चाहे कैरियर की बुलंदियां छूने का जज्बा हो या सामाजिक रिश्तों को निभाने की बात, किशोरों ने हर प्लेटफौर्म पर खुद को सर्वोपरि साबित किया है. इसी सामाजिक तानेबाने के चलते उन्हें रिश्तेदारों से रूबरू होने का भी मौका मिलता है. इन में से कुछ अपने सगे रिश्ते होते हैं जबकि कुछ मेलजोल के बाद मजबूत होते हैं. इन सब का घर पर आनाजाना भी लगा रहता है. घर आने वाले लोगों में कुछ अपने सगे रिश्ते मसलन, चाचाचाची, बूआफूफा, मामामामी होते हैं तो कुछ दूर के रिश्तेदार अथवा पेरैंट्स के जानपहचान वाले होते हैं. रिश्तेदारों के घर आने व उन्हें ठहराने को ले कर जहां एक ओर रोमांच होता है, वहीं उन की खातिरदारी की वजह से आप की भी जिम्मेदारी व भागदौड़ बढ़ जाती है. आज के किशोर कुछ तैयारियों के साथ रिश्तेदारों के अपने घर आगमन को यादगार बना सकते हैं. साथ ही खुद भी उन पलों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.

रिश्तेदार के बारे में पता करें

कई बार आप को पहले से ही रिश्तेदारों के आने और ठहरने का पता होता है. वे रिश्तेदार या परिचित न हो कर यदि मातापिता के जानने वाले हैं तो भी आप का फर्ज बनता है कि आप उन की पूरी खातिरदारी करें और उन के बारे में जानकारी हासिल करें. इस क्रम में आप घर आने वाले रिश्तेदारों की पसंदनापसंद मालूम कर सकते हैं. चाहें तो पेरैंट्स से इस काम में मदद ले सकते हैं. जब सारी चीजें पता होंगी तो उन की आवभगत में कोई कोरकसर बाकी नहीं रहेगी.

स्कूल से ले लें छुट्टी

आप के पेरैंट्स कामकाजी हैं और ऊपर से रिश्तेदार घर में ठहरने आ जाएं तो निश्चित ही आप के लिए भी किसी परीक्षा की घड़ी से कम नहीं है, क्योंकि ऐसे में घर में कोई न रहे, यह ठीक नहीं है. ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि पेरैंट्स यदि औफिस से छुट्टी नहीं ले पा रहे, तो आप कालेज या स्कूल से छुट्टी ले लें. रिश्तेदार पहले से बता कर आ रहे हैं तो कई चीजें संतुलित हो जाती हैं, लेकिन अचानक से आ धमकने पर आकस्मिक अवकाश लेना आप की मजबूरी होगी. घर की साफसफाई, कपड़े, बैडशीट और परदे बदलने में मातापिता की मदद करें. इधरउधर पड़े सामान को व्यवस्थित करने में पेरैंट्स का हाथ बंटाएं.

मुसकरा कर करें स्वागत

कौलबैल बजे और पेरैंट्स के बजाय आप के द्वारा दरवाजा खोले जाने पर सामने रिश्तेदार खड़े हों, तो उन्हें देख कर आप के चेहरे पर मुसकराहट होनी चाहिए. आप अपना परिचय देते हुए उन का गर्मजोशी से स्वागत करें. भले ही वे आप के पेरैंट्स के परिचित हों. आप के चेहरे की मुसकराहट देख कर उन्हें खुद ब खुद एहसास हो जाएगा कि उन का आना पूरे परिवार को अच्छा लगा और वे आप के साथ भी घुलमिल कर बात करेंगे.

पुरानी यादों को ताजा करें

यदि रिश्तेदार आप के पूर्व परिचित हैं तो आप दोनों के बीच कई ऐसी सुनहरी यादें होंगी जिन्हें साझा कर माहौल को खुशनुमा बनाया जा सकता है. वे लमहे आप को खुल कर हंसने अथवा मुसकराने का मौका दे सकते हैं. इस से आप के बीच का रिश्ता और मजबूत बनेगा. यह भी कोशिश करें कि यदि पूर्व में आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर कोई गलतफहमी अथवा मतभेद हुआ हो तो उसे लगेहाथ सुलझा लें, क्योंकि रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने का इस से बेहतर मौका आप को फिर नहीं मिल सकता.

पसंदीदा म्यूजिक वीडियो लगाएं

रिश्तेदारों की खुशामदी के दौरान उन की पसंद का म्यूजिक या कोई वीडियो लगा कर उन के लिए वह लमहा यादगार बनाया जा सकता है, लेकिन यह तभी हो पाएगा जब आप उस से अच्छी तरह से वाकिफ हों. निश्चित रूप से उन के लिए आप का यह प्रयास किसी सरप्राइज से कम नहीं होगा. यह ध्यान रहे कि कहीं ऐसे में आप उन के सामने किसी की शिकायत या अपने परिवार की मजबूरी ले कर न बैठ जाएं. आप की इस गलती से सारा मजा किरकिरा हो सकता है.

काम में हाथ बंटाएं

घर आने वाले रिश्तेदारों में यदि आप की बूआ, भाभी, मामी, चाची या कोई अन्य परिचित हों तो संभव है कि वे आप के परिवार से पूरी तरह से घुलेमिले होंगे. आप के पेरैंट्स के न रहने पर यदि वे ही किचन संभाल रही हैं तो आप का फर्ज बनता है कि उन के काम में हाथ बंटाएं. किचन में कौन सा सामान कहां रखा है यह आप को भलीभांति पता होना चाहिए. किचन के अलावा भी कई ऐसे काम हैं जो आप के स्तर के हो सकते हैं.

हर संभव मदद पहुंचाएं

रिश्तेदारों का आप के घर आने और ठहरने का एक मकसद शौपिंग या उस शहर में कोई जरूरी काम भी हो सकता है. यदि आप को उन के आने का प्रयोजन पता है तो उन की मदद करने में पीछे न रहें. यदि शाम को टहलने जा रहे हैं तो उन्हें भी अपने साथ लेते जाएं. समय निकाल कर उन्हें अपने शहर की अच्छी जगहों पर घुमाएं और शौपिंग कराएं. वे किसी जरूरी काम से शहर आए हों, तो उन की मदद करें.

जरूरत का सामान मौजूद रहे

आप रिश्तेदारों को जिस कमरे में ठहरा रहे हैं उस में उन की जरूरत का हर सामान जैसे पानी की बोतल, तौलिया, पेस्ट, पत्रपत्रिकाएं आदि मौजूद रहनी चाहिए. साथ ही आप भी समय निकाल कर उन के पास जरूर बैठें. इस से वे बोर नहीं होंगे. परिवार में कोई अन्य सदस्य मौजूद हो तो उन्हें उन के पास बैठने के लिए प्रेरित करें, लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि हर वक्त उन को घेरे भी न रखें. कुछ वक्त उन्हें खाली भी छोड़ दें.                                     

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