवारों  और खंजरों  की चरखी लगी रहती थी, जो उस के टुकड़ेटुकड़े कर उसे गंगा की मछलियों का आहार बना देती थी. उसी बीच, जोरजोर से बजते ढोलतासे, झांझमंजीरों की तेज आवाजें मरने वालों की चीखपुकार को शोर में दबा देती थीं.

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किसान-मजदूर की राजनीति करने वाले नेता बादल सरोज तंज  कसते हैं कि देश की खेतीकिसानी के लिए ठीक इसी तरह की काशी करवट का एक प्रबंध नरेंद्र मोदी सरकार करने जा रही है. काशी करवट का यह मोदी मौडल 3 जून को मोदी कैबिनेट द्वारा आननफानन पारित किए वे 3 अध्यादेश हैं जिन्हे  5 जून को राष्ट्रपति ने ठप्पा लगा कर जारी कर दिया. पालतू व सरकार का पिछलग्गू मीडिया और आरएसएस  की भगवा ब्रिगेड इन अध्यादेशों को किसानी की कायापलट करने वाला बताने में जुट गए. भगवा ब्रिगेड के वे नेता, जिन्हें खेतीकिसानी से कोई सरोकार नहीं है, टीवी चैनलों की डिबेट में इन अध्यादेशों को किसानों की कायापलट करने का जादुई करिश्मा बताने लगे.

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