Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद विमान हादसे से जब पीड़ित परिवारजन दुख में थे और देश की जनता हादसे में हुई गड़बड़ी को जानने की चिंता में थी तो धर्मांध मीडिया दानदक्षिणा पर पलने वाले ठेकेदारों की पीआर करने में मस्त थी.

अहमदाबाद विमान हादसे में 275 से अधिक लोगों की जान गई. हादसा इतना भयावह था कि एक व्यक्ति के अलावा कोई नहीं बच पाया. इतने बड़े हादसे में किसी इकलौते व्यक्ति का बच जाना बेहद ही आश्चर्य की बात है. यह हैरान कर देने वाली न्यूज थी लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया को इस व्यक्ति के बच जाने की न्यूज से बड़ी खबर हाथ लग गई. वो खबर थी कि विमान हादसे में गीता बच गई.

आज तक की स्टार एंकर श्वेता सिंह ने तो इस पर पूरी एक रिपोर्ट ही पेश कर दी, जैसे यह दुनिया के लिए एक बड़ी खबर हो. दुनिया भारतीय मीडिया के इस तरह के प्रोपगेंडे से भली भांति परिचित है इसलिए भारत के अलावा इस खबर को किसी ने सीरियसली नहीं लिया.

हिंदुत्ववाद की राजनीति चमकाने में और धर्म की दानदक्षिणा वाले धंधे को उभारने में भारतीय मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पिछले वर्षों में मीडिया ने एक ऐसा वर्ग पैदा कर दिया है जिस की खुराक फेक न्यूज़ है. धर्म और राष्ट्रवाद की आड़ में कुछ भी परोस दो यह वर्ग पचा लेता है क्योंकि यह वर्ग पौराणिक कथाओं की गपबाजी को संपूर्ण सच मानता है.

गीता बच गई. कैसे? यह न पूछिये कि किस फायरमैन के साथ लगी, कौन सी सीट पर थी, वहां कौन बैठा था. बस यह जानकर कि हिंदुओं के धर्मग्रंथ इतने शक्तिशाली होते हैं कि भीषण दुर्घटनाओं में भी बच जाते हैं. हिंदू होने पर गौरवांवित होइए. यहां तर्क की जरूरत नहीं. सवाल पूछने से धर्म संकट में पड़ जाएगा. श्वेता सिंह की नौकरी चली जाएगी. बीजेपी का वोट बैंक खतरे में पड़ जाएगा लेकिन वे लोग जो विवेक रखते हैं सवाल तो पूछेंगे ही. क्या वह गीता फायर प्रूफ थी? क्या गीता को ईश्वर ने बचाया? क्या गीता में खुद को बचा लेने का सेंस था?

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