अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी एक दूसरे के 'बेस्ट फ्रेंड' होने का दावा करते हैं. दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आता है. दोनों एक सी सोच रखते हैं, एक सी बातें करते हैं. दोनों की ही नीति-अनीति, शोहरत-बदनामी, कृत्य-अकृत्य लगभग सामान हैं. ट्रम्प और मोदी दोनों की प्रवृत्ति एक सी है और कोई भी आदमी अपने जैसी ही प्रवृत्ति वाले आदमी से दोस्ती गांठता है, इसलिए भले ही दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि एक दूसरे से बिलकुल भिन्न हो मगर यह दोस्ती कुछ असामान्य नहीं है.

दरअसल मोदी और ट्रम्प इमोशनल दोस्त से इतर 'राजनितिक फ्रेंड' या 'पोलिटिकल फ्रेंड' ज़्यादा हैं. उनकी दोस्ती राजनितिक लक्ष्यों को पाने के स्वार्थ में रची-बसी है. वो अपने अपने राजनितिक फायदों के लिये एक दूसरे से गलबहियां भी करते हैं और एक दूसरे के सिर आरोप भी मढ़ते हैं. वे एक दूसरे की तारीफ भी करते हैं और वक़्त पड़े तो नीचा भी दिखा सकते हैं, जैसा कि ट्रम्प साहब के हालिया कृत्यों और आरोपों से सिद्ध भी होता है. ऐसे दोस्त जो एक दूसरे को धमकाएं भी और प्यार भी करें. राजनीति की बिसात पर कब-कब, कैसी-कैसी चालें चलनी हैं, यह बात दोनों बखूबी जानते हैं.

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याद होगा कि जब कोरोना से बचाव की दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन की बड़ी चर्चा हो रही थी और माना जा रहा था कि कोरोना वायरस के खात्मे में यह दवा कारगर है और दुनिया भर में इसकी बड़ी मांग हो रही थी, तब भारत द्वारा अमेरिका को सप्लाई भेजने में हुई देरी पर ट्रम्प ने कैसे मोदी को धमकाया था. फिर जब मोदी सरकार ने दवा की खेप भेज दी तो कैसे ट्रम्प लहरा-लहरा कर मोदी को अपना प्यारा दोस्त बताने लगे थे. ये ऐसी दोस्ती है जिसे राजनीति के लिए कभी लताड़ा जा सकता है तो कभी दुलारा जा सकता है.

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