कोरोना संकट का असर अब लोगों की मानसिक सेहत पर गंभीर रूप से पड़ने लगा है. इस वायरस के फैलाव की शुरुआत से ले कर अब तक दुनिया के कई देशों में मानसिक रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में 50 फीसदी तक उछाल आया है. इस का सब से ज्यादा असर बच्चों, युवावर्ग और स्वास्थ्यकर्मियों पर देखने को मिल रहा है. इसे ले कर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस के मुताबिक कोरोना संकट से पहले दुनियाभर में करीब 27 करोड़ लोग मानसिक रोगों से पीड़ित हैं. अब इस संख्या में करीब दोगुना बढ़ोतरी हुई है.
बच्चे : मातापिता की तुलना में बच्चों में क्वारंटीन की वजह से चारगुना ज्यादा तनाव देखा जा रहा है. इस मामले में अन्य देशों के मुकाबले स्पेन और इटली सब से ज्यादा प्रभावित हैं.
ये भी पढ़ें-स्तनों के साइज में फर्क
महिलाएं : भारत में इन पर सब से ज्यादा असर देखा जा रहा है. यहां इन की संख्या 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इस में 66 फीसदी महिलाएं प्रभावित हैं. पुरुषों का आंकड़ा 34 प्रतिशत है. गर्भवती और हाल में मां बनी महिलाओं में तनाव सब से अधिक है.
क्वारंटाइन का लंबे समय तक असर
मनोवैज्ञानिक बदलावों का असर लंबे समय तक रह सकता है. सार्स बीमारी के दौरान क्वारंटीन में गए लोग हफ्तों बाद भी इस मनोस्थिति से नहीं उभर पाए थे. सार्स फैलने के दौरान हुए सर्वे के मुताबिक लोगों ने घबराहट, ग्लानि और उदासी जैसी भावनाएं महसूस कीं. क्वारंटीन में पांच फीसदी लोगों को खुशी और चार फीसदी को राहत लगी.
हेल्थ वर्कर : अमेरिका और चीन में हो रहा हाल-बेहाल कोरोना से जंग में लगे स्वास्थ्यकर्मी भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. उन्हें तत्काल रूप से सहायता की आवश्यकता है. चीन में पहले से ही 50 फीसदी हेल्थ वर्कर्स तनाव के दौर से गुजर रहे हैं. इसी तरह अमेरिका में सब से ज्यादा मामले आने के बाद हेल्थ वर्कर पर बोझ बढ़ता जा रहा है.
युवा : कई देशों में कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हैं और यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, यह स्पष्ट नहीं है. ऐसे में युवा अपने भविष्य को ले कर बेहद चिंतित हैं.
कोरोना वायरस लोगों को मानसिक रूप से प्रभावित कर रहा है. लंबा लॉकडाउन व लंबे वक्त तक क्वारंटाइन रहना, कोरोना से अपने प्रियजन को खोने का दुख, नौकरी जाने और आमदनी कम होने का सदमा, मनचाही जगहों पर आवाजाही पर पाबंदी और पारिवारिक व सामाजिक मेलजोल कम होने से भविष्य का डर बना हुआ है.
ये भी पढ़ें-औफिस जाते समय रास्ते में बरतें सावधानी
इसलिए लॉकडाउन की वजह से घर में रहने वाले लोगों को हमेशा पॉजिटिव सोच रखने की जरूरत है. अगर घर में कोई हार्ट, शुगर या हाई बीपी का पेशेंट है तो वह अपनी दवा को नियमित समय पर लेते रहे. इस के अलावा मेंटल स्ट्रेस कम करने के लिए घर में अगर गार्डन है तो बागबानी करें, घर के काम में सहयोग करें, शारीरिक श्रम करें, योग आदि करें और कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें.
इसलिए लोगों को चाहिए कि वह कोरोना को ले कर जागरूक रहें, लेकिन इन दिनों समाचार चैनल और सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी भी बना कर रखें.