फसल में जब कीटों का प्रकोप बढ़ता है, तब इस के बचाव के लिए किसान फसल पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करता?है. अकसर देखने में आता?है कि कीटनाशक छिड़कते समय किसान लापरवाही बरतते हैं. कीटनाशक जहरीले रसायन होते हैं, जो सांस के जरीए व त्वचा के द्वारा हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते?हैं. इसलिए जरूरी?है कि कीटनाशक का छिड़काव करते समय सावधानी बरती जाए, जिस से फसल के साथसाथ किसान की सेहत भी ठीक रहे. एक बार मैं ने देखा कि एक किसान कीटनाशक टैंक को कमर पर लगा कर छिड़काव कर रहा था. तब टैंक से रिस कर उस का रसायन किसान की बनियान को भिगोता हुआ कमर पर बह रहा था. उस समय तो जोशजोश में मौसम की गरमी का एहसास समझ कर किसान ने उसे नजरअंदाज कर दिया, लेकिन जब बाद में देखा तो कमर पर तमाम फफोले व चकत्ते बन गए थे. डाक्टर से इलाज भी कराना पड़ा. अधिकतर किसान स्प्रे करते समय मुंह पर मास्क या कपड़ा भी नहीं बांधते, जबकि हवा में कीटनाशक उड़ कर सांस के जरीए हमारे शरीर में चला जाता है, जो बहुत घातक होता?है. इसलिए जरूरी है कि इन बातों को नजरअंदाज न करें व सावधानियों का ध्यान रखें:

* छिड़काव करते समय अलग कपड़े (एपरन) पहनें व चश्मे का इस्तेमाल जरूर करें. चेहरे पर मास्क लगा कर दवा का स्प्रे करें. अगर मास्क नहीं है, तो कम से कम मुंह पर कपड़ा बांध कर स्प्रे करें व चश्मा पहनें. अगर आप सामान्य कपड़े पहन कर भी स्प्रे करते हैं, तो उन्हें तुरंत ही धो कर सुखा दें.

* कीटनाशक दवा का अदलबदल कर स्प्रे करें, क्योंकि एक ही कीटनाशक दवा छिड़कने पर कीट उस के आदी हो जाते?हैं.

ये भी पढ़ें- गाजर में होने वाली बीमारियां

* वैज्ञानिकों या कृषि माहिरों द्वारा बताई गई किसी अच्छी कंपनी की दवा का ही इस्तेमाल करें.

* कीटनाशक खरीदते समय उस की एक्सपाइरी डेट यानी खत्म होने की तारीख जरूर देख लें कि कहीं वह पुराना तो नहीं हो गया. बंद डब्बा ही खरीदें, जिस पर कंपनी का लेबल लगा हो.

* कीटनाशक को बच्चों की पहुंच से दूर रखें. इसे ठंडी, सूखी जगह पर रोशनी से दूर ताला बंद कर के रखें. अन्य किसी दवा या तेल आदि मिलतीजुलती चीज के साथ न रखें. ऐसे में धोखा हो सकता?है.

* रसायनों के डब्बों की अदलाबदली कभी न करें.

* यदि लेबल उतर जाए, तो उसे चिपका दें या उस पर लिख दें कि यह कौन सा कीटनाशक है.

* रिसने वाले डब्बे को न रखें.

* कीटनाशक का इस्तेमाल डब्बे पर लिखे तरीके से ही करें.

* स्प्रे मशीन को अच्छी तरह जांच लें. ठीक अवस्था में ही इसे इस्तेमाल में लाएं. देख लें कि कहीं लीक तो नहीं है.

* घरेलू बर्तन में घोल कभी न बनाएं. जिस बर्तन में घोल बनाया?है, उसे पशुओं व खाद्य पदार्थों से अलग रखें.

ये भी पढ़ें- ग्रामीण महिलायों ने लिखी तरक्की की कहानी : रेशम कीट पालन

* कभी भी हाथ से घोल न बताएं. लकड़ी के डंडे आदि से हिला कर या उलटपलट कर घोल बनाएं.

* डब्बा खोलते समय चेहरा उस से दूर ही रखें.

* स्प्रे टंकी को कभी पूरी न भरें. इस से छलकने का डर रहता है. रसायन की मात्रा अच्छी तरह नाप कर डालें.

* छिड़काव करते समय कुछ भी न खाएं, न ही धूम्रपान करें. छिड़काव के बाद हाथमुंह को अच्छी तरह से साबुन से धो लें.

* हवा की उलटी दिशा में चलते हुए छिड़काव न करें. इस से हवा में उड़ कर रसायन खुद पर गिरने लगता है.

* कृषि रसायनों को पशुओं से भी दूरी बना कर रखें.

ये भी पढ़ें- पाले से कैसे करें फसलों की सुरक्षा

* रसायन का शरीर पर असर होने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

* छिड़काव के समय साफ पानी अलग से एक बड़े बर्तन में जरूर रखें ताकि जरूरत पड़ने पर उसे इस्तेमाल किया जा सके.

* अगर रसायन शरीर पर गिर जाए और उस से जलन आदि महसूस हो, तो तुरंत साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए.

ये भी पढ़ें- खेत को उपजाऊ बनाती हरी खाद

* रसायन अगर आंख में चला जाए, तो कम से कम 15 मिनट तक साफ पानी से धोते रहें और तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...